2016-10-31 11:46:00

प्रॉटेस्टेण्ट सुधारवाद की पाँचवी शताब्दी के लिये सन्त पापा स्वीडन में


वाटिकन सिटी, सोमवार, 31 अक्टूबर 2016 (सेदोक): काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा फ्राँसिस सोमवार, 31 अक्टूबर को, रोम के फ्यूमीचीनो अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से, रोम समयानुसार प्रातः आठ बजकर बीस मिनट पर, स्वीडन में अपनी दो दिवसीय यात्रा के लिये रवाना हो गये। दो घण्टे और चालीस मिनट की विमान यात्रा के उपरान्त सन्त पापा स्वीडन के माल्मो अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पहुँचे जहाँ स्वीडन के प्रधान मंत्री स्टीवन ल्योफन ने देश में उनका हार्दिक स्वागत किया।

स्वीडन में सन्त पापा फ्राँसिस की यह पहली तथा इटली से बाहर उनकी 17 वीँ प्रेरितिक यात्रा है। यूरोपीय महाद्वीप स्थित स्वीडन नोर्वे तथा फिनलैण्ड की सीमाओं से सटा हुआ देश है। इसकी राजधानी स्टॉकहोलेम है तथा यहाँ स्वीडिश भाषा बोली जाती है। 2015 की जनगणना के अनुसार  स्वीडन की कुल आबादी 98 लाख 45 हज़ार 155 है जिनमें 84 प्रतिशत लोग लूथरन ख्रीस्तीय हैं जबकि मात्र 1,15 प्रतिशत काथलिक तथा चार प्रतिशत इस्लाम धर्मानुयायी हैं। शेष 10 प्रतिशत जनता अन्य अथवा किसी भा धर्म का पालन नहीं करती है।   

सन्त पापा फ्राँसिस की दो दिवसीय स्वीडन यात्रा का प्रमुख उद्देश्य प्रॉटेस्टेण्ट सुधारवाद की पाँचवी शताब्दी के उपलक्ष्य में ख्रीस्तीय एकतावर्द्धक समारोहों में उपस्थित होना है। सन् 1517 ई. में मार्टिन लूथर के सुधारवाद के बाद लूथरन कलीसिया सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया से अलग हो गई थी। प्रॉटेस्टेण्ट सुधारवाद की पाँचवी शताब्दी 2017 में है किन्तु 31 अक्टूबर को स्वीडन की लूथरन कलीसिया तथा विश्वव्यापी काथलिक कलीसिया संयुक्त रूप से इस स्मरणोत्सव को मना रहे हैं। 

अपनी यात्रा के पहले दिन सन्त पापा फ्राँसिस ने स्वीडन के प्रधान मंत्री श्री स्टीवन ल्योफन से आधिकारिक मुलाकात की तथा लुण्ड शहर के विश्वद्यालय में लूथरन कलीसिया तथा काथलिक कलीसिया के धर्माधिकारियों के साथ भोजन किया। तदोपरान्त, स्वीडन के शाही परिवार सम्राट कार्ल गुस्ताव 16 वें तथा महारानी सिल्विया के साथ औपचारिक मुलाकात की। स्वीडन समयानुसार सन्ध्या साढ़े चार बजे, सन्त पापा फ्राँसिस लुण्ड शहर स्थित लूथरन ख्रीस्तीय गिरजाघर में ख्रीस्तीय एकतावर्द्धक प्रार्थना सभा का नेतृत्व कर प्रवचन करेंगे।

31 अक्टूबर को आरम्भ अपनी स्वीडन प्रेरितिक यात्रा की पूर्व सन्ध्या स्वीडिश जेसुइट धर्मासमाज द्वारा संचालित पत्रिका "सिगनुम" के निर्देशक फादर उल्फ जॉनसन तथा रोम स्थित "चिविल्ता कातोलिका" के निर्देशक फादर अन्तोनियो स्पादारो से हुई भेंटवार्ता के दौरान सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा, "काथलिक धर्मानुयायी होने का दावा करनेवाला साम्प्रदायिक नहीं हो सकता, हमें अन्यों के साथ मिलकर रहने का प्रयास करना चाहिये।"       

सन्त पापा ने इस तथ्य पर बल दिया कि कठोर दृष्टिकोण के कठघरे में बन्द हो जाने के ख़तरे से बचने के लिये यह नितान्त आवश्यक है कि "एक साथ आने" का प्रयास किया जाये अन्यथा सुधार की कोई सम्भावना नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा, "इस यात्रा की आशा और आकाँक्षा है कि हम स्वीडन के हमारे भाइयों एवं बहनों के साथ सम्बन्ध को एक कदम और आगे ले जायें।"

