2016-11-23 15:06:00

ईश्वर के प्रति ईमानदार रहने वालों को मृत्यु से भय नहीं, संत पापा


वाटिकन सिटी, बुधवार, 23 नवम्बर 2016 (सेदोक) : मृत्यु डरावनी नहीं है यदि हम ईश्वर के प्रति ईमानदार बने रहें। परंतु कभी कभी दुनिया की क्षणभंगूरता और मायामोह में फँसकर इस प्रकार जीवन बिताते हैं जैसे हमारी मृत्यु कभी नहीं होगी। उक्त बातें संत पापा फ्राँसिस ने मंगलवार 22 नवम्बर को प्रेरितिक निवास संत मार्था के प्रार्थनालय में यूखरीस्तीय समारोह के दौरान अपने प्रवचन में कही।

संत पापा ने प्रकाशना ग्रंथ से लिए गये पाठ पर मनन करते हुए अपना प्रवचन न्याय के अंतिम दिन येसु का सामना करने की वास्तविकता पर ध्यान केंद्रित किया। ईश्वर से बुलावा आने का अर्थ है हमारा जीवन समाप्त हो जाना क्योंकि हम सब मर जायेंगे। पूजनविधि पंचांग के अंतिम सप्ताह में कलीसिया अंतिम न्याय के पाठों को पेश करती है। संत पापा स्वीकार करते हैं कि हम सब इन चीजों के बारे में सोचना पसंद नहीं करते हैं लेकिन इस वास्तविकता को हम सब को सामना करना पड़ेगा।

संत पापा ने कहा कि वे एक डायरी में उन सभी का नाम लिखते हैं जिनकी मृत्यु हो जाती है और प्रतिदिन उस डायरी को खोलते और उनकी मृत्यु की बरसी को देखते हैं। यह उन्हें सोचने के लिए प्रेरित करता है कि हम अपने पीछे क्या छोड़कर जायेंगे। हमारे जीवन का पता लगाने के लिए क्या सुराग छोड़ेंगे और हम प्रत्येक को क्या न्याय मिलेगा।  न्याय के दिन येसु मुझसे पूछेंगे कि उनके दिये हुए गुणों और प्रतिभाओं का  क्या मैंने सदुपयोग किया। मेरा दिल कैसा था जब उन्होंने विश्वास का बीज बोया ?  क्या मैंने उनके वचनों को खुले हृदय से सुना ?

संत पापा ने न्याय के दिन की चेतावनी देते हुए कहा कि ख्रीस्तीय कभी धोखा नहीं दे सकते। वे बनावटी या मनमुटाव का जीवन नहीं जी सकते हैं। वे अपने आप को धोखा नहीं दे सकते मानो कि वे कभी नहीं मरेंगे। संत पापा ने कहा यदि प्रभु आयेंगे तो वे मुझे कैसा पायेंगे ? उनके लिए इन्तजार करते हुए या सांसारिक चीजों से घिरे हुए ?

प्रभु के प्रति निष्ठावान बने रहने से वे हमें कभी निराश होने नहीं देंगे। मृत्यु आने पर असीसी के संत फ्राँसिस के समान हम भी कह पायेंगे,’बहन मृत्यु आओ....’ मृत्यु से हमें भय नहीं लगेगा। न्याय के दिन हम प्रभु के देख पायेंगे और कहेंगे; प्रभु मुझसे बहुत गलतियाँ हुई है पर मैंने आपके प्रति निष्ठावान बने रहने की पूरी कोशिश की। हमारे प्रभु भले है वे हमसे कहेंगे, ″मृत्यु तक ईमानदार बने रहो ओर मैं तुम्हें जीवन का मुकुट दूँगा।″  इसी निष्ठा के साथ हमें मौत का डर नहीं होगा और न न्याय के दिन का डर होगा।

प्रवचन के अंत में संत पापा ने विश्वासियों को अपने न्याय के दिन के बारे विचार करने और प्रभु के प्रति निष्ठावान बने रहने का आग्रह किया।

 








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