2016-10-02 17:59:00

संत पापा ने अजरबैजान पर सौहार्द, शांति और समृद्धि की आशीष की कामना की


वाटिकन सिटी, रविवार, 2 अक्तूबर 2016 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने अपनी प्रेरितिक यात्रा पर 2 अक्टूबर को अज़रबैजान के बाकू स्थित हैदर अलीव केंद्र में, वहाँ के राष्ट्रपति इलहाम हैदर ओगहलू अलीयेब, सरकारी अधिकारियों, राजनायिकों एवं अन्य प्रतिनिधियों से मुलाकात की।

संत पापा ने अज़रबैजान में स्वागत किये जाने हेतु कृतज्ञता व्यक्त की तथा अपनी यात्रा का उद्देश्य बतलाते हुए कहा, ″मैं उस देश में आया हूँ जो जटिल एवं समृद्धि संस्कृति के कारण अनुठेपन से भरा है। जो उन बहुत सारे लोगों की देन है जिन्होंने इतिहास में इस देश में निवास किया है। उन्होंने जीवन को अनुभव, मूल्य तथा विशिष्ट सुविधाएं प्रदान की हैं जिसकी झलक एवं समृद्धि आधुनिक समाज में दिखाई पड़ती हैं। 

संत पापा ने अज़रबैजान की स्वतंत्रता दिवस की याद कर कहा, ″आगामी 18 अक्टूबर को अज़रबैजान अपनी स्वतंत्रता की 25 वीं वर्षगाँठ मनाने वाला है। जो इन दशकों में हुए प्रगति, उपलब्धियों तथा देश की चुनौतियों के व्यापक जायजा लिए जाने का अवसर होगा।″

उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद जो रास्ता तय किया गया है वह संस्थाओं को मजबूत करने, अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने एवं देश के नागरिकों के विकास हेतु शुरू किये गये महत्वपूर्ण प्रयास को स्पष्ट रूप से प्रकट करता है। यह रास्ता है जो सभी की ओर लगातार ध्यान दिये जाने की मांग करता है, विशेषकर, कमजोर लोगों की और ऐसा इस समाज में सम्भव है जो बहु संस्कृतिवाद एवं संस्कृतियों के लिए आवश्यक पूरकता के लाभ को पहचानती है। इसके द्वारा समाज में आपसी सहयोग तथा समाज के विभिन्न भागों एवं धार्मिक आस्थाओं को सम्मान मिलता है। हमारे समय में इन विभिन्नताओं को एक साथ मिलाने के सार्वजनिक प्रयास का खास महत्व है। जैसा कि यह दर्शाता है कि विचारों को व्यक्तिगत रूप से प्रकट करना तथा अलग विचार रखने वालों के सामने उनके अधिकारों का हनन किये बिना उसे विश्व के सामने प्रस्तुत करना सम्भव है।

संत पापा ने आशा व्यक्त की कि अजरबैजान विभिन्न संस्कृतियों एवं धर्मों के साथ सहयोग के मार्ग पर आगे बढ़ता रहेगा। उन्होंने कामना की कि सहयोग एवं शांतिमय सहअस्तित्व देश की जनता के लिए जीवन शक्ति का स्रोत बने तथा बहुलता की अभिव्यक्ति में सभी पुरूषों एवं महिलाओं को सार्वजनिक हित में अपना योगदान देने का अवसर प्राप्त हो।

संत पापा ने आधुनिक समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विश्व, दुर्भाग्य से कई प्रकार की त्रासदी झेल रही है जो असहिष्णुता, नाराजगी भरे विचारधारा तथा कमजोर लोगों के अधिकारों के प्रभावी इन्कार द्वारा पोषित होती है। इस खतरनाक अतिक्रमण को रोकने के लिए हमें शांति की संस्कृति को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। उसे वार्ता की इच्छा तथा लोगों में जागरूकता उत्पन्न करने के द्वारा बढ़ाया जा सकता है। देश के अंदर ही विभिन्न हिस्सों में आपसी सहयोग की भावना को प्रोत्साहन दिये जाने की आवश्यकता है। राज्यों में उन रास्तों की रक्षा करनी है जो सच्चे विकास एवं लोगों की स्वतंत्रता की ओर ले चलते हैं। नये स्थानों की खोज करनी है जो स्थायी समझौता एवं शांति की ओर बढ़ाते हैं। इस प्रकार लोग कष्टों एवं पीड़ादायी घावों जिसको आसानी से चंगा नहीं किया जा सकता उनसे बच सकेंगे। 

संत पापा ने उन लोगों की भी याद की जिन्हें विस्थापन का शिकार होना पड़ा है उन्होंने कहा, ″मैं उन लोगों को अपना आध्यात्मिक सामीप्य प्रदान करना चाहता हूँ जिन्हें अपनी भूमि त्यागना पड़ा है तथा जो हिंसक संघर्षों से प्रभावित हैं। मैं आशा करता हूँ कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय उन्हें आवश्यक मदद प्रदान करे।″ उन्होंने सभी लोगों से अपील की कि इस समस्या के हल हेतु कोई संतोषजनक समाधान निकाला जाए। उन्होंने कहा कि ईश्वर की सहायता से तथा भली इच्छा रखने वाले लोगों के सहयोग से काकेशस में वार्ता एवं समझौता द्वारा झगड़े और मतभेदों से ऊपर उठना सम्भव होगा।          

अज़रबैजान के काथलिक समुदाय की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि काथलिक कलीसिया जिसका आकार देश में छोटा है किन्तु वह समाज के हर आनन्द, चुनौतियों एवं कठिनाईयों में भाग लेती है। उन्होंने खुशी जाहिर की कि काथलिकों, मुसलमानों, ऑर्थोडॉक्स एवं यहूदी समुदाय के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि मित्रता एवं सहयोग के चिन्ह का विकास जारी रहेगा क्योंकि शांतिपूर्ण सहअस्तित्व एवं विश्व में शांति के लिए अच्छे संबंध का बहुत अधिक महत्व है जो विभिन्न धर्मों के अच्छे संबंधों, सम्मान तथा सभी की भलाई हेतु योगदान द्वारा प्रकट होना सम्भव है।                         

प्रामाणिक धार्मिक मूल्यों से आसक्ति के कारण अपनी विचारधाराओं को हिंसक रूप से दूसरों पर थोपना तथा ईश्वर के पवित्र नाम का प्रयोग शस्त्र के रूप में करना, पूरी तरह असंगत है बल्कि समाज के सार्वजनिक हित हेतु आपसी समझदारी, सम्मान एवं सहायता का आदान-प्रदान के लिए  ईश्वर पर विश्वास, स्रोत एवं प्रेरणा होनी चाहिए। उन्होंने प्रार्थना की कि ईश्वर अजरबैजान को सौहार्द, शांति और समृद्धि की आशीष प्रदान करे। 








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