2016-11-19 15:21:00

बिरसा मुण्डा की जयन्ती पर राजनीति


नई दिल्ली, शनिवार, 19 नवम्बर 2016 (ऊकान): आदिवासी नेता और स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की जयन्ती को मनाने में राजनीतिक पार्टियों के अचानक उत्साह ने कलीसिया के धर्मगुरूओं एवं कार्यकर्ताओं को विस्मय में डाल दिया है।

झारखंड में बी. जे. पी. सरकार एवं दिल्ली में इसके नेताओं तथा कई अन्य जगहों पर बिरसा मुण्डा की 141वीं जयन्ती को सभा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित कर धूमधाम से मनाया गया जो कि पहले कभी नहीं देखा गया था।

भारतीय काथलिक धर्माध्यक्षों के कार्यालय में आदिवासी विभाग के सचिव फादर स्तानिसलास तिरकी ने ऊका समाचार से कहा, ″दुर्भाग्य से, अब कुछ सांप्रदायिक ताकत बिरसा मुण्डा तथा उनके जीवन का अपने लाभ हेतु राजनीतिकरण कर रहे हैं।″   

उन्होंने कहा कि आदिवासी इस दिन को पूरे भारत में मनाते आ रहे हैं, विशेषकर, बिरसा की जन्म भूमि झारखंड में किन्तु राजनीतिक दल अब इसे आदिवासियों को खुश करने के लिए एक अवसर के रूप में देख रहे हैं।

 फादर ने संदेह व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसा करने के द्वारा शायद वे मुण्डा जाति के आदिवासियों को अपनी ओर करना चाहते हैं ताकि उनका वोट बैंक बढ़ सके।

आदिवासी नेता बिरसा मुण्डा का जन्म 15 नवम्बर सन् 1875 ई. में बिहार के उलहातु में हुआ था जो अब झारखंड के खूँटी जिला में पड़ता है। उन्होंने आदिवासियों को उनके अधिकारों तथा ब्रिटिश लोगों के शोषण के विरूद्ध संघर्ष करने हेतु उनकी अगुवाई की थी।

 आदिवासियों ने उनका समर्थन करते हुए अंग्रेजों के अन्याय के विरूद्ध विद्रोह किया। बिरसा मुण्डा अंग्रेजों के शोषण के विरूद्ध सतत् संघर्ष करने वाले नेता के रूप में जाने जाते हैं। 

झारखंड के आदिवासी कार्यकर्ता ग्लैडशन डुंगडुंग ने कहा, ″राजनीतिक नेता आदिवासियों का सामाजिक-आर्थिक विकास नहीं चाहते हैं। उनका यह उत्सव मनाना मात्र आदिवासियों को खुश करना है ताकि उनका विश्वास जीत सकें।″ उन्होंने कहा कि राजनीतिक नेताओं का मकसद  आदिवासियों को जाति, धर्म और आस्था के नाम पर विभाजित करना है। पहले भी उन्होंने संथाल जाति को खुश करने का प्रयास किया था जिसमें वे असफल रहे और अब मुण्डा आदिवासियों को खुश करने का प्रयास कर रहे हैं।

उन्होंने डर व्यक्त करते हुए कहा कि नेता अपनी इस चालाकी में कहीं सफल न हो जाएँ क्योंकि आदिवासी शिक्षा की कमी एवं गरीबी के कारण आसानी से ठग लिये जाते हैं।

नई दिल्ली में संथाल संगठन के अध्यक्ष मुरमू ने कहा, ″हमें अपनी विविधताओं को त्यागकर तथा एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना चाहिए यदि हम अपने जीवन को बेहतर बनाना चाहते हैं।″

जनजातीय मामलों के संघीय मंत्री जुवेल ऊराँव ने 13 नवम्बर को नई दिल्ली में बिरसा मुण्डा जयन्ती मनाते हुए कहा, ″हमारे लोग कठोर परिश्रमी एवं ईमानदार हैं किन्तु आक्रामक नहीं। हमें एक मंच पर आना होगा तथा आदिवासियों के विकास के लिए कार्य करना होगा।″








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