2017-01-20 15:51:00

हम अपनी मानसिकता बदलें


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 20 जनवरी 2017 (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन के संत मार्था प्रार्थनालय में अपने प्रातःकालीन मिस्सा बलिदान के दौरान इब्रानियों के नाम पत्र पर अपना चिंतन प्रस्तुत करते हुए कहा कि ईश्वर के नियम अपने में वाह्य चीजों को समाहित नहीं करते वरन यह आंतरिक बातों में निहित होता है जो हमारे हृदयों में प्रवेश करता और हमारे मनोभावों को परिवर्तित करता है।

उन्होंने कहा कि ईश्वर अपने नये विधान के मुताबिक हमें अपने मनोभावों, हृदयों और कार्य करने के तरीक़ों को परिवर्तित करने का आहृवान करते हैं। वे हमें चीजों को एक अगल नज़रों से देखने हेतु निमंत्रण देते हैं। ईश्वर का नया नियम हमारे हृदयों को बदलते हुए एक नया हृदय और नया मन प्रदान करता है। हम उन न्यायकर्ताओं के बारे में विचार करें जिन्होंने येसु को प्रताड़ित किया। उन्होंने संहिता के नियमानुसार सारी चीजें कीं लेकिन उनके मनोभाव ईश्वर के मनोभाव से अति दूर थे। उनकी मानसिकता स्वार्थ से भरी हुई थी और वे अपने में ही सीमित थे। उनका हृदय केवल दूसरों की टीका-टिप्पणी और अन्यों पर दोषारोपण करने तक सीमित था।
संत पापा ने कहा कि येसु हमारे पापों को क्षमा करते हैं और उनका नया विधान हमारे जीवन को परिवर्तित करता है। वे हमारे पापों का हिसाब नहीं रखते हैं। संत पापा ने मज़ाक़िये अन्दाज में कहा कि ईश्वर की याददाश्त अच्छी नहीं है। यह उनकी कमजोरी है कि वे भूल जाते और हमें क्षमा कर देते हैं। “मैं तुम्हारे पापों को याद नहीं रखूँगा।” लेकिन इसका अर्थ हमारे लिए यह नहीं कि हम अपने जीवन में पाप करते जायें। संत पापा ने कहा कि यह हमारी मानसिकता, हमारे हृदयों और हमारे जीवन को बदलने हेतु प्रेरित करें। हम अपने को पापों से दूर रखें और एक शुद्ध जीवन जीने का प्रयास करें। इस तरह ईश्वर हमारे जीवन में एक नयापन लाते हैं। वे हमारे मन और दिल को परिवर्तित करते हैं।

संत पापा ने अपने चिंतन के अंत में कहा कि ईश्वर हमारे मन, दिल और हृदय को बदलते हैं और इसलिए हमें उनके प्रति निष्ठावान बने रहने की जरूर है। नबी कहते हैं कि वे हमारे पत्थर हृदय को बदल कर नरम बना देंगे। अतः हम अपने को दुनिया की क्षणभंगुरता, दुनियादारी के संग में सम्मिलित न करें क्योंकि हम सभी येसु के हैं।

 








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