2017-01-03 14:29:00

इस्तानबुल में नए साल में हुए नरसंहार के अपराधी की तलाश जारी


इस्तानबुल, मंगलवार, 3 जनवरी 2017 (एशिया न्यूज) : इस्तानबुल के रेनिया नाइट क्लब में नव वर्ष मना रहे लोगों पर एक कलाश्निकोव शस्त्र द्वारा अंधा धूंध गोलियां बरसाने वाले हत्यारे की तलाश जारी है जिसमें 39 लोगों की मौत हो गई और 69 गंभीर रुप से घायल हैं। इस्तानबुल स्थित बोस्फोरस का रेना नाइट क्लब सबसे महंगी जगहों में से एक माना जाता है और यह विदेशियों और मशहूर हस्तियों का पसंदीदा क्लब है।

हमले के समय नाइट क्लब के अंदर कम से कम 600 लोग जश्न मना रहे थे। हमलावर ने हमले के बाद "मची अफरातफरी का फायदा उठाया" और घटनास्थल से भाग निकला।

पीड़ितों की पहली अंत्येष्टि आयोजित की गई है जबकि हमलावर को खोजने की प्रक्रिया जारी है। कम से कम सात मिनट तक चले इस हमले में 15 विदेशियों की मौत हुई। इनमें इसराइल, फ्रांस, ट्यूनीशिया, लेबनान, भारत, बेल्जियम, जॉर्डन और सऊदी अरब के नागरिक शामिल हैं। हमलावर ने क्लब में घुसने से पहले बाहर तैनात एक पुलिसकर्मी और सुरक्षागार्ड की हत्या कर दी थी।

अभी तक किसी ने भी आधिकारिक तौर पर इस नरसंहार की जिम्मेदारी नहीं ली है हालांक इस्लामिक स्टेट पर संदेह की जा रही है। कुर्द चरमपंथी संगठन पीकेके नेता ने हमले में कुर्द बलों का हाथ होने से इंकार किया है जबकि 10 दिसंबर को इस्तांबुल स्टेडियम में दो बम हमले हुए थे। इसमें 44 लोगों की मौत हो गई थी। हमले की जिम्मेदारी कुर्द चरमपंथियों ने ली थी।

इस्तानबुल की गवर्नर के मुताबिक, मृतकों में एक पुलिस अधिकारी भी शामिल है। उन्होंने इस हमले को चरमपंथी हमला बताया है। सीएनए तुर्की के मुताबिक हमलावर सांता के कपड़ों में आया था परंतु बनाली यल्दिरिम ने पहले की रिपोर्ट से इंकार किया है और इस बात की भी पुष्टि की है कि हमलावर वहां सांता क्लाज के वेश में नहीं आया था।

शोक के अंतरराष्ट्रीय संदेश भेजने वालों में से एक संत पापा फ्राँसिस हैं जिन्होंने रविवार को संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में देवदूत प्रार्थना के उपरान्त इस नरसंहार में मरे लोगों, घायलों एवं विलाप करने वाले सम्पूर्ण तुर्की वासियों के प्रति हार्दिक संवेदना प्रकट करते हुए संपूर्ण राष्ट्र के लिये प्रार्थना की।

बीते वर्ष 2016 में तुर्की ने अनेक खूनी हमलों का सामना किया जिसकी शुरुआत 17 फरवरी को अंकारा में सेना के एक काफिले पर हुए हमले में 28 लोगों की मौत से हुई थी। 13 मार्च को अंकारा में ही कुर्द लड़ाकों के एक कार बम विस्फोट में 37 लोग मारे गए थे। 28 जून को इस्तांबुल में अतातुर्क हवाईअड्डे पर बंदूक और बम हमले में 41 लोगों की मौत हो गई। 30 जुलाई को 35 कु्र्द लड़ाकों ने सैन्य अड्डे को उड़ाने की कोशिश की परंतु तुर्की सेना के हाथों मारे गए। 20 अगस्त को गाज़ियानटेप के शादी समारोह में हुए बम हमले में कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई थी। इसमें इस्लामिक स्टेट के हाथ होने का शक था और 10 दिसंबर को इस्तानबुल स्टेडियम में दो बम हमले हुए थे। इसमें 44 लोगों की मौत हो गई थी। हमले की जिम्मेदारी कुर्द चरमपंथियों ने ली थी।

बी. बी.सी समाचार अनुसार भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्वीट किया, ''मुझे तुर्की से बुरी ख़बर मिली है। इस्तांबुल हमले में हमने दो भारतीयों को खो दिया है। इस्तांबुल में भारतीय राजदूत पूरे मामले को देख रहे हैं। ये दो भारतीय हैं, पूर्व राज्यसभा सांसद के बेटे अबीस रिज़वी और गुजरात की खुशी शाह।''   








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