2016-11-11 16:34:00

ख्रीस्तीय प्रेम ठोस है न की विचारधारा और बौद्धिकता


वाचिकन सिटी, शुक्रवार, 11 नवम्बर 2016 (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार को वाटिकन के अपने निवास संत मार्था के प्रार्थनालय में अपने प्रातःकालीन मिस्सा के बलिदान के दौरान अपने प्रवचन में कहा कि ख्रीस्तीय प्रेम ठोस है न की कोई विचारधारा और बौद्धिकता।

 उन्होंने दैनिक पाठों के आधार पर प्रेरित संत योहन के द्वितीय पत्र पर अपना चिंतन प्रस्तुत करते हुए विश्वासियों को ख्रीस्तीय प्रेम के आचरण के अनुरूप जीवन यापन करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि येसु हमें एक आदेश देते हैं कि हमें प्रेम के मार्ग में चलना है। संत पापा ने कहा, “लेकिन यह किस तरह का प्रेम है?” ख्रीस्तीय प्रेम का रुप हमारे लिए येसु में मानव का रुप है। जो ईश्वर के इस रुप को स्वीकार नहीं करता वह तो उसका प्रेम एक दार्शनिक, एक अमूर्त प्रेम है। वह प्रेम दुनियावी प्रेम है। हमारे लिए सच्चाई यही है कि पिता ने हमारे लिए अपने बेटे येसु ख्रीस्त में अपने प्रेम को प्रकट किया है। उनके प्रेम के अनुसार जीवन जीने का अर्थ हमारे लिए उनके द्वारा दिखाये गये प्रेम के मार्ग में चलना है जो हमें अपने स्वार्थ से बाहर निकालकर अपने जीवन को दूसरों की सेवा हेतु देना है क्योंकि हमारा प्रेम एक ठोस है।

संत पापा ने कहा जो येसु की तरह प्रेम नहीं करते जिन्होंने कलीसिया को एक वधु की तरह प्रेम किया और उसके लिए अपने जीवन समर्पित कर दिया तो उनका प्रेम एक विचारधारा मात्रा है। अपने करुणा के कार्यों द्वारा हम येसु के शरीर के अंग बनते हैं जो हमारे लिए मानव  बन कर धरती पर आये। हम येसु से निवेदन करें कि हम उनके प्रेम के मार्ग में चल सकें और उसे अपने  करुणा के कार्य में प्रदर्शित कर सकें। संत पापा ने कहा कि उपयाजक लौरेन्स कहते हैं कि गरीब कलीसिया की निधि हैं क्योंकि वे ईश्वर के दर्द भरे शरीर के अंग हैं। हम प्रेम के विचाराधारा और बौद्धिकता रूपी प्रक्रिया का अंग न बने जो कलीसिया और येसु को हम से  दूर करती और उनके प्रेम को छीन लेती है।








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