2016-11-18 15:51:00

धन के प्रति आप के मनोभाव कैसे हैं?


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 18 नवम्बर 2016 (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार को संत मार्था के निवास में अपनी प्रातःकालीन ख्रीस्तीयाग के दौरान प्रवचन में कहा, “लोग उन पुरोहितों को क्षमा नहीं करते जो धन के प्रति आसक्त हो जाते हैं। ईश्वर हमें ख्रीस्तीय निर्धनता में जीवन जीने की कृपा प्रदान करें”।  

उन्होंने साप्ताहिक पाठों के आधार पर अपना चिंतन प्रस्तुत करते हुए कहा कि येसु उन लोगों को मन्दिर से खदेड़ते हैं जिन्होंने ईश्वर के प्रार्थनामय गृह को लुटेरों का अड्डा बन दिया था। उन्होंने कहा कि धन के प्रति प्रेम ईश्वर के राज्य को बर्बाद करने वाले बीज के समान है। संत पापा ने कहा “जिसका हृदय धन पर आ गया वो मानों मूर्ति पूजक बन गया।” येसु हमें कहते हैं कोई भी दो स्वामियो, धन और ईश्वर की सेवा नहीं कर सकता है। धन, संत पापा ने कहा कि ईश्वर के विरूद्ध है लेकिन हम चुनाव कर सकते हैं।

ईश्वर का घर प्रार्थना का घर है जहाँ हम ईश्वर और उनके प्रेम से मिलते हैं। लेकिन जब यह धन ईश्वर के घर में प्रवेश कर जाता तो यह पुरोहितों के जीवन को बर्बाद कर देता है। यह हमारे जीवन से ईश्वर को दूर कर देता क्योंकि हम सच्चे ईश्वर की सेवा आनंदमय हृदय से नहीं कर सकते हैं जो हमारे लिए सच्ची खुशी के स्रोत हैं।

यह हमारी व्यक्तिगत चाह है संत पापा ने कहा, “धन के प्रति आप के मनोभाव कैसे हैं? क्या आप धन के प्रति आसक्त हैं”?

विश्वासी पुरोहितों के सभी गलतियों और कमजोरियों को क्षमा करते हैं लेकिन उन्हें दो चीजों को क्षमा करने में कठिनाई का अनुभव होता है एक धन के प्रति उनकी आसक्ति और दूसरा विश्वासियों से किया गया दुर्व्यवहार। ये दोनों बातें उनके लिए अपचनीय होती हैं और वे उन्हें क्षमा नहीं कर पाते हैं। 
संत पापा ने कहा कि एक पुरोहित को उसके जीवन के अंतिम क्षणों में दुःख की घड़ी में देखना दुखदायी होता है जो कि अचेतना की अवस्था में पड़ जाता और उसके नाती-पोते गिद्धों की भांति उसकी चीजों-वस्तुओं को उससे पास से लेने हेतु मँडराते हैं। हम अपने को ईश्वर के हाथों में सुपुर्द करें जो हमारी आत्मा की चिंता करते हैं। हम अपने जीवन में साहस पूर्व चुनाव करें। एक ईमानदार ईश्वर का कार्यकर्ता अपने स्वार्थ सिद्धि हेतु पैसे की बचत नहीं क्योंकि यह मूर्तिपूजा के समान है। हमें ईश्वर से निवेदन करे कि वे हमें ख्रीस्तीय निर्धनता की कृपा से विभूषित करें जिससे हम उचित चीजों हेतु कार्य कर सकें और अधिक चीजों की कमाना से बचे रहें। 








All the contents on this site are copyrighted ©.