2016-12-06 15:09:00

ख्रीस्त को पाने में परिवारों की मदद करें, कार्डिनल अलेंचेरी


कोलोम्बो, मंगलवार, 6 दिसम्बर 2016 (सेदोक) एशियाई कलीसिया का प्रेरितिक कार्य है मसीह की खोज करने में परिवारों की मदद करना। उक्त बात सीरो-मालाबार धर्माध्यक्षीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल जोर्ज अलेंचेरी ने कोलोम्बो में आयोजित एशियाई धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के महासंघ की 11वीं आमसभा (एफएबीसी) में कही।

एरनाकुलम महाधर्मप्रांत के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल अलेंचेरी ने इस बात को जोर देते हुए कहा, ″सबसे पहले हम प्रत्येक को अपने जीवन में येसु ख्रीस्त को पाने व अनुभव करने की आवश्यकता है तभी हम हमारे लोगों के बीच और हमारे परिवारों में येसु ख्रीस्त की उपस्थिति का अनुभव करा सकते हैं और यही सुसमाचार प्रचार है।″

श्रीलंका के कोलोम्बो में 28 नवम्बर से 4 दिसम्बर 2016 तक आयोजित एशियाई धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के महासंघ की 11वीं आमसभा (एफएबीसी) में 40 एशियाई देशों के कार्डिनलों, महाधर्माध्यक्षों, धर्माध्यक्षों, धर्म शास्त्रियों के कुछ प्रतिनिधि एवं कुछ लोकधर्मियों के करीब 140 सदस्यों ने भाग लिया।

आम सभा का आयोजन प्रति चार वर्षों के अंतराल में किया जाता है। इस वर्ष आमसभा की विषयवस्तु थी ″ एशियाई काथलिक परिवार  : स्थानीय कलीसिया द्वारा करुणा का प्रेरितिक कार्य।″ 

करुणावर्ष की जुबली के समापन को ध्यान में रखते हुए हमारा यह प्रयास रहा हैं कि एशिया के काथलिक परिवार दया के प्रेरितिक कार्यों में अपना योगदान दें। उन्होंने कहा, ″मुझे लगता है कि प्रेरितों का और हमारा मार्ग एक ही है, प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन में प्रभु की उपस्थिति का अनुभव कराना तथा अपने परिवारों में येसु ख्रीस्त को खोजने में मदद करना। यह कलीसिया का आम प्रेरितिक कार्य है अर्थात् यही धर्माध्यक्षों, पुरोहितों, धर्मसंघियों और परिवारों का आम प्रेरितिक कार्य है।″

उन्होंने कहा, ″एशिया के परिवार बहु-धार्मिक संदर्भों में जीवन यापन करते एवम् अन्य धार्मिक मान्यताओं के आदर्श परिवारों से प्रभावित होते हैं। एशिया के धर्म ईश्वर को ढूँढ़ने के मार्ग हैं। हम ख्रीस्तीयों के लिए मसीह हमारे विश्वास की गवाही के केंद्र हैं। ईश्वर करुणावान हैं और ईश्वर के करुणामय चेहरे को येसु मसीह प्रकट करते हैं।"

असीसी के संत फ्राँसिस की तरह सभी ख्रीस्तीय, सृष्टि और लोगों में ईश्वर की उपस्थिति का अनुभव करने का लिए बुलाए गये हैं। येसु ख्रीस्त को देखकर, सुनकर एवं अनुभव कर उसका अनुशरण करते हुए आशीर्वाद ग्रहण करना चाहिए। हमारे परिवारों में येसु की उपस्थिति और उसका आशीर्वाद बना रहे। इस सम्मेलन द्वारा एशिया की कलीसिया और पूरे समाज की भलाई हो।








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