2016-12-13 15:19:00

भारतीय घरेलू कामकाजी महिलाओं का विधेयक संसद में पेश करने हेतु तैयार


नई दिल्ली, मंगलवार,13 दिसम्बर 2016(ऊकान): नई दिल्ली में कलीसिया के संगठनों ने घरेलू कामकाजी महिलाओं को उचित मजदूरी और अन्य रोजगार भत्ता सुनिश्चित करने के लिए विधेयक के मसौदे का अंतिम रूप देने हेतु एक राष्ट्रीय विचार-विमर्श सभा में शामिल हुए।

दिल्ली महाधर्मप्रांत के समाज सेवा विभाग ‘चेतनालय’, 28 व्यवसाय संघ, घरेलु कामकाजी महिलाओं के मंच, अन्य नागर समाज संगठनों ने घरेलु कामगार कल्याण और सामाजिक सुरक्षा अधिनियम 2016 पर 1 दिसम्बर से शुरु हुए दो दिवसीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया।

व्यवसाय संघों और संगठनों के संयुक्त संयोजक नलिनी नायक ने कहा,"हम हमारी बहनों को पीड़ा सहते देख चुपचाप नहीं रह सकती हैं। हमारे अधिकारों की माँग करने हेतु अपनी आवाज उठाने का समय आ गया है ।"

तैयार प्रारुप को संसद में पेश करने का अनुरोध करते हुए, श्रम और रोजगार केंद्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। नायक ने कहा कि संसद के कई सदस्यों ने विधेयक पर समर्थन देने का वादा किया है। विधेयक के प्रारुप में, घरेलु कामकाजी महिलाओं के काम करने के घंटे, मजदूरी, छुट्टियाँ, लाभ तथा मालिकों के कर्तव्यों को स्पष्ट किया गया है।

भारत में घरेलु कामकाजी महिलाओं को घर की साफ-सफाई, भोजन पकाने, बच्चों की देखभाल करने और घर के अन्य छोटे मोटे काम करने पड़ते हैं। ज्यादातर महिलाओं को पढ़ने का कोई अवसर नहीं मिला। उन्हें दूरदराज के गाँवों से एक अच्छी नौकरी दिलाने का लालच देकर शहरों में लाया जाता है। हालांकि, शोषण के कई सारे वृतांत हैं।

नायक ने कहा कि भारत में 35 लाख घरेलू कामकाजी महिलाएँ हैं और वे देश की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा अप्रत्यक्ष योगदान दे रही हैं। कानून के बिना उनके अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए ये अकुशल घरेलू कामकाजी मौन और असुरक्षित हैं। सन् 2011 में अपनाये गये घरेलू कामगारों हेतु अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन कन्वेंशन 189 में भारत हस्ताक्षरकर्ता है।

घरेलु कामकाजी महिलाओं के मंच, चेतनालय की अनुशिका थोमसन ने कहा, "घरेलू कामगारों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए," सरकार ने अभी तक कुछ भी नहीं की है। उन्हीं की तरह कई संगठन 6 से भी अधिक सालों से कानून बनाने हेतु माँग करती आ रही है।

श्रम मंत्री  बंडारू दत्तात्रेय ने कार्यशाला के सत्र में भाग लिया। उन्होंने कहा कि सरकार घरेलू कामगारों की समस्याओं से अवगत हैं। आने वाले सत्र मार्च 2017 में वे इसे संसद में पेश करेंगे।








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