2016-09-30 12:00:00

जोर्जिया एवं अज़रबैजान में सन्त पापा फ्राँसिस की यात्रा शुरू, पृष्ठभूमि


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 30 सितम्बर सन् 2016 (सेदोक): विश्वव्यापी काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा फ्राँसिस शुक्रवार 30 सितम्बर को रोम के फ्यूमीचीनो अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से, स्थानीय समयानुसार प्रातः नौ बजे जोर्जिया एवं अज़रबैजान में अपनी तीन दिवसीय यात्रा के लिये रवाना हुए। चार घण्टों की विमान यात्रा के उपरान्त आलइतालिया का ए-321 विमान जोर्जिया की राजधानी त्बिलीसी पहुँचा। रविवार सन्ध्या को समाप्त होनेवाली जोर्जिया एवं अज़रबैजान की प्रेरितिक यात्रा इन देशों में सन्त पापा फ्राँसिस की पहली तथा इटली से बाहर उनकी 16 वीं प्रेरितिक यात्रा है।  

पश्चिमी एशिया और पूर्वी यूरोप के चौराहे पर स्थित जॉर्जिया यूरेशिया के काओकासुस क्षेत्र में बसा   एक देश है। पश्चिम में काला सागर, उत्तर में रूस, दक्षिण में तुर्की और आर्मेनिया तथा दक्षिण पूर्व में अज़रबैजान की सीमाओं से संलग्न जॉर्जिया की राजधानी त्बिलिसी है। 2015 में प्रकाशित आँकड़ों के मुताबिक देश की कुल आबादी लगभग 45 लाख है। जॉर्जियानो भाषा के अलावा यहाँ आरमेनियाई तथा रूसी भाषाएँ बोली जाती हैं। जॉर्जिया की 84 प्रतिशत जनता जॉर्जियाई ऑरथोडोक्स ख्रीस्तीय धर्मानुयायी है। 10 प्रतिशत इस्लाम धर्मानुयायी, 2.9 प्रतिशत आरमेनियाई ख्रीस्तीय, 1 प्रतिशत से भी कम काथलिक धर्मानुयायी तथा शेष लोग यहूदी एवं प्रॉटेस्टेण्ट ख्रीस्तीय  हैं।

सन् 1921 ई. से सोवियत रूस के अधीन रहनेवाला जॉर्जिया अप्रैल सन् 1991 में गणतंत्र रूप में स्थापित हुआ था किन्तु सम्पूर्ण 90 के दशक में जॉर्जिया नागर एवं आर्थिक समस्याओं से जूझता रहा है। 2008 में रूस के साथ दक्षिण ओसेतिया प्रान्त को लेकर छिड़े युद्ध के बाद से दोनों देशों के बीच तनाव बरकरार हैं।

सन्त अन्द्रेयस के सुसमाचार प्रचार के परिणामस्वरूप जॉर्जिया में ख्रीस्तीय धर्म का सूत्रपात पहली शताब्दी में हुआ। बताया जाता है कि जॉर्जिया की प्राचीन राजधानी मित्सकेथा के कुछेक यहूदियों ने पहली शताब्दी में ही पवित्र अवशेष रूप में प्रभु येसु ख्रीस्त का अंगरखा जैरूसालेम से लाकर जॉर्जिया में सुरक्षित रख दिया था तथा देश को पवित्र कुँवारी मरियम के संरक्षण के सिपुर्द कर दिया था। बाद में साईप्रस, सिरिया, आरमेनिया तथा ग्रीस से भी ख्रीस्तीय मिशनरी जॉर्जिया पहुँचे और सन् 330 ई. में ख्रीस्तीय धर्म को जॉर्जिया का राज्य धर्म घोषित कर दिया था।

आधुनिक इतिहास पर यदि दृष्टि डालें तो सन् 1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद से जॉर्जिया के नागरिकों को पुनः धार्मिक स्वतंत्रता मिली तथा गिरजाघरों में प्रार्थना अर्चना का पुनराम्भ हो सका। सन् 1993 में जॉर्जिया में काथलिक धर्मानुयायियों की सेवा हेतु काओकासो के प्रेरितिक प्रशासन की स्थापना की गई थी। सन् 1996 में सन्त पापा जॉन पौल द्वितीय ने काथलिक पुरोहित फादर जोसफ पास्सोत्तो को प्रेरितिक शासक नियुक्त किया था।

