2016-10-27 15:42:00

युद्ध एवं आपदा के कारण ईश्वर विलाप कर रहे हैं


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 27 अक्तूबर 2016 (वीआर सेदोक): ″आज प्राकृतिक विपदा है एवं युद्ध किये जा रहे हैं ताकि धन के देवता की पूजा की जा सके। बच्चों को मौत के घाट उतारे जा रहे हैं जिसके कारण ईश्वर विलाप कर रहे हैं।″ यह बात संत पापा फ्राँसिस ने वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कही।

संत पापा ने प्रवचन में संत लुकस रचित सुसमाचार पर चिंतन किया जहाँ येसु हेरोद के लिए कड़े शब्द का प्रयोग करते हुए उसे लोमड़ी की संज्ञा देते हैं क्योंकि वह उन्हें मार डालना चाहता था तथा येरूसालेम को ईश्वर द्वारा प्रेषित नबियों की हत्या का स्थान कहते हैं। 

संत पापा ने येसु की कोमलता को प्रकट करते हुए कहा कि येसु ने ईश्वर की कोमलता को प्रकट किया। उन्होंने वहाँ के लोगों की स्थिति एवं येरूसालेम शहर को देखा तथा उस पर विलाप किया। येसु के रूप में पिता ईश्वर विलाप करते हैं। येसु का अपने मित्र लाजरूस की कब्र के पास रोना, पिता का रोना है।

संत पापा ने उड़ाव पुत्र के पिता की याद करते हुए कहा कि उसका छोटा बेटा अपनी सम्पति का हिस्सा लेकर चला गया। इस पर पिता ने पड़ोस जाकर यह कहते हुए अपने बेटे की बुराई नहीं की कि देखो, मेरे साथ क्या हुआ, मेरे अभागे पुत्र ने क्या किया आदि। संत पापा ने कहा कि उसने ऐसा कुछ नहीं किया, शायद वह अपने कमरे में जाकर आँसू बहाता रहा और जब उसका भटका हुआ बेटा वापस आया तो उसे दूर से ही देख लिया। इसका अर्थ है कि अपने बेटे की वापसी के इंतजार में पिता उसे देखने के लिए छत पर बार बार चढ़ रहा था। संत पापा ने कहा कि यही पिता का विलाप है। इस विलाप द्वारा अपने पुत्र के माध्यम से वे सारी सृष्टि के पिता बन गये हैं।

संत पापा ने येसु की कलवारी पहाड़ की ओर यात्रा के दौरान स्त्रियों के विलाप की याद की जिनसे येसु ने उनके लिए नहीं किन्तु अपने बच्चों के लिए रोने को कहा था। उन्होंने कहा कि जिस तरह माता पिताओं ने उस समय रोया था आज ईश्वर वैसा ही कर रहे हैं।

संत पापा ने युद्ध और विनाश को अंजाम देने वालों की कड़ी निंदा करते हुए कहा, ″विनाश तथा युद्ध जो धन के देवता के लिए किये जा रहे हैं तथा धन देवता के पूजकों द्वारा बहुत सारे निर्दोष बच्चों को बम द्वारा मृत्यु के घाट उतारे जा रहे हैं उसके सामने आज भी ईश्वर रो रहे हैं। आज भी वे हथियार एवं मानव तस्करों से कह रहे हैं, मेरे बच्चों के साथ तुम क्या कर रहे हो?″   

संत पापा ने विश्वासियों को चिंतन करने का निमंत्रण देते हुए कहा कि हम उस पिता पर चिंतन करें जो विलाप करने के लिए मानव बन गये कि जो शांति एवं प्रेम उन्होंने प्रदान की है उसे मानव जाति नहीं समझ पा रही है।  








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