2016-10-01 11:58:00

जॉर्जिया में सन्त पापा ने किया अन्तरराष्ट्रीय कानून के सम्मान का आह्वान


त्बिलीसी, शनिवार, 01 अक्तूबर सन् 2016 (सेदोक): जॉर्जिया में शुक्रवार को सन्त पापा फ्राँसिस ने अन्तरराष्ट्रीय कानून के सम्मान का आह्वान किया। विश्वव्यापी काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार को जोर्जिया एवं अज़रबैजान की प्रेरितिक यात्रा आरम्भ की थी। जॉर्जिया की राजधानी त्बिलीसी में अपने आगमन के क्षण ही उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय कानून तथा देशों के संप्रभु अधिकारों के सम्मान पर बल दिया। ग़ौरतलब है कि जॉर्जिया के दो अलग हुए प्रान्तों में रूस की सैन्य टुकड़ियाँ तैनात हैं।    

सन् 1991 में जॉर्जिया ने भूतपूर्व सोवियत संघ से स्वतंत्रता हासिल की थी किन्तु क्रेमलिन की परछाई से वह मुक्त नहीं हो पाया है। 2008 में अबखाज़िया एवं ओसेतिया को लेकर रूस एवं जॉर्जिया के बीच सशस्त्र संघर्ष छिड़ा था। रूस इन प्रान्तों को जॉर्जिया से अलग स्वतंत्र प्रान्त मानता है। त्बिलीसी के राष्ट्रपति भवन में स्वागत समारोह के अवसर पर जॉर्जिया की स्थिति का स्पष्ट संकेत देते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा कि क्षेत्र के देशों के बीच विद्यमान सम्बन्ध अन्तरराष्ट्रीय कानून की रूपरेखा के अन्तर्गत किसी भी देश के संप्रभु अधिकारों को दरकिनार नहीं कर सकते।    

जॉर्जिया के राष्ट्रपति जॉर्जी मार्गवेलाशविली ने सन्त पापा से कहा कि सभी लोगों में प्रतिष्ठापूर्ण जीवन जीने की अभिलाषा है किन्तु "नागरिकों के अधिकारों के उल्लंघन एवं पड़ोसी देश द्वारा भूमि के अधिकरण के कारण इस मिशन को पूरा नहीं किया जा सकता है।"

हालांकि सन्त पापा ने जॉर्जिया के अबखाज़िया एवं ओसेतिया का नाम नहीं लिया तथापि उन्होंने स्वतंत्रतापूर्वक अपनी भूमि पर लौटने हेतु विस्थापितों के अधिकारों को समर्थन दिया। जॉर्जिया की सरकार का कहना है कि विवादास्पद भू भागों के चलते कम से कम तीन लाख नागरिक विस्थापित हुए हैं। यूरोपीय संघ एवं नेटो से संलग्न होने की मंशा रखनेवाने जॉर्जिया ने रूस पर धीरे-धीरे देश के भूभागों में घुसपैठ का आरोप लगाया है। जॉर्जिया के राष्ट्रपति ने सन्त पापा को बताया कि वे कंटीले तारों की बाड़ से केवल 25 मील दूर हैं जो लोगों को उनके परिजनों एवं रिश्तेदारों से भी मिलने नहीं दे रही हैं।   

जॉर्जिया एवं अज़रबैजान की प्रेरितिक यात्रा इन देशों में सन्त पापा फ्राँसिस की पहली तथा इटली से बाहर उनकी 16 वीं प्रेरितिक यात्रा है जिसका प्रमुख उद्देश्य लोगों के बीच मैत्री और सम्वाद को प्रोत्साहन देना है। रोम से त्बिलीसी की हवाई यात्रा करने से पूर्व इटली के राष्ट्रपति जॉर्जो मातारेल्ला को प्रेषित एक तार सन्देश में सन्त पापा ने लिखा कि उनकी यह यात्रा विभिन्न संस्कृतियों एवं धर्मों के बीच मिलन एवं सम्वाद को प्रोत्साहन देना चाहती, ख्रीस्तीयों के बीच एकता की तीर्थयात्रा को सम्बल प्रदान करना चाहती तथा काथलिक समुदाय के विश्वास को सुदृढ़ करना चाहती है।








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