वाटिकन सिटी, सोमवार, 28 नवम्बर 2016 (सेदोक) : वाटिकन के क्लेमेंटीन सभागार में संत पापा फ्राँसिस ने करुणा की जुबली वर्ष के आयोजकों और सहकर्मियों को संबोधित किया। संत पापा ने उनका अभिवादन करते हुए कहा, ″असाधारण जुबली वर्ष के समापन पर, मैं बड़े हर्ष के साथ आप सबों के योगदान के लिए सहृदय धन्यवाद देता हूँ।
विशेष रुप से, मैं मोन्सिन्योर रीनो फिसिकेला के बहुमूल्य प्रतिबद्धता के प्रति आभार प्रकट करता हूँ। वास्तव में, पूरे वर्ष कलीसिया में बहुत सारे पहल किये गये जहाँ हमें ईश्वर की दया को देखने और स्पर्श करने का अवसर मिला।
जब मैंने दया की जयंती के लिए इच्छा जताई तो मेरा एक सामान्य अनुमान था परंतु इसे प्रभु ने इतनी बड़ी वास्तविकता बना दी जिससे पूरे विश्व के ख्रीस्तीय समुदायों के बीच खुशी और गहरी आस्था के साथ यह समारोह सम्पन्न हो पाया। सभी महागिरजाघरों और तीर्थ स्थानों में करुणा का पवित्र द्वार खोल दिये गये थे जिससे ख्रीस्तीयों को ईश्वर के प्रेम का अनुभव करने में किसी तरह की बाधा नहीं हुई। जुबली वर्ष में सचमुच आसाधारण बात हुई, अब विश्वासियों के रोजमर्रा की जिंदगी में दया के लिए एक प्रतिबद्धता और स्थायी रुप से इसे जीने का एक तरीका बनाने की आवश्यकता है।
संत पापा ने कहा,″आप सभी ने अलग अलग तरीकों से अनुग्रह की इस घटना को तीर्थयात्रियों की बड़ी संख्या के साथ सुरक्षित रूप से मनाने हेतु संभव बना दिया है। सर्व प्रथम मैं इटली गणराज्य के गृह मंत्री के प्रति अपना आभार प्रकट करता हूँ जिन्होंने रोम और पूरे देश में तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और शाँति पूर्वक जुबली समारोह को संपन्न कराने की जिम्मेदारी ली थी। साथ ही मैं पुलिस अधीक्षक और रोम की पुलिस को धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने वाटिकन की सुरक्षा दलों के साथ मिलकर तीर्थयात्रियों की सुरक्षा हेतु अपनी सेवा प्रदान की है।
मैं इटली सरकार और परमधर्मपीठ के द्विपक्षीय आयोग के सचीव प्रोफेसर क्लाउदियो डी. विनचेंती और अन्य सदस्यों के प्रति आभार प्रकट करता हूँ। मैं वाटिकन सुरक्षाबल ‘स्विस गार्ड’ और वाटिकन के सभी संस्थानों, विशेष रूप से गवर्नर और संत पेत्रुस महागिरजाघर में काम करने वालों के समर्पण को नहीं भूल सकता। स्वास्थ्य सुविधाओं हेतु सावधानीपूर्वक योजना बनाने हेतु लाज़ियो राज्य के अध्यक्ष जिंगरेत्ती और उनके सहयोगियों के प्रयासों के लिए मैं हार्दिक धन्यवाद देता हूँ। रोम के तकनीकी सचिवालय के अध्यक्ष श्रीमति पावला बासिलोने और उनके सहयोगियों को बधाई देता हूँ जिन्होंने विभिन्न प्रशासनिक निकायों को एकत्र किया और सभी जयंती घटनाओं का प्रभावपूर्ण प्रदर्शन किया है।
अंत में मैं नवीन धर्मप्रचार हेतु गठित परमधर्मपीठीय समिति के प्रति हार्दिक आभार प्रकट करता हूँ जिन्होंने जयंती वर्ष की योजनाओं और संगठनों का पूरा भार वहन किया है; दुनिया के विभिन्न भागों से आए कई स्वयंसेवकों और सहकर्मियों का सहृदय धन्यवाद देता हूँ।
"यदि आप करुणा की चाह करते हैं तो खुद करुणावान बनें।" (संत अगुस्टीन का उपदेश 259,3)
अंत में संत पापा ने कहा कि संत अगुस्टीन के ये शब्द आप को सांत्वना दे। आपकी कड़ी मेहनत बेकार नहीं जाएगी। ईश्वर आपको दया के अनुभव से पुरस्कृत करे।
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