2017-01-19 15:39:00

जीवन एक संघर्ष है


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 19 जनवरी 2017 (वीआर सेदोक): ख्रीस्तीय जीवन एक संघर्ष है आइये, हम येसु से प्रेरित हों, यह आह्वान संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग प्रवचन के दौरान विश्वासियों से की।

उन्होंने उस प्रलोभन से बचने की चेतावनी दी जो हमें गलत रास्ते पर ले चलता है तथा स्मरण दिलाया कि येसु हमारे हृदय में बुराई के प्रभाव को नष्ट करने आये।

ख्रीस्तयाग प्रवचन में संत पापा ने सुसमाचार पाठ के उस अंश पर चिंतन किया जहां एक विशाल भीड़ येसु का अनुसरण करती है। भीड़ में विभिन्न प्रांतों के लोग थे।

संत पापा ने प्रश्न किया कि वहाँ भीड़ क्यों लगी थी? सुसमाचार बतलाता है कि भीड़ में कुछ लोग बीमार थे जो चंगाई पाना चाहते थे किन्तु वहाँ कुछ ऐसे लोग भी थे जो येसु का अनुभव करने आये थे क्योंकि वे उनके धर्मगुरूओं की तरह नहीं किन्तु अधिकार के साथ शिक्षा दे रहे थे और यह उनके लिए हृदयस्पर्शी था। संत पापा ने व्यंग्यात्मक रूप से कहा कि यह भीड़ स्वतः जमा हो गयी थी न कि बसों में भर कर लायी गयी थी, जैसा कि हम बहुधा देखते हैं जब विभिन्न अवसरों का आयोजन किया जाता है। जिसमें बहुत से लोग इसलिए जाते हैं ताकि अवसर का अवलोकन कर सकें न कि उसमें भाग लें जबकि सुसमाचार पाठ में निहित भीड़ स्वतः जमा हुई थी क्योंकि उन्होंने अपने हृदय में कुछ खास अनुभव किया था। तब येसु ने नाव बुलाकर उसे तट से दूर ले जाने को कहा।

संत पापा ने कहा, ″यह भीड़ येसु के पास इसलिए आयी थी क्योंकि उसे येसु की आवश्यकता थी यद्यपि भीड़ में से कुछ जिज्ञासा वश आये थे।″ उन्होंने कहा कि आखिर वे क्यों येसु की ओर आकर्षित हुए क्योंकि पिता ने उन्हें येसु की ओर आने हेतु प्रेरित किया। उधर येसु भी लोगों के प्रति उदासीन नहीं रहे लोगों की भीड़ ने उनके हृदय को छू लिया। सुसमाचार हमें यह भी बतलाता है कि येसु इसलिए दया से द्रवित हो गये क्योंकि वे बिना चरवाहे की भेड़ों की तरह थे तथा पिता ने पवित्र आत्मा के माध्यम से लोगों को येसु की ओर प्रेरित किया था।

संत पापा ने इस बात पर बल दिया कि लोगों को प्रेरित करने के लिए तर्क की आवश्यकता नहीं है बल्कि आवश्यकता है, पिता द्वारा येसु की ओर आने हेतु प्रेरित होने की।

ख्रीस्तीय जीवन प्रलोभन के विरूद्ध एक संघर्ष है।

संत पापा ने प्रवचन में दूसरे मुख्य बिन्दु पर येसु के उत्साह पर ध्यान आकर्षित कराया। उन्होंने भीड़ को शिक्षा दी एवं अशुद्ध आत्माओं को नष्ट किया।

संत पापा ने कहा, ″यह सच है कि जब हम येसु के करीब आते हैं तो हम भी उन्हीं लोगों की तरह अनुभव करते हैं। हमारे विरूद्ध युद्ध उत्पन्न कर अशुद्ध आत्मा येसु से दूर भागने का प्रयास करता है। संत पापा ने कहा कि हम कह सकते हैं कि हम काथलिक हैं हमेशा मिस्सा पूजा में भाग लेते हैं और हमें कभी इस तरह का प्रलोभन नहीं हुआ है। यदि हम ऐसा सोचते हैं तो हम गलत रास्ते पर हैं क्योंकि एक ख्रीस्तीय का जीवन प्रलोभन से रहित नहीं हो सकता। वह वैचारिक अथवा रहस्यवादी हो सकता है किन्तु ख्रीस्तीय नहीं। जब पिता लोगों को येसु की ओर आकर्षित करते हैं वहीं इसके ठीक विपरीत दूसरा उन्हें अपनी ओर आकर्षित करता है, इस प्रकार, वह हमें संघर्ष की स्थिति में डाल देता है यही कारण है कि संत पौलुस ख्रीस्तीय जीवन को एक संघर्ष की संज्ञा देते हैं, प्रतिदिन का संघर्ष। 

यह संघर्ष शैतान के राज्य पर विजय पाने के लिए है, बुराई पर जीत हासिल करने के लिए। अतः येसु शैतान को नष्ट करने आये, हमारे हृदय में उनके प्रभुत्व को समाप्त करने। एक ओर पिता हमें येसु की ओर आकर्षित करते तो वहीं दूसरी ओर बुराई हमें नष्ट करने के लिए अपनी ओर आकर्षित करता रहता है।

ख्रीस्तीय जीवन एक संघर्ष है। हम या तो पिता द्वारा येसु की ओर प्रेरित होते हैं अथवा अपने को अलग कर एकांत में रहना चाहते हैं। संत पापा ने सलाह दी कि यदि हम आगे बढ़ना चाहते हैं तो हमें संघर्ष करना होगा क्योंकि येसु ने विजय पायी है।

संत पापा ने विश्वासियों को परामर्श दिया कि हम आत्म जाँच करें तथा प्रभु से प्रार्थना करें ताकि हम सच्चे ख्रीस्तीय बन सकें तथा अच्छाई बुराई की परख करते हुए सही रास्ते को चुन सकें जिसमें पिता हमें येसु की ओर आगे बढ़ने हेतु प्रेरित करते हैं। 








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