2016-12-03 15:30:00

सबसे बड़ी चुनौती अन्याय के विरुद्ध आवाज बुलंद करना है


वाटिकन सिटी, शनिवार, 3 दिसम्बर 2016 (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने फोरचुन-टाईम गोल्ब फोरम के प्रतिभागियों से मुलाकात की और उन्हें अपना संदेश दिया।

उन्होंने कहा कि मैं लोगों की मर्यादा और आत्म सम्मान की रक्षा हेतु किये जा रहे आपके कार्यों हेतु आप का धन्यवाद करता हूँ विशेष रुप से गरीबों और प्रवासियों के लिए जो समाज में बहुधा भूला दिये जाते हैं। जब हम विश्व के उन भाई-बहनों का तिरस्कार करते तो हम न केवल उनके अधिकारों की अवहेलना करते वरन हम ईश्वर प्रदत्त उनके गुणों और क्षमताओं की उपेक्षा करने के साथ-साथ उनकी संस्कृति और उनके रीति-रिवाजों की भी अनदेखी करते हैं। इस प्रकार हम उन्हें और अधिक दुःखित करते और अपने को न केवल भौतिक वरन नैतिक और आध्यात्मिक रुप से निर्धन बनाते हैं।

दुनिया में आज कितनी विषमताएं हैं। विश्व के देशों में लोगों के बीच असमानता की वृद्धि दिन-व-दिन होती जा रही है और कई देशों को गरीबी और विस्थापन जैसी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। लोग अपनी आवाज उठाते हुए अपने भय युक्त सोच विचारों को व्यक्त करते हैं। वे अपने स्थानी समुदायों और समाज में अपने अधिकारों की माँग करते जो मुख्यतः धनी लोगों के लिए बांधे-बांधाये से लगाते हैं। यह कई अवसरों पर हमारे समाज में युद्ध का कारण बनती जो हमें यह अनुभूति दिलाती है कि हमें आशा में जीवन व्यतीत करना है। जब हम अपने समाज में बुराई को पहचानते को हम उसे दूर करने का उपाय ढूँढ़ते हैं। आप की यह उपस्थिति आशा की निशानी है क्योंकि यह हमारे लिए यही घोषित करती है कि आप समाज की बुराई से अवगत हैं और उनके निदान हेतु अपने में समर्पित हैं। समाज में नवीकरण और परिवर्तन की आशा संस्थानों और व्यक्तिगत तौर से हमारे हृदय परिवर्तन की माँग करता है जिससे हम मानव समाज, संस्कृति, धार्मिक विश्वास और अच्छे रीति रिवाजों की सुरक्षा हेतु कार्य कर सकें।

मूलभूत परिवर्तन अर्थव्यवस्था के द्वारा नहीं होता वरन यह लोगों की क्षमताओं को पहचनाने और उनका सम्मान करने में होता है जो हमें ईश्वर की संतान, उनके अनुरूप बनाता है।

संत पापा ने कहा कि हमारी सबसे बड़ी चुनौती अन्याय के विरुद्ध आवाज बुलंद करना है जो समाज में हमारी सहभागिता को कम करती है। हम किस तरह लोगों को प्रोत्साहित और प्रेरित करते हैं जिससे वे अपनी आवश्यकताओं और विपतियों का सामना करने हेतु अपने को तैयार करते हैं। अर्थव्यवस्था का नवीकरण, शुद्धिकरण और सुदृढ़ीकरण तब होता है जब हम अपने को व्यक्तिगत रुप से परिवर्तित करते और उदारता पूर्वक जरूरतमंद लोगों की सेवा हेतु अपने को देते हैं।

मैं आप को प्रोत्साहन देता हूँ कि आप के अच्छे कार्य जरूरतमंद और परित्यक्त जन सामान्य लोगों के विकास हेतु हो। आप अपने को उन लोगों के साथ संलग्न करें जिन्हें आप की अति आवश्यकता है जिससे आप उनकी आवाज बन सकें, उन्हें सुन सकें और उनके अनुभवों से अवगत होते हुए उनकी ज़रूरतों को जान सकें। आप उन्हें अपने भाई-बहन, माता-पिता और बेटे-बेटियों के रुप में देखें जिससे आप चुनौतियों के मध्य मानवता के चेहरे को सही रूप में देखते हुए उत्साहपूर्वक उनकी सेवा कर सकें। आप उनकी आवाज बने जो अपने को व्यक्त करने में असमर्थ हैं। आप के कार्य फलप्रद हों और आप के अच्छे कार्यों हेतु ईश्वर आपको और आपके परिवारों को अपनी आशीष और कृपादानों से भर दे।








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