2016-11-14 15:59:00

दुनिया की सभी चीजें क्षणभंगुर हैं


वाटिकन सिटी, सोमवार, 14 नवम्बर 2016, (सेदोक)संत पापा फ्राँसिस ने संत पेत्रुस के महागिरजाघर में समाज से परित्यक्त और परिवारों से छोड़ दिये गये लोगों हेतु जयंती का ख्रीस्तयाग अर्पित किया।

“तुम्हारे लिए न्याय का सूर्य उगेगा।” उन्होंने नबी मलआकी के ग्रंथ से लिये गये इन शब्दों से अपने प्रवचन की शुरूआत करते हुए कहा कि यह शब्द जयंती के इस दिन को अपनी ज्योति से प्रकाशित करता है। ये शब्द उनके लिए कहे गये हैं जो ईश्वर पर विश्वास करते हैं, जो उन पर अपना भरोसा रखते हैं। जो ईश्वर के महान कार्यों पर विश्वास करते हुए केवल अपने लिए नहीं वरन् दूसरे के लिए जीते हैं। वे जो भौतिक रुप से अपने जीवन में गरीब हैं लेकिन वे ईश्वर में धनी हैं उनपर न्याय का सूर्य उगेगा। येसु यहाँ उन लोगों के बारे में जिक्र करते हैं जो दीन-हीन हैं जो स्वर्ग राज्य के अधिकारी हैं। (मती. 5.3) नबी मलआकी के वचनों में ऐसे लोगों को ईश्वर विशेष निधि की संज्ञा देते हैं। नबी धनियों को अगल करते हैं जो अपने जीवन में भौतिक वस्तुओं और अपनी संपन्नता के कारण शेखी बघारते हैं। पुराने विधान का अंतिम पृष्ट उनके जीवन में एक चुनौती पूर्ण सवाल करता है, आप अपनी सुरक्षा की कामना कहाँ करते हैं? येसु में या अन्य दूसरी चीजों में जो ईश्वर को प्यारी नहीं हैं? आप के हृदय को कैसी चीज़ें प्यारी हैं, येसु का जीवन या क्षणभंगुर चीज़ें जो हमें संतुष्टि प्रदान नहीं करती हैं।

सुसमाचार में यही सवाल हमारे लिए पुनः आता है। येसु येरुसलेम में अपने जीवन के अति महत्वपूर्ण समय, जीवन और पुनरुत्थान के मध्य हैं। वे मन्दिर परिसर में हैं जहाँ लोग मन्दिर की भव्यता का बखान करते हैं। लेकिन येसु उनसे कहते हैं, “वे दिन आने वाले हैं जब तुम एक पत्थर को दूसरे पत्थर के ऊपर रखा हुआ नहीं पाओगे। (लूका. 21.6) वे दुनिया में होने वाली घटनाओं और विपत्तियों के बारे में जिक्र करते हैं। इसके द्वारा येसु हमें भयभीत करना नहीं चाहते हैं लेकिन वे हमें कहते हैं कि वर्तमान में तुम जो कुछ देख रहे हो सभी चीज़ें खत्म हो जायेंगी। यहाँ तक की सबसे मजबूत साम्राज्य, सबसे पवित्र महल और दुनिया की सुनिश्चित चीजें भी हमेशा के लिए नहीं रहेंगी।

येसु की बातों को सुन कर लोग तुरन्त उनसे दो सवाल पूछते हैं, “यहाँ कब होगा, और इसकी निशानी क्या होंगीं?” येसु इन कौतूहल भरे सवालों की ओर ध्यान नहीं देते हैं। ठीक इसके विपरीत वे लोगों को विनाशकारी उपदेशकों और घटनाओं से विचलित नहीं होने को कहते हैं। इस सारी घटनाओं से पीछे येसु हमें उन चोजों को देखने कहते हैं जो उनकी ओर से हमारे लिए आती हैं जो हमारे लिए महत्वपूर्ण है। वे हमें ईश्वर की वाणी को पहचानने का निमंत्रण देते हैं जो प्रतिदिन हमारे जीवन में हमें सुनाई देती है। येसु हमें द्दढ़तापूर्वक कहते हैं कि हम इतिहास में होने वाली घटनाओं से न घबराये और न ही उन अति गंभीर बातों और अन्यायों से जिनका शिकार हमें अपने जीवन में होना पड़ता है। इसके बदले वे हमें अच्छाई में बने रहने और ईश्वर पर विश्वास और भरोसा रखने को करते हैं जो हमें कभी हताश और निराश होने नहीं देते हैं। “तुम्हारे सिर का बाल भी बाँका नहीं होगा।” (लूका.21.18) ईश्वर अपने विश्वासी भक्तों को नहीं भूलते है। वे हमें कभी नहीं छोड़ते हैं।

