2017-01-01 14:43:00

युवाओँ के जीवन निर्माण हेतु संत पापा का आहृवान


वाटिकन रेडियो, रविवार, 01 जनवरी 2017 (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने संत पेत्रुस महागिरजाघर में 31 दिसम्बर शनिवार को सन् 2016 के समापन हेतु धन्यवादी प्रार्थना सभा के दौरान अपने प्रवचन में कहा कि हम युवाओं के भविष्य निर्माण हेतु उनकी मदद करें।

 

“समय पूरा होने पर ईश्वर ने अपने पुत्र को भेजा, वे एक नारी से उत्पन्न हुए और संहिता के अधीन रहे, जिससे वह संहिता के अधीन रहने वालों को छुड़ा सकें और हम ईश्वर के दत्तक पुत्र बन जायें।” (गला.4.4-5)

संत पौलुस के ये वाक्य शक्तिशाली हैं। यह हमें सारांश और संक्षेप में ईश्वर की योजना को दिखलाता है जहाँ वे अपने पुत्र-पुत्रियों से साथ रहना चाहते हैं। इन वाक्यों में सम्पूर्ण मानव मुक्ति विधान के ईश्वरीय कार्य गुंजित होते हैं। पिता ने अपने बेटे येसु ख्रीस्त को मानव मुक्ति हेतु दुनिया में भेजा। हमारे लिए सबसे आश्चर्य की बात यह है कि ईश्वर एक नवजात शिशु के रुप में अपनी नम्रता और संवेदनशीलता में दुनिया में आते और अपने मुक्तिदायी कार्यों को पूरा करते हैं। वे व्यक्तिगत रुप से मानव शरीरधारण कर हमारे जीवन का अंग बनते और हमारी कमजोरियों को अपने ऊपर ले लेते हैं। अपने को छोटा बनाते हुए वे हमारे छोटे रुप को अपने में धारण करते हैं। येसु ख्रीस्त में ईश्वर मानव का मुखौटा धारण नहीं करते वरन वे पूर्णरुपेण मानव स्वभाव को अपने में धारण कर लेते हैं। वे अपने को उन लोगों के साथ संयुक्त करते हैं जो अपने को खोया, तुच्छ, घालय, हताश, शोकाकुल और भयभीत पाते हैं। ईश्वर अपने को उनके जीवन का अंग बनते हैं जो अपने को अलगाव के दुःख और अकेलेपन से बोझिल पाते हैं जिससे पाप, शर्म, चोट, निराशा और निष्कासन उनके पुत्र-पुत्रियों के जीवन में सदा के लिए व्याप्त न रहे।

संत पापा ने कहा कि चरनी हमें दिव्य तर्क को अपने जीवन का अंग बनाने हेतु निमंत्रण देती है। अपने दिव्य तर्क में ईश्वर समृद्ध लोगों की कड़ी को तोड़ने आते जिससे ईश्वर की करुणा और प्रेम मानवीय जीवन का अंग बन सके और हम संतान की तरह एक सम्मानजनक जिन्दगी बीता सकें जिसके लिए हमें जीवन मिला है। चरनी में कपड़ों पर लिपटा बालक हमें ईश्वर की शक्ति से वाकिफ करता है जिसके द्वारा ईश्वर हमें अपने वरदानों से विभूषित करते और आपसी मिलन की संस्कृति को बढ़ावा देते हैं।

उन्होंने कहा कि हम अपने में भोले-भाले बने नहीं रह सकते क्योंकि समृद्धि की तर्क हमारी परीक्षा लेती है जिसके फलस्वरूप हम अपने को अपने ही जरूरतमंद भाई-बहनों के प्रति बंद कर देते हैं।

आज, बेतलेहेम के बालक समक्ष हम यह स्वीकार करें कि हमें ईश्वरीय ज्योति की आवश्यकता है क्योंकि बहुत बार हम अपने जीवन में संकुचित हो जाते जो अन्यों को प्रभावित करता है। हमें ईश्वर की ज्योति की आवश्यकता है जिसके द्वारा हम अपने गलतियों और असफलताओं का अनुभव करते और साहस के साथ उन्हें स्वीकार करते हुए एक नई शुरूआत करने की शक्ति अपने में संचित करते हैं।

संत पापा ने कहा कि हम एक नये साल में प्रवेश करने वाले हैं। हम चरनी के सम्मुख एक क्षण मौन रह कर अपने जीवन में मिले सभी ईश्वरीय कृपादानों हेतु अपने हृदय की गहराई में कृतज्ञता के सुमधुर भाव प्रस्फुटित होने दें। कृतज्ञता विचारों की एक शुष्क यादगारी नहीं है वरन् यह एक जीवित क्षण है जो हमें व्यक्तिगत और समुदायिक रूप से सृजनात्मक बनाती है क्योंकि हम यह अनुभव करते हैं कि ईश्वर हमारे जीवन के अंग हैं।

