2016-12-15 12:08:00

बम्बिन जेसू अस्पताल के बीमार बच्चों की सन्त पापा से मुलाकात


वाटिकन सिटी, गुरुवार, 15 दिसम्बर सन् 2016 (सेदोक): रोम स्थित बम्बिन जेसू अस्पताल सहित सम्पूर्ण विश्व के विभिन्न राष्ट्रों के 150 बीमार बच्चों तथा उनके साथ आये 7000 तीर्थयात्रियों ने गुरुवार को सन्त पापा फ्राँसिस के दर्शन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया।

वाटिकन स्थित सन्त पापा पौल षष्टम भवन में सन्त पापा फ्राँसिस ने सन्त पापा ने रोगी बच्चों से मुलाकात की जिनमें 15 बच्चे केन्द्रीय अफ्रीकी गणतंत्र के भी थे। ये बच्चे बांगुई के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल डिदोन ज़ापालैंगा के साथ रोम पहुँचे हैं।

इस अवसर पर सन्त पापा ने कुछेक बच्चों द्वारा दिये गये साक्ष्यों को ध्यानपूर्वक सुना तथा उनके प्रश्नों का जवाब भी दिया। “ बच्चों को क्यों दुःख उठाना पड़ता है?”, वालेनतीना नामक एक बच्ची  के प्रश्न के जवाब में सन्त पापा ने कहा, "येसु ख्रीस्त ने भी दुःख उठाया किन्तु यह नहीं बताया कि हमें दुःख क्यों उठाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि यह प्रश्न न किया जाये कि दुःख क्यों उठाना पड़ता है बल्कि यह कि दुःख किसके लिये उठाया जा रहा है।" उन्होंने कहा, "येसु ने अपने दुखभोग और क्रूसमरण द्वारा मानव जाति के लिये दुःख उठाया और हमारे प्रति अपने प्रेम का साक्ष्य दिया।"

दीनो नामक एक अन्य बच्चे के प्रश्न के उत्तर में सन्त पापा ने छोटी-छोटी चीज़ों में ही सुन्दरता की खोज करने का परामर्श दिया और कहा कि हम अपने हर काम में सौन्दर्य को देखें तथा उसके लिये ईश्वर के प्रति धन्यवाद दें।

बम्बिन जेसू अस्पताल द्वारा एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि उक्त 150 बच्चों में हालांकि अधिकांश बच्चे इटली के हैं, कुछेक विश्व के दूरस्थ देशों से आये हैं। इनमें आर्जेन्टीना, वेनेज़ुएला, पाकिस्तान, नेपाल, रूस, लेबनान, मोलदोविया, यूक्रेन, बुल्गारिया, अल्बानिया, सर्बिया, पोलैण्ड, कॉन्गो, नाईजिरिया तथा क्रेन्द्रीय अफ्रीकी गणतंत्र के बच्चे शामिल हैं।

सोमवार को जारी बम्बिन जेसू की विज्ञप्ति में बताया गया था कि इस समारोह में वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पियेत्रो पारोलीन के साथ अस्पताल के अधिकारी, चिकित्सक, उपचारक एवं अन्य कर्मचारी भी उपस्थित रहेंगे। यह अस्पताल यूरोप का विख्यात बाल चिकित्सा सम्बन्धी अस्पताल है जहाँ अस्पताल स्टाफ की संख्या लगभग ढाई हज़ार है। प्रति वर्ष यूरोप तथा विश्व के अन्य भागों से भी यहाँ साढ़े 15 लाख से अधिक बच्चों का उपचार किया जाता है।








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