2016-10-26 15:18:00

करुणा के कार्यों पर संत पापा की धर्मशिक्षा


वाटिकन सिटी, बुधवार, 26 अक्टूबर 2016 (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में जमा हुए हज़ारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को अपनी धर्मशिक्षा माला के दौरान संबोधित करते हुए कहा,

प्रिय भाइयो एवं बहनो सुप्रभात,

हम करुणा के कार्यों पर मनन करना जारी रखते हैं जिसे येसु ने हमें अपने विश्वास के आयाम को सजीव बनाये रखने हेतु दिया है। वास्तव में करुणा के कार्यों द्वारा हम अपने दैनिक जीवन में जरूरतमंद लोगों की सहायता करते हुए येसु से अपनी मुलाकात करते हैं। आज हम येसु ने वचनों, “जब मैं परदेशी था तुमने मेरा स्वागत किया और जब मैं नंगा था तुमने मुझे पहनाया।” (मत्ती. 25.35-36) पर मनन करेंगे। वर्तमान परिस्थिति में जहाँ हम अर्थिक संकट, शस्त्र युद्ध और जलवायु परिवर्तन जो लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान में प्रवासित होने को विवश करता है हम अपने सेवा कार्यों के मध्य उन अपरिचितों से अपना संबंध स्थापित करते हैं, यद्यपि प्रवास कोई नई बात नहीं वरन् यह मानव इतिहास के प्रारंभ से ही व्याप्त है।

सुसमाचार हमें प्रवास के कई उदाहरण प्रस्तुत करता है जो विशेषकर अब्राहम के जीवन से संबंधित है। ईश्वर के बुलावे पर वह अपना देश को छोड़कर दूसरे देश हेतु चल पड़ता है। “अपना देश अपना कुटुम्ब और अपने पिता के घर छोड़ दो और उस देश में जाओ, जिसे मैं तुम्हें दिखलाऊँगा।” (उत्पि.12.1) इसी प्रकार चुनी हुई प्रजा इस्रराएल मिस्र देश की गुलामी में थी और चालीस वर्षों तक मरुभूमि में तब-तक भटकती रही जब तक वह प्रतिज्ञात देश में प्रवेश नहीं करती है। उसी तरह मरिया, योसेफ और बालक येसु का पवित्र परिवार जिन्हें राजा हेरोद की धमकी के कारण मिस्र देश में निर्वासित होना पड़ा और वे वहाँ तब-तक रहे जब तक राजा हेरोद मर नहीं गया। (मत्ती.2. 14-15) मानव इतिहास प्रवास का एक इतिहास है जहाँ कोई भी ऐसा नहीं जो इसके दंश से अछूता हो।

समाज में हमने वर्षों की एकता को देखा है यद्यपि सामाजिक तनाव की कई स्थितियाँ रही हैं। आज की आर्थिक समस्या ने समाज को अपने में संकुचित और बंद कर दिया है। विश्व के कई देशों ने दीवारों और सीमाओं का निर्माण कर लिया है। प्रवासियों और शरणार्थियों हेतु लोगों के द्वारा किया जा रहे सेवा कार्य देश में हो रहे शोरगुल के कारण धुँधले प्रतीत होते हैं। लेकिन अपने को बंद करना समस्याओं का समाधान नहीं है बल्कि यह हमारी एकता है जो समस्याओं का निदान करती है। 

हम ख्रीस्तियों की निष्ठा इस क्षेत्र में आज भी उतने ही महत्व का है जितना पहले था। अतीत की ओर देखते हुए हम संत फ्रांफिस काबीनी की याद करते हैं जिन्होंने अपने मित्रों के साथ संयुक्त राज्य अमेरीका के प्रवासियों हेतु अपना जीवन समर्पित कर दिया। हमें आज भी ऐसे साक्ष्यों की जरूरत है क्योंकि करुणा के कार्य द्वारा बहुत सारे लोगों की सेवा की जा सकती है। धर्मप्रान्त, पल्लियाँ, समर्पित जीवन हेतु धर्मसमाज, संगठन, परियोजनाएं और व्यक्ति ख्रीस्तीय हम सभी अपने उन भाई-बहनों की सेवा और स्वागत हेतु बुलाये गये हैं जो युद्ध की स्थिति, आकाल, हिंसा और अमानवीय जीवन से निकाल कर दूर जाने की कोशिश कर रहें हैं। हम सब एक साथ मिल कर उनके लिए एक अभूतपूर्व सहायता बनते हैं जिन्होंने अपने घर, परिवार, कार्य और अपनी मर्यादा को खो दिया है।

संत पापा ने कहा कि नंगों को पहने का अर्थ क्या है? यह मर्यादा खोये लोगों को सम्मान देना है। यह निश्चय ही वस्त्रहीनों के कपड़े देना है लेकिन हमें उन नारी का भी ध्यान रखना है जो मानव व्यापार का शिकार हुई हैं और गलियों में फेंक दी गयीं हैं। वे नाबालिग जिनका विभिन्न रुपों में शारीरिक शोषण किया जाता है। वे जिनके अपने घर, नौकरी नहीं है जिन्हें उचित मेहनताना नहीं मिलता है, जिन्हें नस्लवाद और विश्वास के कारण भेदभाव का शिकार होना पड़ता है। हमारे समक्ष नग्नता के ये विभिन्न रुप हैं एक ख्रीस्तीय के रुप में जिनके बारे में हमें सतर्क, सजग और कार्य करने हेतु तैयार रहना है।

संत पापा ने सबों का आहृवान करते हुए कहा कि हम अपने भाई-बहनों की आवश्यकता के प्रति उदासीन रहते हुए केवल अपनी ही जरूरत की चीजों में सीमित और संकुचित न हों। हम अपने को अन्यों के लिए खोलें जिससे उन्हें भी जीवन का फल, शांति और पूर्व मानव सम्मान मिले। इतना कहने के बाद संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की सभी तीर्थयात्रियों और विश्वासियों का अभिवादन करते हुए उन्हें अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।








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