संत पापा ने कहा कि आइए हम चरनी के समीप आते हुए इस वर्ष के सभी कृपादानों के लिए ईश्वर का धन्यवाद करें और अपने को इस बात की याद दिलायें कि हमारे जीवन का हर क्षण ईश्वर का वरदान है। चरनी हमें जीवन में किसी भी चीज को छोड़ने की चुनौती देती है। यह हमें बिना कुडकुड़ाये या क्रोधित हुए अपने जीवन को जीने हेतु मदद करती है। चरनी को देखने का अर्थ हमारे लिए आने वाली जिन्दगी को नई आशा और साहस के साथ देखना है जहाँ हम अपने स्वार्थपूर्ण विचारों पर विजयी होते हैं। चरनी को देखते हुए हम यह अनुभव करते हैं कि कैसे ईश्वर हमारे जीवन का अंग बनते और हमें अपने जीवन का अंग बनाते हैं, वे हमें अपने कार्यों के लिए नियुक्त करते और हमें अपने आने वाले जीवन को साहस और द्दढ़ता पूर्वक स्वागत करने हेतु निमंत्रण देते हैं।

चरनी में हम जोसेफ और मरियम के युवा चेहरे को आशा, प्रेरणा और सवालों से भरा हुआ देखते हैं। उनके चेहरों में भविष्य की कठिनाइयाँ झलकती हैं जो ईश पुत्र के परवरिश से संबंधित है। उन चेहरों पर चिंतन किये बिना हम भविष्य की कठिनाइयों के बारे में चर्चा नहीं कर सकते जिनका सामान हमें अपने बेटे-बेटियों के लालन-पालन में करना पड़ता है। यह हमें इस बात पर चिंतन करने हेतु मदद करे कि हमें अपने समाज में युवाओं की देख-रेख कैसे करते हैं। 

संत पापा ने कहा कि हमने अपने युवाओं के लिए एक संस्कृति का निर्माण किया है जिसकी वे पूजा करते और उसे अनंत के रूप में देखते हैं। इसके साथ दूसरी ओर विरोधाभास के एक रुप को देखते हैं जहाँ हमने अपने युवाओं के खातिर समाज में कोई स्थान नहीं छोड़ा है क्योंकि हमने उन्हें धीरे-धीरे सामाजिक जीवन के हाशिये पर ढ़केल दिया है जहाँ वे पलायन करने को बाध्य हैं या रोजगार की भीख माँगते है जो उनके भविष्य को सुरक्षित नहीं करती है। हम आशा करते हैं कि वे भविष्य के ख़मीर बने लेकिन हम उनके साथ भेदभाव करते और उन्हें दोषी करार देते हैं।

उन्होंने कहा कि हम बेतलेहेम के सराय के लोगों से अलग बनने हेतु बुलाये जाते हैं जिन्होंने युवा दम्पति से कहा कि हमारे पास तुम्हारे लिए जगह नहीं है। उनके पास जीवन के लिए, भविष्य के लिए जगह नहीं था। हम प्रत्येक से यह आशा की जाती है कि हम अपने जीवन में उत्तरदायित्व लेते हुए युवाओं के भविष्य निर्माण हेतु उनकी मदद करें। आइए हम उनकी सेवा पूर्ण हाथों, शक्ति, विचारों और उनकी क्षमताओं से अपने को वंचित न करें।

चरनी की ओर देखना हमें युवाओं की सहायता हेतु चुनौती प्रदान करती है जिससे वे अपने जीवन में अपने सपनों को साकार करते हुए भविष्य में माता-पिता के उत्तरदायित्व को पूरा कर सकें।

साल के अंतिम पड़ाव पर हम स्वर्गीय बालक पर चिंतन करें जो हमें अपने विश्वास की ओर लौटने हेतु आह्वान करता है। येसु ख्रीस्त में हमारा विश्वास हमारी आशा में ख़मीर का रुप लेती जो हमारे लिए एक कृपा है। “यह कोमलता हमारे जीवन से विलुप्त नहीं होती लेकिन यह हमारी खुशी का पुनःनिर्मण करती है जहाँ येसु हमें अपने सिर को ऊपर उठाते हुए एक नई शुरूआत करने की शक्ति हमें प्रदान करते हैं।”








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