2016-09-30 12:27:00

प्रेरक मोतीः सन्त जेरोम (342 ई. – 420 ई.)


वाटिकन सिटी, 30 सितम्बर सन् 2016:

30 सितम्बर को काथलिक कलीसिया सन्त जेरोम का पर्व मनाती है। यूसेबियुस सोफरोनियुस नाम से एड्रियाटिक सागर तट पर स्थित स्ट्रीडोन नगर में जेरोम का जन्म, सन् 342 ई. में हुआ था। जेरोम के पिता यूसेबियुस एक धर्मपरायण ख्रीस्तानुयायी थे जिन्होंने बाल्यकाल से ही जेरोम में सुसमाचारी मूल्यों को रोपा था। परिवार में ही प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने के उपरान्त जेरोम के पिता ने उन्हें उच्च शिक्षा के लिये रोम प्रेषित कर दिया था। रोम में जेरोम ने प्रसिद्ध ग़ैरख्रीस्तीय  वैयाकरण दोनातुस तथा ख्रीस्तीय अलंकार शास्त्री विक्तोरिनुस के अधीन रहकर शिक्षा प्राप्त की थी। जेरोम की मातृभाषा इल्लीरियन बोली थी तथापि, कड़ी मेहनत कर वे धाराप्रवाह लैटिन एवं ग्रीक भाषाएँ बोलने लगे थे तथा इन भाषाओं के साहित्य का अध्ययन में लग गये थे। वाक कला में उनकी योग्यता इतनी थी कि वे किसी भी विषय पर पूर्ण अधिकार के साथ बोल लेते थे। हालांकि, जेरोम के इर्द-गिर्द सांसारिकता तथा सांसारिक सुख साधन की कमी नहीं थी तथापि उन्होंने ख्रीस्तीय मूल्यों को कभी नहीं भुलाया।

सन् 360 ई. में जेरोम ने सन्त पापा लाईबेरियुस के कर कमलों से बपतिस्मा संस्कार ग्रहण किया तथा बाद में पुरोहित अभिषिक्त हुए। 30 सितम्बर सन् 420 ई. में जेरोम का निधन हो गया था।पुरोहित जेरोम एक उत्तम शिक्षक, इतिहासकार एवं प्रवचनकर्ता थे। ईश-शास्त्र एवं दर्शन पर उन्होंने कई पुस्तकें लिखी जिनकी गिनती आज भी कलीसियाई साहित्य के कोष में की जाती हैं। पुरोहित जेरोम पवित्र धर्मग्रन्थ बाईबिल के लैटिन अनुवाद तथा सुसमाचारों की व्याख्या के लिये जाने जाते हैं इन कृतियों के लिये उन्हें काथलिक कलीसिया के आचार्य की उपाधि प्रदान की गई है। काथलिक कलीसिया ही नहीं अपितु पूर्वी ऑरथोडोक्स कलीसिया, लूथरन चर्च तथा इंगलैण्ड की एंग्लिकन कलीसियाओं द्वारा भी सन्त जेरोम की भक्ति की जाती है। सन्त जेरोम का पर्व 30 सितम्बर को मनाया जाता है।

चिन्तनः "पुत्र! यदि तुम मेरे शब्दों पर ध्यान दोगे, मेरी आज्ञाओं का पालन करोगे,  प्रज्ञा की बातें कान लगा कर सुनोगे और सत्य में मन लगाओगे; यदि तुम विवेक की शरण लोगे और सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना करोगे;  यदि तुम उसे चाँदी की तरह ढूँढ़ते रहोगे और खजाना खोजने वाले की तरह उसके लिए खुदाई करोगे,  तो तुम प्रभु-भक्ति का मर्म समझोगे और तुम्हें ईश्वर का ज्ञान प्राप्त होगा; क्योंकि प्रभु ही प्रज्ञा प्रदान करता और ज्ञान तथा विवेक की शिक्षा देता है।"








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