2017-01-05 16:56:00

दक्षिण एशिया में लोरेटो धर्म समाज का 175 साल


एशिया, गुरुवार, 05 जनवरी 2017 (फीदेस) धन्य कुँवारी मरियम की धर्मसमाज जो कि लोरेटो सिस्टर्स के नाम से प्रसिद्ध हैं दक्षिण एशिया में अपने प्रेरिताई कार्य के 175 साल पूरा कर लिया है।

दक्षिण एशिया हेतु नियुक्त धर्मसमाज की अधिकारिणी सिस्टर अनिता एम. ब्रगानजा ने वाटिकन रेडियो के फीदेस समाचार को अपने संवाददाता संदेश में कहा कि धर्म समाज के विकास और इसके कामों को देख कर उनका हृदय ईश्वर के प्रेम में कृतज्ञता से भर जाता है जो आज से 175 साल पहले ईश्वर के प्रेम को लेकर भारत देश आयीं।

30 दिसम्बर सन् 1841 को लोरेटो धर्मबहनों का एक समुह अयरलैण्ड से उत्तर भारत आया जिनकी संख्या 11 थी। उनका यह दल उत्तर भारत में धर्मबहनों का प्रथम दल था। सन् 1842 में धर्मसमाज ने अपने प्रथम गृह की स्थापना की और उसी साल कोलकाता में प्रेरितिक कार्य के मुद्देनज़र एक अनाथालय खोला गया। इसके बाद धर्मसमाज ने कई मोन्टेसरी और विद्यालयों की शुरूआत भारत, नेपाल और बँगला देश में की। उन्होंने कहा “यह हमारे प्रेरितिक कार्य में उत्साह का फल था जिसके तहत धर्मबहनों ने अपने परिवार और प्रिय जनों को छोड़कर अपना देश फिर न लौटने का विचार किया था। काथलीक धर्मबहनों का यह प्रथम दल था जिन्होंने भारत की भूमि पर अपना पैर रखा और विशेष कर महिलाओं के प्रशिक्षण के साथ-साथ समाज के सभी वर्गों के बच्चों की शिक्षा का बीड़ा उठाया।”

सिस्टर प्रियंका टोप्पो धर्मसमाज में अपने जीवन और कार्यों का जिक्र करते हुए कहा कि समुदाय उसके लिए दूसरे घर के समान है जहाँ उन्होंने शिक्षा और प्रशिक्षण प्राप्त किया और अपने मानवीय और आध्यात्मिक गुणों का विकास करते हुए अन्यों की सेवा हेतु प्रेरित हुईं। उन्होंने कहा, “मैं उसी तरह अन्यों की सेवा करना चाहती हूँ जैसे धर्मसमाज ने मेरी सेवा की है।” 








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