2016-10-21 16:28:00

अन्तराष्ट्रीय बुलाहट प्रेरितिक सम्मेलन को संत पापा का संदेश


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 21 अक्तूबर 2016 (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने लोकधर्मियों की सभा द्वारा आयोजित अन्तराष्ट्रीय बुलाहट प्रेरितिक सम्मेलन के प्रतिनिधियों के साथ क्लेमेटीन के सभागार में मुलाकात की और उन्हें अपना संदेश दिया।

उन्होंने कहा कि बुलाहट हेतु प्रेरितिक कार्य ईश्वर से मिलना हैं। जब हम येसु को स्वीकार करते हैं तो यह हमारे जीवन का एक निर्णायक क्षण होता है जो हमारे जीवन को प्रकाशित करता है जिसके द्वारा हम अपनी छोटी दुनिया का परित्याग करते और प्रेम में अपने स्वामी येसु ख्रीस्त के शिष्य बनते हैं।

आप ने अपने सम्मेलन हेतु विषयवस्तु “दुःखी और चुने” रखा है। मैंने पिछले वर्षों में इस विषयवस्तु का चुनाव इस बात की अनुभूति में की थी येसु मुझे बुलाते हैं। विश्व के विभिन्न जगहों से आये आप इसी विषयवस्तु पर अपना चिंतन करते हैं जो एक खुशी की बात है। बुलाहट प्रेरितिक कार्य येसु के जीवनशैली को समझने और जाने की माँग करता है। यह हमारे भाई-बहनों के जीवन को रुक कर करुणा से देखने की माँग करता है क्योंकि येसु हमें पिता से मिलने हेतु ले चलते हैं।
सुसमाचार में हम येसु के प्रेरितिक कार्य की चर्चा सुनते हैं। वे गाँव-गाँव, शहर-शाहर जाते हैं। (लुका.9.51) वे रोगियों के पास जाते हैं। वे लोगों से साथ उनके जीवन की कठिन परिस्थितियों में रहते हैं। मत्ती के बुलावे में हम इस बात की चर्चा सुनते हैं। (लूका.5.27) बुलाहट के प्रेरितिक कार्य के संदर्भ में हम तीन बातों पर मनन चिंतन कर सकते हैं।

पहला बाहर जानाः यह हमें अपने आरामदायक जीवन से निकल कर बाहर जाने की माँग करता है। यह हमें अपने पुरानी सोच से बाहर निकलते हुए सुसमाचार की खुशी को घोषित करने की माँग करता है। धर्माध्यक्ष और पुरोहितों के रूप में हम इसे अपने कार्यालय के दायरे में रह कर नहीं कर सकते हैं। हमें बाहर जाकर युवाओं को सुनने की जरूरत है जिसके हम उन्हें उनकी हृदय की पुकार को सुनने, जानने और पहचाने में मदद कर सकते हैं। हमें अपने आप से बाहर निकल कर लोगों का स्वागत और विशेषकर युवाओं को सुनने की जरूरत है।
दूसरा देखनाः येसु जब गलियों से गुजरते तो वे रुकते और लोगों को देखते हैं। यह उन्हें आकर्षक और मोहक बनाता है। आज हम अपनी ही उधेड़बुन और जल्दी बाजी में खोये हुए हैं जिसके कारण हम उसकी पुकार को सुन नहीं पाते हैं। सुसमाचार हमें बतलाता है कि बुलाहट की शुरूआत करुणामय दृष्टि के द्वारा होती है। येसु मत्ती की ओर करुणा और दया की नजरों से देखते हैं जो उनमें प्रेम की अनुभूति जाग्रत करता और वह एक नये जीवन की शुरूआत करता है। अतः आप सावधानी पूर्वक देखे, जल्दी नहीं वरन् रुके और देखे, लोगों के जीवन में प्रवेश करें उन्हें भय या न्याय की अनुभूति नहीं अपितु समझ और प्रेम की अनुभूति दे। ये हमारी नजरें हैं जो युवाओं को भौतिकतावाद और छिछलेपन से बाहर निकलकर सच्ची खुशी की तलाश करने को प्रेरित करती है। पुरोहिताई और गुरूकुल के जीवन के संबंध में हमें सच्ची आत्मा-परीक्षण की जरूरत है। धर्माध्यक्षों आप को इस दिशा में सतर्कता और विवेक से कार्य करने की जरूरत है।

तीसरा कार्यः बुलावा ख्रीस्तीय बुलाहट की बात को हमारे समक्ष रखती है। येसु बड़े-बड़े व्याख्यान नहीं देते और न ही वे बनी बनाई उत्तर देते हैं। मत्ती की ओर मुड़ते हुए उन्होंने कहा, “मेरा अनुसरण करो।” इस वाक्य ने उसे प्रभावित किया और वह नये लक्ष्य की प्राप्ति हेतु अपना सब कुछ छोड़कर येसु के पीछे हो लिया। येसु हमें अपने सुखद स्थल का परित्याग कर क्रियाशील होने हेतु निमंत्रण देते हैं।

यह खोजने की प्रवृति जो युवाओं में छोटपन से ही पाई जाती है एक निधि के समान है जिसे येसु हमारे हाथों में सौंपते हैं जिसे हमें देख-रेख, लालन-पालन और बढ़ाने की जरूरत है। येसु उनके पीछे जाते जो चीजों की खोज में लगे हैं अतः हमें भी युवा के पीछे जाते हुए उनसे सही सवाल करने की जरूरत है जिससे वे सुसमाचार की सच्ची खुशी की खोज हेतु अपने आप से बाहर निकल सकें।
यह अपने में सहज कार्य नहीं है। हमारी पूर्ण उदारता के बावजूद हमें हताशा और निराश होना पड सकता है। लेकिन यदि हम शिकायत किये बिना बाहर निकल कर सुसमाचार का प्रचार करें तो येसु जो हमें थकने पर भी जाल फेंकने की ऊर्जा देते हैं हमें हताश और निराश नहीं करेंगे।

धर्माध्यक्षों और पुरोहितों मैं आप से कहूंगा कि आप अपने से बाहर जाने में, करुणा की नजरों और सुसमाचार के बीज बोने में धैर्यवान बने रहें। आप अपने प्रेरितिक कार्य, आत्म-परीक्षण और बुलाहट हेतु आप को दी गई प्रेरितिक प्रार्थना में लगे रहें। आप सुसमाचार हेतु पुरोहिताई बुलाहट और समर्पित जीवन के चुनाव हेतु लोगों का मार्गदर्शन करते रहें। आप सुसमाचार की घोषणा, युवाओं से मिलने और उनका मार्ग दर्शन करने हेतु न डरें। आप उन्हें पुरोहिताई जीवन के बारे में बतलाने और इसका साक्ष्य देने में न हिचकिचायें जो आपके जीवन द्वारा येसु ख्रीस्त का सच्चा अनुसरण हैं जिसके लिए आप ने अपने जीवन को समर्पित किया है। और इस कार्य की मुख्य बात आप उनके पास यह प्रार्थना करना न भूले की वे अपनी दखबारी में कार्य करने हेतु अपने कर्मठ मजदूरों को भेजे। 








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