2016-12-15 12:16:00

दलितों कार्य योजना को भारतीय धर्माध्यक्षों का अनुमोदन


नई दिल्ली, गुरुवार, 15 दिसम्बर सन् 2016 (सेदोक): भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन ने काथलिक कलीसिया के अन्तर्गत दलितों की स्थिति के सुधार हेतु एक कार्य योजना को अनुमोदन दे दिया है।

कार्य योजना का लक्ष्य सदियों से चल रहे जाति पर आधारित भेदभाव को समाप्त करना है। ग़ौरतलब है कि भारत के एक करोड़ 90 लाख काथलिक धर्मानुयायियों में एक करोड़ 20 लाख काथलिक दलित हैं जो भारतीय सरकार द्वारा अनुसूचित जातियों, दलितों एवं आदिवासियों को  मिलनेवाली सुविधाओं से भी वंचित हैं।

नई दिल्ली में भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष कार्डिनल बाज़िलियोज़ क्लेमिस तथा केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली की उपस्थिति में, हाल ही में, काथलिक धर्माध्यक्षों की कार्य योजना की घोषणा की गई।

कार्य योजना के प्रस्तावना दस्तावेज़ में कार्डिनल क्लेमिस लिखते हैः "भारत कई सभ्यताओं और धर्मों का उद्गम स्थल है। यहाँ के महान संतों ने आम मानव परिवार की परिकल्पना की है और सभी मनुष्यों में ईश्वरीय किरण के अस्तित्व को मान्यता दी है। दुर्भाग्यवश, भारतीय समाज में जातिवाद और छुआछूत जैसे दाग भी रहे हैं।"

सामाजिक न्याय के संदर्भ में, उन्होंने लिखा, "धर्माध्यक्षों का विश्वास है कि ईश राज्य के निर्माण हेतु नैतिक आवश्यकताओं को पूरा करना हम सब का दायित्व है क्योंकि न्याय के अभाव के परिणामस्वरूप ही दलित कई प्रकार के भेदभावों का शिकार बने हुए हैं, विशेष रूप से, ख्रीस्तीय दलित।

धर्माध्यक्षों के दस्तावेज़ में इस बात की ओर भी ध्यान आकर्षित कराया गया कि जबकि भारत के हिन्दू, सिक्ख एवं बौद्ध दलितों को अनुसूचित जाति की सुविधाएँ मिलती हैं, ख्रीस्तीय दलितों को इन सुविधाओं जैसे आर्थिक लाभ, राजनैतिक प्रतिनिधित्व तथा सरकारी नौकरियों से वंचित रखा जा रहा है।

हाल में प्रकाशित आँकड़ों के अनुसार, भारत में हर 18 वें मिनट पर किसी दिलित के विरुद्ध अपराध होता है। प्रतिदिन तीन दलित महिलाएं बलात्कार की तथा 11 मार-पीट की शिकार बनती हैं तथा दो दलित घरों को आग के हवाले किया जाता है। लगभग 37 प्रतिशत दलित लोग निर्धनता की रेखा से नीचे जीवन यापन को बाध्य हैं, 54 प्रतिशत दलित बच्चे कुपोषण के शिकार हैं, प्रति हज़ार में 83 दलित बच्चों की अपने पहले जन्मदिवस से पहले ही मृत्यु हो जाया करती है तथा 45 प्रतिशत दलित लोग अशिक्षित हैं।








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