2016-11-12 16:41:00

गरीबों और परिवार विहीनों हेतु जयंती


वाटिकन सिटी, शनिवार, 12 नवम्बर 2016 (वीआर सेदोक): संत पापा ने शुक्रवार को रोम में, यूरोप के 6000 ऐसे लोगों का स्वागत किया जो बेघर होने के कारण सड़कों पर गुजर-बसर करने के लिए मजबूत हैं अथवा सोने के लिए मजबूर थे।

समाज से बहिष्कृत लोगों के लिए करुणा की जयन्ती ने, न केवल आवास हीन लोगों का आलिंगन किया किन्तु वंचित एवं गरीबी में जीवन यापन करने वाले सभी लोगों का भी स्वागत किया है।

इसका आयोजन काथलिक संगठन ″फ्रातेल्लो″की मदद से की गयी है जो बहिष्कृत लोगों की मदद हेतु गठित संस्थाओं की सहकारिता में कार्य करती है।

दो व्यक्तियों का साक्ष्य सुनने के बाद संत पापा ने उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए रोम आकर उनसे मुलाकात करने एवं उनके लिए प्रार्थना करने हेतु उन्हें धन्यवाद दिया।

संत पापा ने प्रथम साक्षी की बातों पर गौर करते हुए कहा कि मानव जाति दुनिया के बड़े कहे जाने वाले लोगों से अलग नहीं होती। बड़े अथवा छोटे सभी की अपनी-अपनी आशाएँ एवं आकांक्षाएँ होती हैं अतः लोगों को ख्वाब देखने से कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने कहा कि गरीब सुसमाचार के केंद्र में हैं वे येसु के पास आये क्योंकि उन्हें लगा कि येसु ही उन्हें मदद और चंगाई प्रदान कर सकते हैं।

संत पापा ने दूसरे साक्षी की बातों पर गौर करते हुए कहा, ″जीवन खूबसूरत बन जाता है″ जो प्रतिष्ठा का प्रतीक है। सुन्दरता के साथ साक्षात्कार करने की क्षमता वह है जो सबसे दुखद और उदासी से पूर्ण परिस्थिति में भी स्थित रह सकता है। इसे केवल वही स्त्री एवं पुरुष कर सकते हैं जिसमें प्रतिष्ठा है। संत पापा ने एकात्मता के सदगुण पर जोर दिया, विशेषकर, उन लोगों के प्रति जिनका जीवन कठिन है ताकि वे भी दूसरों के प्रति सहानुभूति प्रकट कर सकें जिन्हें अधिक तकलीफ है। 

अंततः संत पापा ने शांति पर भी चर्चा की तथा सभी का अह्वान किया कि विश्व में शांति को बढ़ावा देने के लिए कार्य करना जारी रखें। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी निर्धनता है युद्ध। यह एक ऐसी गरीबी है जो नष्ट करती है। विश्व और कलीसिया में आज हमें शांति की जरूरत है।

संत पापा के सम्बोधन के अंत में ग़रीबों एवं वंचित लोगों के एक दल ने मंच पर आकर संत पापा के चारों ओर खड़े होकर अपने हाथ उनकी ओर बढ़ाते हुए उनके लिए प्रार्थना अर्पित की।

 

Usha Tirkey








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