लूथरन ख्रीस्तीय परम्परा से क्या सीखा जा सकता है? यह पूछे जाने पर सन्त पापा फ्राँसिस ने दो शब्दों का उच्चार किया, "पवित्र धर्मग्रन्थ"। उन्होंने कहा, "लूथर ने पवित्र बाईबिल का अनुवाद लोगों की भाषा में कर लोगों तक ईश वचन को पहुँचाने में उल्लेखनीय प्रगति की है। कलीसिया के कठिन दौर में लूथर सुधार का संकेत बने। उनका लक्ष्य एक जटिल परिस्थिति को सरल बनाना था। उस युग में सुधार अपरिहार्य था। सुधार की मांग "सजीव" थी।"  

इस बात के प्रति ध्यान आकर्षित कराते हुए कि स्वीडन की प्रेरितिक यात्रा करनेवाले वे दूसरे सन्त पापा हैं जिनसे पूर्व सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने सन् 1989 में इस देश की यात्रा की थी, सन्त पापा फ्राँसिस ने स्वीकार किया कि "धर्मतत्ववैज्ञानिक विषयों को लेकर लूथरन ख्रीस्तीय कलीसिया एवं काथलिक कलीसिया के बीच सम्बन्ध सुगम नहीं रहे है किन्तु इसके बावजूद वार्ताएँ जारी रहनी चाहिये और इसीलिये स्वीडन की प्रेरितिक यात्रा अर्थगर्भित है।"

सन्त पापा फ्राँसिस की दो दिवसीय स्वीडन प्रेरितिक यात्रा का आदर्श वाक्य हैः "संघर्ष से सहभागिता की ओर।" इस यात्रा का लक्ष्य लूथरन ख्रीस्तीय कलीसिया एवं सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया के मध्य आरम्भ ख्रीस्तीय एकतावर्द्धक वार्ताओं की 50 वीं वर्षगाँठ भी मनाना है। वाटिकन राज्य सचिव कार्डिनल पियेत्रो पारोलीन ने इस यात्रा को "एक ऐतिहासिक क्षण" का नाम दिया है। वाटिकन रेडियो से उन्होंने कहा, "पुनर्मिलन एवं एकता की दिशा में यह यात्रा एक मील का पत्थर है।" उन्होंने कहा कि द्वितीय वाटिकन महासभा से शुरु होकर विगत पचास वर्षों के दौरान विकसित लूथरन-काथलिक सम्बन्ध फलप्रद वार्ताओं का परिणाम है। 

सार्वभौमिक काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु की स्वीडन यात्रा के सन्दर्भ में यह बात ध्यान में रखना हितकर होगा कि प्रॉटेस्टेण्ट ख्रीस्तीयों के साथ सन्त पापा फ्राँसिस के सम्बन्ध बहुत अच्छे रहे हैं। विगत वर्ष सन्त पापा ने रोम स्थित लूथरन महागिरजाघर की भेंट की थी। इसके अतिरिक्त, जून माह में आरममेनिया की यात्रा से लौटने के बाद उन्होंने लूथर के सुधारों की सराहना की थी। उन्होंने कहा था कि "लूथर काथलिक कलीसिया के लिये एक औषधि सिद्ध हुए"। अभी कुछ ही सप्ताहों पूर्व उन्होंने वाटिकन में लूथरन कलीसिया के एक तीर्थयात्री दल से मुलाकात की थी। इस अवसर पर अपनी स्वीडन यात्रा का ज़्रिक करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा था, "इस स्मरणोत्सव का एक अनिवार्य हिस्सा, वर्तमान विश्व में, सामान्य ख्रीस्तीय साक्ष्य के मद्देनज़र, हमारी दृष्टि को भविष्य के प्रति अभिमुख रखेगा जो ईश्वर एवं उनकी दया के लिये तड़प रहा है। विश्व हमसे जिस साक्ष्य की अपेक्षा कर रहा है वह है निर्धनों, रोगियों, बेघर लोगों तथा समस्त ज़रूरतमन्दों की सेवा कर, ईश करुणा को दृश्यमान बनाना। ज़रूरतमन्दों के प्रति सेवा में हम एकता के सूत्र में बँधे हैं जो ईश्वर की करुणा और उनकी असीम दया का ही फल है।"








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