2016-10-13 16:39:00

आगामी विश्व अप्रवासी एवं शरणार्थी दिवस हेतु संत पापा का संदेश


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 13 अक्तूबर 2016 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने 2017 के लिए 103 वें विश्व अप्रवासी एवं शरणार्थी दिवस हेतु प्रेषित संदेश में कहा कि अप्रवास की समस्या न केवल पृथ्वी के कुछ क्षेत्रों में सीमित है किन्तु विश्व के सभी महाद्वीपों को प्रभावित कर रही है और वैश्विक अनुपात की एक चिंताजनक स्थिति से बढ़ रही है एवं इसका सबसे अधिक दुष्प्रभाव बच्चों पर पड़ रहा है।

8 सितम्बर को निर्गत अपने संदेश में संत पापा ने लिखा ″जो मेरे नाम पर इन बालकों में से किसी एक का भी स्वागत करता है वह मेरा स्वागत करता है और जो मेरा स्वागत करता है वह मेरा नहीं बल्कि उसका स्वागत करता है जिसने मुझे भेजा है।″ (मार.9:37) संत पापा ने कहा कि इन शब्दों से सुसमाचार लेखक ख्रीस्तीय समुदाय को येसु की शिक्षा का स्मरण दिलाता है जो हमें प्रेरणा और चुनौती देता है। यह शिक्षा हमें ईश्वर की ओर ले जाने वाले सच्चे रास्ते को दिखलाती है जो सबसे छोटे से शुरू होता तथा मुक्तिदाता की कृपा से दूसरों का स्वागत करने की प्रेरणा से बढ़ता है। इस यात्रा को वास्तविक बनाने के लिए स्वागत करना एक आवश्यक शर्त है। इस रास्ता को दिखलाने के लिए ईश्वर ने मानव का रूप धारण किया एवं बालक बन कर जन्म लिया। संत पापा ने कहा कि प्रेम, आशा और विश्वास ये तीनों करुणा में सक्रिय रूप से आध्यात्मिक एवं शारीरिक कार्यों में व्याप्त हैं किन्तु सुसमाचार लेखक करुणा के विरूद्ध कार्य करने वाले के प्रति हमारी जिम्मेदारी पर भी चिंतन करता है, ″जो मुझ पर विश्वास करने वाले उन नन्हों में से एक के लिए भी पाप का कारण बनता है उसके लिए अच्छा यही होता कि उसके गले में चक्की का पाट बांधा जाता और वह समुद्र में डुबा दिया जाता।″ (मती.18:6)

संत पापा ने संदेश में लिखा कि जब विवेकहीन लोगों के द्वारा अत्यधिक शोषण किया जा रहा है तब हम इस बड़ी चेतावनी को किस तरह भूल सकते हैं? इस तरह का शोषण युवाओं को अधिक प्रभावित कर रहा है जो वेश्यवृति अथवा अश्‍लील साहित्य के दलदल में फंस रहे हैं, बाल मजदूर एवं बाल सैनिक के रूप में गुलाम हो रहे हैं, नशीली पदार्थों की तस्करी एवं अन्य प्रकार के अपराधों के शिकार बन रहे हैं तथा संघर्ष एवं अत्याचार के कारण जान को जोखिम में डालकर, अकेले एवं परित्यक्त रूप में पलायन करने के लिए मजबूर हैं।

संत पापा ने आगामी विश्व अप्रवासी एवं शरणार्थी दिवस के लिए बाल विस्थापितों की ओर ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने असहाय बच्चों की देखभाल करने का आग्रह करते हुए कहा, ″ बच्चे जो असुरक्षित हैं, परदेशी हैं एवं उनके पास अपनी सुरक्षा हेतु कोई साधन नहीं है जो किसी भी कारण से अपने घर से दूर रहने एवं परिवार से अलग जीने के लिए मजबूर हैं, मैं प्रत्येक से आग्रह करता हूँ कि उनकी मदद करें।

