2016-12-26 16:22:00

संत स्तीफन द्वारा विश्वास का साक्ष्य


वाटिकन सिटी, सोमवार, 26 दिसम्बर 2016 ( सदोक) संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार 26 दिसम्बर को शहीद संत स्तीफन के पर्व दिवस के अवसर पर संत प्रेत्रुस के प्राँगण में जमा हुए हजारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को देवदूत प्रार्थना के पूर्व अपना संदेश देते हुए कहा,

प्रिय भाइयो एव बहनों,

ख्रीस्त जयंती की खुशी हमारे हृदयों में व्याप्त है। पूजन विधि के पाठों के आधार पर आज हम शहीद संत स्तीफन का त्योहार मनाते हैं जो हमें उनके बलिदान पर मनन करने हेतु निमंत्रण देता है। यह ख्रीस्त विश्वसियों के महिमामय शहादत की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करता है जिन्होंने येसु ख्रीस्त के प्रेम हेतु अपने को समर्पित कर दिया। उनकी शहादत आज भी कलीसिया के इतिहास में जारी है।

इस शहादत का जिक्र हमारे लिए आज का सुसमाचार करता है। मत्ती. 10.17-22) येसु अपने शिष्यों से कहते हैं कि उन्हें उनके नाम पर अत्याचार और प्रताड़ना का शिकार होना पड़ेगा। दुनिया ख्रीस्तीयों से इस कारण घृणा करती है क्योंकि ईश्वर येसु ख्रीस्त की ज्योति को दुनिया में लाया जबकि दुनिया अंधेरे में ही रहना चाहती है जिससे वह बुरे कामों को कर सके। येसु का अनुसरण करने का अर्थ है “ज्योति का अनुसरण ” का करना जो कि हमें ख्रीस्त जयंती की रात को मिली, इस तरह हमें दुनिया के अंधकार का परित्याग करने का आहृवान किया जाता है।

कलीसिया के प्रथम शहीद स्तीफन, पवित्र आत्मा से परिपूर्ण थे जिन्हें पत्थरों से मारा गया क्योंकि उन्होंने अपने विश्वास को ईश्वर के पुत्र येसु ख्रीस्त पर व्यक्त किया। संत पापा ने कहा कि यह पुत्र है जो हम सभी विश्वासियों को बुलाते हैं जिससे हम ज्योति के मार्ग चुनाव करते हुए जीवन के मार्ग में बढ़ सकें। यह हमारे लिए ईश्वर के पुत्र येसु ख्रीस्त के मानव बनने के एक महत्वपूर्ण अर्थ को बतलाता है। येसु को प्रेम करना अर्थात उनके वचनों के अनुसार जीवन यापन करना है जैसा की स्तीफन ने किया। सच्चाई का चुनाव करते हुए उन्हें अपने प्राणों की आहूति देनी पड़ी, लेकिन इसमें ख्रीस्त की विजय हुई।

आज भी विभिन्न स्थानों पर विश्वसियों को ख्रीस्त की ज्योति और सच्चाई का साक्ष्य देना पड़ता है जिसके कारण वे क्रूर प्रताड़ना का शिकार होते और लोहू गवाह होते हैं। हमारे कितने ही भाई- बहनें हैं जिन्हें येसु में अपने विश्वास के कारण दुराचार, हिंसा और घृणा का शिकार होना पड़ता है। आज हम हमारे उस सभी भाई-बहनों की याद करते हैं और प्रेम में अपने को उनके साथ संयुक्त करते हुए उनके लिए प्रार्थना करते हैं जिससे वे अपने जीवन में जोखिमों के बावजूद साहस के साथ अपने विश्वास और ख्रीस्त के प्रति प्रेम में सुसमाचार का साक्ष्य दें सकें।

हमें अपने हृदय में उस ईश्वर के लिए एक स्थान तैयार करना है जिन्होंने अपने को हमें दिया है। हम आनंद और साहस में अपने को उन्हें समर्पित करते हैं जिससे वे हमारा मार्ग प्रदर्शक बनें और हम सुसमाचार के मनोभावों में बने रहते हुए दुनिया के मनोभावों से ऊपर उठकर जीवन जीने में कामयाब हो सकें। हम माता मरियम ईश्वर की माता और शहीदों की रानी से विनय करते हैं कि वे सदैव हमारा मार्ग प्रशस्त करें जिससे हम अपने जीवन की यात्रा में येसु का अनुसरण कर सकें जिसे हम चरनी में देखते और मनन करते हैं जो हमारे लिए पिता के प्रेम का साक्ष्य हैं।

इतना कहने का बाद संत पापा ने विश्वासी समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया और सभों तीर्थयात्रियों और विश्वासियों का अभिवादन करते हुए उन्हें ख्रीस्त जयंती की शुभकामनाएँ अर्पित की और अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

 

 

 








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