संत पापा ने कहा कि आज के पाठों के माध्यम हमारे जीवन का चित्रण एक छलनी के रुप में किया गया है जिससे होकर हमारा जीवन प्रवाहित होता है। यह हमें इस सत्य की याद दिलाती है कि दुनिया की सभी चीजें क्षणभंगुर हैं जो पानी की तरह बह जाती हैं। लेकिन जीवन की कुछ हकीकतें हैं जो धन के समान रह जाती हैं जो कि कीमती पत्थर के समान है। हमारे जीवन में दो चीजें, ईश्वर और हमारे पड़ोसी रह जाते हैं जो हमारे लिए मूल्यवान हैं। ये दो महानतम चीज़ें हैं जिन्हें हमें प्रेम करने की जरूरत है। जीवन की सारी चीजें जो अति मनोरम हैं, यह पृथ्वी,  यहाँ तक कि यह महागिरजाघर भी सारी चीजें समाप्त हो जायेंगी लेकिन हमारा जीवन ईश्वर और पड़ोसी से बना रहेगा।

अलगाव की बात शीघ्र ही हमारे जेहन में कुछ अति महत्वपूर्ण लोगों की यादें लाती हैं न कि बेकार वस्तुओं की। मानव सृष्टि में ईश्वर की सर्वोतम कृति है जिसे हम बहुधा अपने जीवन में क्षणभंगुर चीजें के बदले में त्याग देते हैं। यह स्वीकार्य नहीं है क्योंकि ईश्वर की नजरों में मानव सबसे मूल्यवान प्राणी है। यह हमारे लिए अपशकुन है कि हम इस परित्याग के आदी होते जा रहें हैं। हमारे अपने भाई-बहनों के प्रति अंसवेदनशीलता और उनके दुःख तकलीफों का ध्यान न देना हमारे लिए चिंता का विषय है।

प्रिय भाइयो एवं बहनो यह आप की जयंती का दिन है। आप की उपस्थित हमें ईश्वर के साथ जोड़ती और उनकी नजरों से हमें चीजों को देखने हेतु प्रेरित करती है। ईश्वर केवल हमारे रुप को नहीं देखते लेकिन उनकी नजरें हमारे स्वभाव को देखती हैं जो लाजरूस के रुप में है। हम उनके जैसे दीन-हीन, परित्यक्त, त्याग दिये गये लोगों की ओर ध्यान न देकर कितनी बड़ी गलती करते हैं। ऐसा करते हुए हम अपने को ईश्वर से दूर कर लेते हैं। यह आध्यात्मिकता की कठिन स्थिति को दिखलाती है जहाँ हम व्यक्ति को छोड़कर वस्तुओं को अपने जीवन में अधिक प्रेम करने लगते हैं। यह वर्तमान की अति दुखदायी और विरोधाभास स्थिति है जहाँ हम विकास करते हुए नयी संभावनाओं की ओर बढ़ते हैं। यह हमारे लिए एक घोर अन्याय की बात है अतः दुनिया के अंत के कारणों को जानने की अपेक्षा हमें इसकी ओर हमें ध्यान देने की जरूरत है। हम अपने जीवन के कामों को चुपचाप नहीं कर सकते जबकि लाजरूस हमारे घर के द्वारों पर पड़ा है। धनियों के घरों में शांति तब तक नहीं विराजती जब तक सभी घरों में न्याय नहीं है।

संत पापा ने कहा कि आज विश्व में करुण के द्वारों को बंद किया जा रहा है। आइए हम ईश्वर से निवेदन करें कि वे हमें अपनी आंखों को खोलने की शक्ति दे विशेषकर उनके लिए जो हम से सहायता की माँग करते हैं। आइए हम अपनी आंखों को ईश्वर के लिए खोलें और अपने हृदयों को दिखावे, घमंड और भय से परिशुद्ध करें। आइए हम ईश्वर को विश्वास की नजरों से देखें जिनका प्रेम हमारे लिए कभी खत्म नहीं होता है। आइए हम एक सच्चे जीवन के लिए अपने को खोले जिसके लिए हमें यह जीवन मिला है। हम अपने जीवन को विशेषकर उन भाई-बहनों के लिए खोलें जिन्हें भूला और त्याग दिया गया है। ईश्वर हमें अपने में सीमित हो कर रहने से बचाये। वे हमें दुनियादारी से बचाये रखें।

माता मरिया कलीसिया में विशेषकर अपनी दया दृष्टि उस ओर फेरती हैं जहाँ दुःख है और सहायता हेतु निवदेन किये जाते हैं क्योंकि वे जानती हैं कि हम कलीसिया के द्वार उनके साथ संयुक्त हैं। यह हम सबों का उत्तरदायित्व है कि हम कलीसियाई कर्तव्य और अधिकार के अनुरूप उनकी सहायता करें जो धनी होते हुए भी गरीब हैं। रोमन शहीद लोरेन्स ईश्वर के प्रेम में घोर यंत्रणा सहने के पहले अपने समुदाय की सभी चीजों को गरीबों के बीच बाँट दिया यह कहते हुए कि वे कलीसिया के सच्चे धन हैं। हम ईश्वर से निवेदन करने की वे हमें बिना भय के सच्ची बातों को देखने में मदद करें जिससे हम अपने हृदयों को सच्चे धन की ओर उन्मुख कर सकें। 








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