2016-10-26 12:26:00

ख्रीस्तीय दफन एवं दहन पर वाटिकन का दिशा निर्देश


वाटिकन सिटी, बुधवार, 26 अक्टूबर 2016 (सेदोक): वाटिकन स्थित विश्वास एवं धर्मसिद्धान्त सम्बन्धी परमधर्मपीठीय धर्मसंघ ने मंगलवार को मृतकों के दफन एवं दहन के उपरान्त राख को सुरक्षित रखने से सम्बन्धित नये दिशा निर्देश प्रकाशित कर दिये।

नवीन दिशा निर्देश में इस बात को रेखांकित किया गया है कि कलीसिया दहन क्रिया का विरोध नहीं करती तथापि, मृतकों की दफन क्रिया का परामर्श देती है। दिशा निर्देश में इस बात पर बल दिया है कि दहन क्रिया के उपरान्त मृत व्यक्ति की राख को निजी घरों में न रखा जाये और न ही भूमि अथवा समुद्र में इसे बिखेरा जाये।

मंगलवार को जारी वाटिकन के नवीन दस्तावेज़ में कहा गया कि "प्रभु येसु ख्रीस्त का पुनःरुत्थान ख्रीस्तीय विश्वास का चरमोत्कर्ष है क्योंकि उनके पुनःरुत्थान द्वारा उन्होंने हमें पापों से मुक्ति दिलाई तथा नवजीवन में प्रवेश दिलाया। चूँकि ख्रीस्त एवं ख्रीस्तीय मृत्यु का सकारात्मक अर्थ है मृत्यु का ख्रीस्तीय दृष्टिकोण सकारात्मक एवं रचनात्मक है। मृत्यु जीवन की समाप्ति नहीं अपितु अनन्त जीवन में प्रवेश का मार्ग है। इसीलिये, प्राचीनतम ख्रीस्तीय परम्परा का पालन करते हुए कलीसिया आग्रहपूर्वक मृतकों के कब्रस्तान अथवा अन्य पवित्र स्थलों पर दफन क्रिया की सिफारिश करती है।"  

दस्तावेज़ में कहा गया, "ख्रीस्त का पुनःरुत्थान ख्रीस्तानुयायी की मृत्यु को अर्थ प्रदान करता है इसलिये मृतक की दफन क्रिया शरीर के पुनःरुत्थान में विश्वास एवं आशा की अभिव्यक्ति का सबसे उचित एवं सर्वोत्कृष्ट मार्ग है।"

हालांकि, दस्तावेज़ में आगे यह भी कहा गया कि जब "स्वच्छता, आर्थिक अथवा सामाजिक कारणों से दहन क्रिया का चयन किया जाता है तब मृतक व्यक्ति की आशाओं एवं आकाँक्षाओं को ध्यान में रखना भी अति आवश्यक है। कलीसिया धर्मसैद्धान्तिक तौर पर दहन क्रिया का विरोध नहीं करती क्योंकि मृत शरीर की दहन क्रिया उस व्यक्ति की आत्मा को प्रभावित नहीं करती है और न ही यह मृत शरीर के नवजीवन हेतु दयावान ईश्वर को रोकती है। इसलिये दहन क्रिया द्वारा आत्मा की अमरता से सम्बन्धित ख्रीस्तीय धर्मसिद्धान्त किसी भी प्रकार से प्रभावित नहीं होता है।

मृत व्यक्ति की राख को निजी घरों में न रखने अथवा उसे भूमि एवं समुद्र में न बिखेरने पर दस्तावेज़ में कहा गया, "सर्वेश्वरवाद, प्रकृतिवाद या शून्यवाद के हर स्वरूप से बचने के लिये दिवंगत की राख समुद्र में या किसी अन्य तरीके से हवा में अथवा भूमि पर बिखेरने की अनुमति नहीं है न ही मृतक के गहने अथवा कोई टुकड़े को स्मृति चिन्ह रूप में संरक्षित किया जा सकता है क्योंकि इस प्रकार की प्रक्रिया का स्वच्छता, सामाजिक, आर्थिक इरादों से सम्पादित दहन क्रिया का कोई लेन-देन नहीं है।

दस्तावेज़ के अन्तिम पैरा में यह निर्देश भी दिया गया है कि यदि मृतक ने पहले से दहन क्रिया तथा राख को ख्रीस्तीय विश्वास के विपरीत बिखेरने का निवेदन किया है तो ऐसे व्यक्ति को, विधि के नियम के अनुसार, ख्रीस्तीय अन्तयेष्टि या अन्तिम संस्कार न प्रदान किया जाये।








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