2017-01-04 16:06:00

भारतीय सुप्रीम कोर्ट: वोट के लिए धर्म का इस्तेमाल नहीं


नई दिल्ली, बुधवार, 4 जनवरी 2017 (एशिया न्यूज) : भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि कोई भी राजनेता वोट जीतने के लिए कभी धर्म का इस्तेमाल नहीं कर सकता है।

न्यायाधीशों की राय सन् 1995 में लिए गये निर्णय को चुनौती देती है पर इसे उलटा नहीं कर सकती है जिसके तहत हिंदूत्व एक धर्म नहीं परंतु जीवन का एक तरीका है। हिंदू विचारधारा के तहत जातीय पहचान, सांस्कृतिक और राजनीतिक जीवन को महत्व देने वाले उग्रवादी समूह जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव के कृत्यों को अंजाम देते हैं।

सुप्रीम कोर्ट के टी एस ठाकुर के नेतृत्व में लिए गये फैसले पर ख्रीस्तीय, धर्मनिर्पेक्षतावादियों और भारतीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपनी टिप्पणी एशिया न्यूज की दी।

मुंबई के समाजिक और धर्मनिर्पेक्षता अध्ययन केंद्र के अध्यक्ष राम पुनीयानी ने कहा कि "हिंदुत्व कार्यकर्त्ताओं ने चुनावी मैदान में धर्म के राजनीतिक दुरुपयोग के लिए मिसाल हासिल की है। 2014 के आम चुनाव में, भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्त्ताओं ने धर्म की आड़ में सत्ता हासिल की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इस बात पर बल देते हुए ख्याति प्राप्त किया कि वह हिंदू था।

भारतीय ख्रीस्तीयों के ग्लोबल काउंसिल के अध्यक्ष साजन के. जोर्ज ने कहा, "यह एक विडंबना ही है क्योंकि आखिरकार, मोदी की राजनीति हिंदुत्व आंदोलन में निहित है। उन्होंने भारत के लिए विकास और युवा विकास के वादे पर अपना चुनाव जीता था। लेकिन भारतीय देख रहे हैं कि जीवन के सभी क्षेत्रों में हिंदुत्व आंदोलन का बोलबाला है। इस फैसले के आधार पर हिंदुत्व के लिए काम करने वाले सांसदों को उनके पद छोड़ने की जरूरत है।"

भुवनेश्वर के जेवियर विश्वविद्यालय के डीन फादर लूर्द राज ने चेतावनी देते हुए कहा,″ यदि समाज के नागरिक जागरूक हैं और इसे समाज में अच्छी तरह से कार्यान्वित किया जाता है तो शायद कोर्ट का निर्णय समाज के लिए अच्छा होगा।"








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