2016-10-24 14:31:00

जीवन की रक्षा में संत पापा जॉन पौल द्वितीय के साथ, कार्डिनल ग्रेसियस


मुम्बई, सोमवार, 24 अक्तूबर 2016 (एशियान्यूज़): मुम्बई के महाधर्माध्यक्ष कार्डिनल ऑस्वल्ड ग्रेसियस ने कहा कि संत पापा जोन पौल द्वितीय परिवारों के संत पापा थे जो कलीसिया एवं इसके कार्यों का आधार है।

मानव अधिकार हेतु धर्मप्रांतीय समिति की 20वीं वर्षगाँठ पर, 22 अक्तूबर को जब संत पापा जॉन पौल द्वितीय का पर्व मनाया जाता है, एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया था जिसमें देश भर के करीब 500 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

एशियाई धर्माध्यक्षीय सम्मेलन के अध्यक्ष कार्डिनल ग्रेसियस ने संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए कहा, ″आज हम संगोष्ठी का उद्घाटन कर रहे हैं जिसका शीर्षक है ‘परिवार और समाज में स्वतंत्रता एवं न्याय के लिए एक बुलावा : नैतिक चिंताएँ और प्रेरितिक पहुँच।’

कार्डिनल ने प्रवचन में संत पापा फ्राँसिस के प्रेरितिक प्रबोधन ‘अमोरिस लेतित्सया को संत पापा जॉन पौल द्वितीय के प्रशासन से जोड़ते हुए कहा कि यह संत पापा जॉन पौल द्वितीय के कई प्रेरितिक पत्रों पर आधारित है जिसमें परिवार पर अंतर्दृष्टि प्रदान की है। 

महाधर्माध्यक्ष के अनुसार आधुनिक विश्व की चुनौतियाँ जैसे कि सापेक्षवाद, व्यक्तिवाद, उदासीनता, स्थायी प्रतिबद्धता में असमर्थता एवं स्वार्थ आदि को मूल्यों द्वारा ही आवाज दी जा सकती है जो परिवार में पनपता एवं बढ़ता है। सुसमाचार के प्रचार में परिवार एक मुख्य घटक है।

संत पापा जॉन पौल द्वितीय से कई बार मुलाकात कर चुके कार्डिनल ग्रेसियस ने उनके बारे बतलाते हुए कहा, ″वे अपने व्यक्तिवादी विचार से परिभाषित थे, उन्होंने परिवार की रक्षा एवं प्रोत्साहन के लिए अथक प्रयास किया और मानव प्रतिष्ठा को जोरदार प्रमुखता दी।″ उन्होंने कहा कि वे एक बार संत पापा जॉन पौल द्वितीय से बहुत प्रभावित हुए जब वे भारत में थे और प्रार्थना करने हेतु तड़के तीन बजे उठ गये थे। उन्होंने पूर्णतया अपने को ख्रीस्त के लिए समर्पित कर दिया था।  

कार्डिनल ने कहा कि परिवार को धर्मविधि तथा संस्कारों द्वारा निरंतर पोषित किये जाने एवं समर्थन दिये जाने की आवश्यकता है अतः परिवारों की प्रेरितिक देखभाल ही कलीसिया की प्राथमिकता होनी चाहिए। 








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