उन्होंने कहा कि विस्थापन आज पृथ्वी के कुछ ही क्षेत्रों तक सीमित नहीं है किन्तु सभी महादेशों को प्रभावित कर रहा है और वैश्विक अनुपात की एक दुखद स्थिति से बढ़ रहा है। ये विस्थापन न केवल ऐसे लोगों के लिए है जो प्रतिष्ठित काम अथवा बेहतर जीवन स्तर की तलाश कर रहे हैं बल्कि बहुत सारे ऐसे लोग के लिए भी है जिन्हें अपना घर छोड़ना पड़ा है और वे शांति एवं सुरक्षित स्थान की खोज कर रहे हैं। इसमें भी बच्चों को ही बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है जो बहुधा हिंसा, गरीबी और पर्यावरण की स्थिति से प्रभावित होते हैं। 

संत पापा ने विस्थापन की विकराल समस्या को सामने रखते हुए उसका प्रत्युत्तर किस तरह दे सकते हैं उस पर चिंतन किया। उन्होंने कहा कि सबसे पहले हमें इस बात के प्रति जागरूक होना होगा कि विस्थापन मुक्ति इतिहास से असंबंध नहीं है किन्तु इतिहास का हिस्सा है। जिसके साथ ईश्वर की एक आज्ञा जुड़ी है, ″तुम विधवा अथवा अनाथ के साथ दुर्व्यवहार मत करो।″ (निर.22: 21) संत पापा ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति मूल्यवान है वह वस्तुओं से बढ़कर है अतः हमें उनके संरक्षण, एकीकरण और दीर्घकालिक समाधान के लिए कार्य करना चाहिए।

संत पापा ने अपने संदेश में बच्चों के प्रति विभिन्न प्रकार की गुलामी को रोकने के बच्चों के शोषण से लाभ उठाने वालों के प्रति सशक्त और प्रभावी कार्रवाई करने की मांग की।          

संत पापा ने अप्रवासियों से भी आग्रह किया कि वे अपने बच्चों की भलाई हेतु उन समुदायों का सहयोग करें जो उनका स्वागत करते हैं। उन्होंने उन सभी संगठनों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जो बच्चों को विभिन्न प्रकार के शोषण से बचाने का प्रयास कर रहे हैं।  

संत पापा ने विस्थापित बच्चों एवं युवाओं के एकीकरण हेतु कार्य करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बच्चे पूरी तरह से प्रौढ़ लोगों पर आधारित होते हैं जिसके कारण बहुधा आर्थिक स्रोतों की कमी हो जाने पर गैरकानूनी रास्ता अपनाने की ओर झुकाव बढ़ जाता है, इस तरह बहुतों को स्वदेश लौटना पड़ जाता है। संत पापा ने इस बात के लिए भी सचेत किया कि कई बार कानूनी रास्ता नहीं अपनाये जाने के कारण अपराधिक संगठनों के चंगुल में फंसने का भी भय होता हैं।

संत पापा ने तीसरे उपाय के रूप में बतलाया कि विस्थापन की समस्या को समाप्त करने के लिए दीर्घकालीन उपाय अपनाये जाएं। युद्ध, मानव अधिकारों का हनन, भ्रष्टाचार, गरीबी, पर्यावरण परिस्थितियाँ तथा आपदाएँ इन समस्याओं के मूल कारण हैं जिसका सीधा प्रभाव बच्चों पर पड़ता है। संत पापा ने इस समस्याओं को सुलझाने के लिए समस्त विश्व समुदाय को प्रतिबद्ध होने की सलाह दी। 

संदेश में संत पापा ने उन सभी स्वयंसेवकों को सम्बोधित किया जो अप्रवासी बच्चों एवं युवाओं का साथ देते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें आपके बहुमूल्य सहयोग की आवश्यकता है। कलीसिया को उनकी जरूरत है तथा वह उनके सहयोग को समर्थन देती है। सुसमाचार को साहस पूर्वक जीने में वे कभी न थकें।   

अंततः संत पापा ने सभी बाल विस्थापितों, उनके परिवार के सदस्यों एवं समुदायों को पवित्र परिवार नाज़रेथ की सुरक्षा में सिपुर्द किया।








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