2016-11-10 15:15:00

संत पापा ने सभी ख्रीस्तीयों को पूर्ण एकता की ओर बढ़ने का प्रोत्साहन दिया


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 10 नवम्बर 2016 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तीय एकता को प्रोत्साहन देने हेतु बनी परमधर्मपीठीय समिति के तत्वधान में आयोजित सभा के 70 प्रतिनिधियों से वाटिकन स्थित क्लेमेंटीन सभागार में मुलाकात की।

सभा की विषयवस्तु है ″ख्रीस्तीयों की एकता, जिसमें सहयोग की भावना भरी हो।″  

संत पापा ने सभा के आयोजन पर संतोष व्यक्त करते हुए उसे सहानुभूति का स्रोत कहा क्योंकि वे इसमें एकता की चाह को जीवित एवं प्रबल पाते हैं। उन्होंने कहा कि प्रेरित संत पेत्रुस के उत्तराधिकारी के रूप में ख्रीस्तीय एकता उनकी एक मुख्य चिंता है।

संत पापा ने कहा कि हमारी ख्रीस्तीय एकता हमारे विश्वास की महत्वपूर्ण मांग है, एक ऐसी मांग जो ख्रीस्त में विश्वास की गहराई से प्रस्फुटित होता है। हम एकता में जीना चाहते हैं, उनके प्रेम में, पिता के साथ उनके एक होने के रहस्य में आनन्द मनाना चाहते हैं जो कि दिव्य अस्तित्व है। येसु पवित्र आत्मा में हमें अपनी प्रार्थना में शामिल करते हैं, पिता तू जिस तरह मुझ में है उसी तरह वे भी हम में एक हो जाएँ। आप मुझ में रहें और मैं उन में रहूँ और हमारी एकता पूर्ण हो जाए, ताकि दुनिया यह जान ले कि तूने मुझे भेजा है तथा मैंने उनसे प्रेम किया है।

संत पापा ने कहा कि सुसमाचार को समझने में समझदारी काफी नहीं है किन्तु आवश्यक है कि सभी विश्वासी ख्रीस्त में एक हो जाएं।

संत पापा ने सभा के प्रतिभागियों से कहा कि मन में इन बातों का ख्याल करते हुए वे एकता के उन गलत उदाहरणों को उजागर करें जो एकता की ओर नहीं ले जाती किन्तु उसके सच्चे मूल के प्रति विरोधाभास है।

संत पापा ने इस बात को स्पष्ट किया कि एकता हमारे मानवीय प्रयास अथवा कलीसियाई सिद्धांत का प्रतिफल नहीं है किन्तु ऊपर से दिया गया वरदान है। यदि यह वरदान है तो हम ख्रीस्तीयों के बीच एकता लाने के लिए क्या कर सकते हैं? उन्होंने उत्तर देते हुए कहा कि हमारा कर्तव्य है कि हम इस वरदान को स्वीकार करें एवं सभी के लिए प्रकट करें। एक रास्ते के रूप में एकता, धीरज, त्याग, प्रयास और प्रतिबद्धता की मांग करती है। संघर्ष को समाप्त नहीं कर देती और न ही विषमता को मिटा देती है और कई बार तो नयी गलतफहमी को भी प्रकट कर देती है। एकता उन्हीं लोगों के द्वारा प्राप्त की जा सकती है जो इस उद्देश्य की ओर आज बढ़ना चाहते हैं जो कि अभी दूर है। हम सभी ख्रीस्तीय पापी हैं किन्तु येसु द्वारा प्रकट ईश्वर की असीम दया हमें क्षमा प्रदान करती है यही भावना हमें एक साथ मिलाती है। संत पापा ने कहा कि एकता का निर्माण एक साथ चलने से होता है। जब हम एक साथ चलते हैं तो हम भाई बहन की तरह आगे बढ़ते हैं, एक साथ प्रार्थना करते हैं, सुसमाचार के प्रचार हेतु एक साथ काम करते हैं तथा बहिष्कृत लोगों की सेवा में एक-दूसरे से मिल जाते हैं।

संत पापा ने इस बात को भी स्पष्ट किया कि एकता का अर्थ समरूपता नहीं है। अतः विविधताओं की उपस्थिति हमें पंगु न बनाये किन्तु उन विविधताओं का सफलता पूर्वक सामना करने हेतु हम एक साथ रास्ता निकालने हेतु प्रेरित हों।

संत पापा ने एकता के बारे तीसरी बात कही कि इसका अर्थ पूरी तरह घुल जाना नहीं है। ख्रीस्तीय एकता पलटती नहीं है। कोई व्यक्ति क्यों अपने विश्वास की कहानी का बहिष्कार करे? यह धर्मांतरण को भी स्वीकार नहीं करती है जो ख्रीस्तीय एकता की यात्रा में विष है। हमें क्या विभाजित करता है उसे खोजने के पूर्व हमें कौन सी बात हमें एक साथ लाती है उसकी प्रचुरता को भी महसूस करना चाहिए। ख्रीस्तीय एकता सच्चा तभी हो सकता है जब एक ख्रीस्तीय समुदाय अपने आप पर, अपने तर्क और अपने नियमन को प्राथमिकता न देकर, ईशवचन की मांग को सुनता, स्वीकार करता तथा दुनिया को साक्ष्य देता है। अतः संत पापा ने कहा कि यही कारण है कि ख्रीस्तीय समुदायों से एक-दूसरे के प्रति प्रतियोगता की भावना नहीं रखने की अपेक्षा की जाती है किन्तु सहयोग करने की।








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