2016-11-17 11:46:00

प्रेरक मोतीः सन्त रोज़ फिलीपिने ड्यूकेन


वाटिकन सिटी, 18 नवम्बर सन् 2016:

रोज़ फिलीपीने का जन्म फ्राँस के ग्रेनोबेल में सन् 1769 ई. में हुआ था। सन् 1818 ई. में रोज़ ने येसु के पवित्रतम हृदय को समर्पित धर्मसंघ में प्रवेश पाया तथा सुसमाचारी शपथें ग्रहण की। सन् 1818 ई. में जब वे 49 वर्ष की थी तब उन्हें प्रेरिताई के लिये अमरीका भेज दिया गया था।

अमरीका में रोज़ ने शिक्षा प्रदान करने का बीड़ा उठाया तथा सेन्ट लूईस के निकट किशोरियों के लिये "डॉटर्स ऑफ पाईनियर्स" शीर्षक से एक छात्रावास की स्थापना की। इसी बीच, उन्होंने मिसोरी के पश्चिमी क्षेत्र में सबसे पहले निशुल्क स्कूल की भी स्थापना की। अपने शिक्षा अभियान में दृढ़तापूर्वक आगे बढ़ते हुए उन्होंने 71 वर्ष की आयु में अमरीका की जनजातियों के लिये एक स्कूल की स्थापना की जिन्होंने रोज़ को "सतत् प्रार्थनारत महिला"  नाम से पुकारना शुरु कर दिया और इसी नाम से वे सर्वत्र विख्यात हो गई।

रोज़ की आत्मकथा रचनेवाले लेखकों ने उनके पवित्र और सरल जीवन के साथ-साथ कठिन परिस्थितयों में उनके साहस तथा जनजातियों की सेवा के स्वप्न को साकार करने में उनकी दृढ़ता एवं एकाग्रता की भी बहुत सराहना की है।

प्रभु सेविका रोज़ फिलीपीने को सन्त पापा पियुस 12 वें ने सन् 1940 ई. में धन्य घोषित किया था तथा सन् 1988 ई. में सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने उन्हें सन्त घोषित कर वेदी का सम्मान प्रदान किया था। सन्त रोज़ फिलीपिने का पर्व 18 नवम्बर को मनाया जाता है।

चिन्तनः "मैं हर पल प्रभु को धन्य कहूँगा; मेरा कण्ठ निरन्तर उसकी स्तुति करेगा। मेरी आत्मा गौरव के साथ प्रभु का गुणगान करती है। दीन-हीन उसे सुन कर आनन्द मनाये। मेरे साथ प्रभु की महिमा का गीत गाओ। हम मिल कर उसके नाम की स्तुति करें" (स्तोत्र ग्रन्थ 34:1-3)। 








All the contents on this site are copyrighted ©.