जॉर्जिया में हालांकि काथलिकों की संख्या केवल एक लाख बारह हज़ार ही है तथापि काथलिक कलीसिया विश्वव्यापी उदारता संगठन कारितास आदि के माध्यम से देश में शिक्षा, स्वास्थ्य, चिकित्सा, परिवार एवं समाज कल्याण केन्द्रों द्वारा जॉर्जिया की जनता की सेवा कर रही है।

अपनी तीन दिवसीय प्रेरितिक यात्रा के दौरान सन्त पापा फ्राँसिस शुक्रवार एवं शनिवार का दिन जॉर्जिया में व्यतीत कर रहे हैं तथा रविवार को अज़रबैजान के दौरे से इस यात्रा का समापन कर रहे हैं। जॉर्जिया में राष्ट्रपति से औपचारिक मुलाकात के उपरान्त वे जॉर्जियाई ऑर्थोडोक्स कलीसिया के आध्यात्मिक गुरु प्राधिधर्माध्यक्ष इलिया द्वितीय से मुलाकात करेंगे तथा अस्सिरियाई एवं खलदेई काथलिक समुदायों की भेंट करेंगे। शनिवार, पहली अक्टूबर का दिन सन्त पापा फ्राँसिस ने जॉर्जिया के काथलिकों के लिये सुरक्षित रखा है। त्बिलीसी के मिखाएल स्टेडियम में देश के काथलिक धर्मानुयायियों के लिये ख्रीस्तयाग अर्पित करने के साथ-साथ सन्त पापा काथलिक पुरोहितों, धर्मबहनों को अपना सन्देश देंगे तथा अनेकानेक काथलिक लोकोपकारी संगठनों में सेवारत स्वयंसेवकों से मुलाकात करेंगे।

रविवार, 02 अक्टूबर को सन्त पापा फ्रांसिस अज़रबैजान का रुख कर रहे हैं जो एक मुसलमान बहुल देश है, काथलिकों की संख्या यहाँ मात्र 57,000 है। भौगोलिक स्तर पर अज़रबैजान काओकासुस के पूर्वी भाग का एक गणराज्य है जो पूर्वी यूरोप और एशिया के मध्य बसा हुआ है। आर्मेनिया, जॉर्जिया, रूस, ईरान और तुर्की इसके सीमांत देश है तथा इसका तटीय भाग कैस्पियन सागर से लगा हुआ है। जॉर्जिया की तरह ही अज़रबैजान भी सन् 1991 तक भूतपूर्व सोवियत संघ का भाग था।

अज़रबैजान में सन्त पापा फ्राँसिस देश के छोटे से काथलिक समुदाय के लिये बाकू में ख्रीस्तयाग अर्पित करेंगे तथा क्षेत्र के प्रधान ईमाम, बाकू के ऑरथोडोक्स धर्माध्यक्ष तथा राष्ट्र के यहूदी समुदाय के प्रधान रब्बी से मुलाकातें करेंगे। मीडिया का अनुमान है कि अज़रबैजान के राष्ट्रपति से मुलाकात के अवसर पर सन्त पापा नागरनो-काराबाख के संघर्ष के मुद्दे को भी उठायेंगे। आधिकारिक रूप से नागरनो-काराबाख अज़रबैजान का अभिन्न अंग है किन्तु सन् 1994 में समाप्त हुए अलगाववादी युद्ध के बाद से यह स्थानीय आरमेनियाई लोगों के अधीन है। अज़रबैजान का कहना है कि ये स्थानीय आरमेनियाई न होकर आरमेनियाई सेना के लोग हैं। सन् 1994 के युद्ध में सैकड़ों नागरिकों के अलावा दोनों पक्षों की ओर कम से कम 75 सैनिक मारे गये थे।

विगत 26 जून को आरमेनिया में अपनी यात्रा सम्पन्न करने के उपरान्त विमान पर पत्रकारों से सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा था कि वे अज़रबैजान से शांतिपूर्ण समाधान का आग्रह करेंगे। दो अक्टूबर को जॉर्जिया तथा अज़रबैजान में अपनी तीन दिवसीय यात्रा पूरी कर सन्त पापा फ्राँसिस रविवार देर सन्ध्या पुनः रोम लौट रहे हैं।








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