2016-10-24 15:27:00

ईश्वर हमें दयालु और अच्छा बनने के लिए बुलाते हैं न कि कठोर


वाटिकन सिटी, सोमवार, 24 अक्तूबर 2016 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार 24 अक्तूबर को वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए प्रवचन में कहा कि हर अकड़ता के पीछे कुछ छिपा होता है, एक दोहरी जिंदगी। कठोर लोग स्वतंत्र नहीं होते, वे नियम के गुलाम होते हैं किन्तु ईश्वर हमें स्वतंत्रता, नम्रता एवं अच्छाई प्रदान करते हैं।

प्रवचन में संत पापा ने संत लूकस रचित सुसमाचार पर चिंतन किया जहाँ येसु द्वारा विश्राम के दिन स्त्री को चंगा किये जाने की घटना का जिक्र है।

संत पापा ने कहा कि विश्राम के दिन चंगा किया जाना नियम का उलंघन था। नियमों पर चलना आसान नहीं है जिसके लिए हमें कृपा मांगना चाहिए। येसु शास्त्रियों को उनके ढोंग के कारण फटकारते हैं और कहते हैं कि वे गुलाम हैं नियमों के गुलाम क्योंकि नियमों का पालन हमें गुलाम बनने के लिए नहीं किन्तु स्वतंत्र बनने के लिए करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कठोरता के पीछे हमेशा कुछ और मकसद होता है।  

संत पापा ने कहा, ″कठोरता के पीछे व्यक्ति के जीवन में कुछ छिपा रहता है। अक्ड़पन ईश्वर का वरदान नहीं है। विनम्रता, अच्छाई, भलाई और क्षमाशीलता ही ईश्वर का वरदान है। कठोरता में बहुधा दोहरी जिंदगी होती है किन्तु यह एक प्रकार का रोग भी है। उन्हें दुःख सहना पड़ता है क्योंकि वे ईश्वर की संतान की स्वतंत्रता प्राप्त नहीं कर सकते हैं। वे नहीं जानते हैं कि उन्हें किस तरह नियमों में चलना चाहिए उन्हें आशीर्वाद भी प्राप्त नहीं होता है।″

उन्होंने कहा कि वे अच्छे तो दिखाई पड़ते हैं क्योंकि नियमों का पालन करते हैं किन्तु उनके पीछे कुछ छिपा होता है जो उन्हें अच्छा बनने नहीं देता इस तरह वे बुरे, ढोंगी और बीमार व्यक्ति बनकर दुःख सहते हैं।  

संत पापा ने ऊड़ाव पुत्र के दृष्टांत का स्मरण दिलाया जिसमें जेष्ठ पुत्र जिसने हमेशा अच्छा किया था किन्तु अपने पिता पर क्रोधित हो गया जब उन्होंने अपने छोटे बेटे के लौटने पर भोज का आयोजन किया। उन्होंने कहा कि यह मनोभाव उस अच्छाई के पीछे क्या है उसे प्रकट करता है और वह है, अच्छे आचरण का घमंड।

इसमें अच्छा करने का घमंड छिपा है। उसने साथ रहते हुए भी अपने पिता को पिता स्वीकार नहीं किया बल्कि कठोरता के साथ नियमों का पालन करता रहा। दूसरा बेटा नियम को छोड़ दूर चला गया, वह नियम के विरूद्ध गया किन्तु एक समय ऐसा आया कि उसने अपने पिताजी को याद किया एवं वापस लौट आया और उसे क्षमा मिल गयी। इस प्रकार कठोरता में पड़े बिना प्रभु के नियमों पर चलना आसान नहीं है।

संत पापा ने विश्वासियों से भाई-बहनों के लिए प्रार्थना करने की अपील की जो यह मानते हैं कि ईश्वर के नियमों का पालन करने का अर्थ है कठोर बनना। ईश्वर हमें कृपा दे कि हम उन्हें पिता के रूप में महसूस कर सकें उनकी करुणा, कोमलता, विनम्रता एवं दीनता का एहसास कर सकें जो हमें प्रभु के रास्ते पर चलने का मनोभाव प्रदान करता है।

 








All the contents on this site are copyrighted ©.