2016-12-05 15:44:00

ईश्वर के राज्य हेतु हमारी तैयारी


वाटिकन सिटी, सोमवार, 05 दिसम्बर 2016 सेदोक संत पापा फ्राँसिस ने संत पेत्रुस महागिरजा घर के प्रांगण में जमा हुए सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को देवदूत प्रार्थना के पूर्व ईश्वरीय  राज्य की निकटता और उसकी तैयारी पर अपना संदेश देते हुए कहा,

प्रिय भाई एवं बहनो

सुप्रभात

आगमन के द्वितीय रविवार का सुसमाचार हमें संत योहन बपतिस्ता के वचनों पर मनन करने का निमंत्रण देता है, “हम पश्चाताप करते हुए अपने को तैयार करें क्योंकि स्वर्ग का राज्य निकट है”। (मत्ती.3.2) येसु स्वयं इन वचनों के द्वारा यहूदिया में अपने प्रेरितिक कार्य की शुरूआत करते हैं। (मत्ती.4.17) वे अपने शिष्यों को भी उनके प्रथम प्रेरितिक कार्य में इसी बात की घोषणा करने हेतु भेजते हैं। (मत्ती. 10.7) सुसमाचार रचयिता संत मत्ती अपने लेखन में योहन का जिक्र करते जो मुक्तिदाता येसु ख्रीस्त के आने की तैयारी हेतु अपने को तैयार करने की शिक्षा जनता को देते हैं। यह ईश्वर के राज्य का हमारे बीच आने, उसकी उपस्थिति की आनन्दमयी घोषणा है। “ईश्वर का राज्य तुम्हारे बीच आ गया है”। यह एक अति महत्वपूर्ण घोषणा है जिसे योहन बपतिस्ता अपने उपदेश में कहते हैं। इस बात को येसु स्वयं अपने मुख से भी कहते हैं “ईश्वर का राज्य निकट आ गया है, वह तुम्हारे बीच है”। यह हम ख्रीस्तियों की प्रेरितिक कार्य का मुख्य संदेश है। जब एक ख्रीस्तीय प्रेरित के रुप में सुसमाचार प्रचार हेतु जाता है तो वह लोगों को धर्मपरिवर्तन की शिक्षा नहीं देता और न ही वह केवल इस बात की घोषणा करता है कि “ईश्वर का राज्य तुम्हारे मध्य आ गया है” लेकिन वह एक मार्ग तैयार करता है जिससे लोग ईश्वर से और ईश्वर लोगों से मिल सकें।

संत पापा ने कहा, “लेकिन ईश्वर का राज्य, स्वर्ग का राज्य क्या है”? ये पर्यायवाची शब्द हैं।  इसके द्वारा हम अपनी मृत्यु के उपरान्त अनन्त जीवन की बात सोचने लगाते हैं। यही निश्चय ही एक सत्य है क्योंकि ईश्वर का राज्य हमारे भौतिक जीवन से बढ़कर एक अनंत राज्य है। ईश्वर का राज्य जिसकी चर्चा करते हुए योहन बपतिस्ता लोगों को उपदेश देते हैं, हम भविष्य में उसके आने की प्रतीक्षा न करें क्योंकि वह हमारे बीच उपस्थित है जिसका अनुभव हम वर्तमान समय में अपनी आध्यात्मिक शक्ति के रुप में करते हैं। येसु कहते हैं, “ईश्वर का राज्य तुम्हारे बीच आ गया है”। वे हमारे रोज दिन के जीवन में, हमारे दैनिक कार्य में हमारे बीच अपने प्रभुत्व की स्थापना करने हेतु आते हैं और जब हम इसे अपने जीवन में विश्वास और नम्रता के साथ ग्रहण करते तो यह प्रेम, खुशी और शांति के रुप में हमारे जीवन में प्रस्फुटित होता है।

ईश्वर के इस राज्य में सहभागिता हमारे जीवन में परिवर्तन का आहृवान करती है अर्थात हमें प्रति दिन अपने जीवन को बदलने, रोज दिन अपने जीवन में एक कदम आगे बढ़ने की माँग करता है। संत पापा ने कहा कि येसु हमें अपने जीवन की उन गलियों का परित्याग करने को कहते हैं जहाँ हम दुनिया की सुख सुविधाओं में आराम का अनुभव करते जो हमें अपने मार्ग से भटका देती है, जहाँ हम किसी भी हालत में सफलता हासिल करने की चाह रखते हैं, जहाँ हम कमजोर लोगों के जीवन को दांव में लगाकर शक्तिशाली बनने की चाह रखते हैं, जहाँ हम धन कमाने को आतुर हो जाते और किसी भी कीमत पर खुशी की कामना करते हैं। अपने इन मनोभावों के द्वारा हम येसु ख्रीस्त को जो हमारे जीवन में आते, जो हमारी स्वतंत्रता को हमसे नहीं लेते लेकिन हमें सच्ची खुशी प्रदान करते हैं उनके लिए रास्ता तैयार करने के बजाय उनका रास्ता बंद कर देते हैं। बेतलेहेम में येसु के जन्म द्वारा ईश्वर अपने को मनुष्य के बीच में स्थापित करते हैं जिससे वे उन्हें स्वार्थ, पाप और भ्रष्टाचार से स्वतंत्र कर सकें क्योंकि ये सारी बुराइयाँ शैतान की ओर से हमारे लिए आती और हमारे जीवन से ईश्वरीय खुशी को छीन कर ले जाती है। 

ख्रीस्त का जन्म दिवस खुशी का दिन है, निश्चय ही वाह्य रुप में लेकिन इसके भी बढ़कर यह एक धार्मिक ऐतिहासिक घटना है जो हमारे जीवन में आध्यात्मिक तैयारी की माँग करता है। इस आगमन काल में आइए हम योहन बपतिस्ता के आहृवान से संचालित हो, “ईश्वर का मार्ग तैयार करो, उसके पथ सीधे कर दो”। संत पापा ने कहा जब हम अपने अंतकरणः की जाँच करते और अपने जीवन के पापमय मनोभावों की थाह लेते जैसे कि किसी भी कीमत पर सफलता हासिल करना, कमज़ोरों के जीवन को दाव पर लगाकर शक्तिशाली बनना, धन प्राप्ति का जुनूनी होना और किसी भी कीमत पर सुख की कामना करना, जब हम इन व्यवहारों का परित्याग करते जो ईश्वर के मनोभाव नहीं हैं, तो हम अपने जीवन में ईश्वर का मार्ग तैयार करते हैं।

माता मरिया जिन्होंने प्रेम से प्रेरित होकर अपने को मुक्तिदाता येसु ख्रीस्त हेतु तैयार किया और गेहूँ के दाने के समान नम्र बनी जो धरती में गिर कर येसु के रुप में ईश्वरीय राज्य का एक उत्तम बीज बना, येसु के आगमन की तैयारी में वे हमारी सहायता करें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने सभों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया और सबों को आगमन काल की शुभकामनाएं अर्पित करते हुए अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।








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