2016-12-02 14:30:00

बैंगलोर में प्रवासी समुदाय की देखभाल


बेंगलूरू, शुक्रवार, 2 दिसम्बर 2016 (ऊकान): बैंगलोर महाधर्मप्रांत के अप्रवासियों की मदद हेतु गठित आयोग ने भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों एवं नेपाल के प्रवासी ख्रीस्तीय समुदाय खासकर, विद्यार्थी एवं काम करने वाले युवाओं के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया।  

 27 नवम्बर को बैंगलोर के संत जोसेफ बालक उच्च विद्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम में पुरोहितों एवं धर्मबहनों के समेत 600 युवाओं ने भाग लिया।

बैंगलोर के महाधर्माध्यक्ष बेर्नार्ड मोरास ने सभी प्रवासियों को अपने समर्थन का आश्वासन देते हुए कहा, ″हम ने इस कार्यक्रम का आयोजन आपका स्वागत करने तथा बेंगलूरू में अध्ययन करने के दौरान इसे अपना घर होने का सा अनुभव दिलाने के लिए किया है।″

शिलोंग से बेंगलूरू में एई पी एस अधिकारी बाह लादा मारथिंग ने कहा, ″यदि हम सच्चे और अपने कामों में वफादार हैं तो आपस में शांति एवं सौहार्द की भावना होगी।″ उन्होंने दूसरे राज्य में निवास करते हुए मानव अधिकार एवं प्रतिष्ठा का ख्याल करने तथा स्थानीय लोगों की संस्कृति को अपनाने की आवश्यकता बतलायी।

प्रतिभागियों में खासी, तंगहुल, मिजो, नेपाली, गारो, बोडो, जयंतिया, वानको, अरूनाचली एवं अन्य जातियों के लोग थे।

जेस्विट कॉलेज समुदाय के प्रचार्य फा. अंतोनी जोसेफ ने अपने संदेश में बैंगलोर में रह रहे उत्तर पूर्व के सभी प्रवासी समुदाय को एक होने की सलाह दी। 

दार्जिलिंग धर्मप्रांत के फा. दाऊद ने 9 अन्य पुरोहितों के साथ ख्रीस्तयाग की अगुवाई की जो उत्तर पूर्व के हैं तथा विभिन्न प्रवासी समुदायों के आध्यात्मिक संचालक भी हैं।

फा. सोलोमोन थेज़ी ने कहा, ″मुझे बड़ी खुशी हुई कि महाधर्मप्रांत ने बिना किसी संदेह के सभी का स्वागत किया और अपने बीच हमें स्वीकारा है।″

प्रतिभागियों में से एक रोसलिन वारहजारी ने गौर किया कि सम्मेलन उत्तर पूर्व के लोगों के लिए एकता का चिन्ह था। यह उन 150 लड़कियों के लिए खास था जो गारो समुदाय से हैं तथा वस्त्र उद्योग में काम करती हैं।

महाधर्मप्रांत में प्रवासियों के लिए आयोग का गठन अक्तूबर 2015 में किया गया है तभी से प्रवासी भाई बहनों के लिए कई कार्यक्रम चलाये जा चुके हैं जबकि यह पहली बार है जब नेपाल एवं उत्तर पूर्व के प्रवासी ख्रीस्तीय समुदाय के लिए इस तरह का कार्यक्रम आयोजित किया गया। 








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