2016-09-29 17:02:00

ईराक और सीरिया के काथलिक उदारता संगठन के सदस्यों से संत पापा की मुलाकात


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 29 सितम्बर 2016 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने काथलिक कलीसिया के कल्याणकारी कार्यों का समन्वय करने वाली वाटिकन स्थित कोर उनुम समिति के तत्वधान में आयोजित, ईराक और सीरिया के काथलिक उदारता संगठनों के 100 सदस्य से 29 सितम्बर को वाटिकन के क्लेमेंटीन सभागार में मुलाकात की।        

उनका अभिवादन करते हुए संत पापा ने उन्हें सीरिया एवं ईराक संकट की पृष्ठभूमि पर कलीसिया के कार्यों पर चिंतन करने हेतु धन्यवाद दिया।  

संत पापा ने पिछली मुलाकात से लेकर आज तक की स्थिति का अवलोकन करते हुए कहा कि यह अत्यन्त दुःखद है कि कई क्षेत्रों में अनेक प्रयासों के बावजूद इन देशों में, हथियार तथा शोषण एवं हिंसा जारी है। अभी भी, दुःख एवं मानव अधिकार के हनन पर रोक नहीं लगाया जा सका है और जिसका गंभीर परिणाम है विस्थापन। हिंसा से हिंसा उत्पन्न होती है और हम अहंकार की कुंडली तथा जड़ता के घेरे में बंद कर दिये जाते हैं जहाँ से कोई निकासी नहीं दिखाई देता। बुराई जो अंतःकरण एवं इच्छा को जकड़ लेती है, संत पापा ने कहा कि उस पर सवाल किया जाना चाहिए क्योंकि व्यक्ति, मनुष्य, सम्पति तथा पर्यावरण को अनकहे हानि की कीमत के बावजूद झूठ, बदले की भावना तथा हिंसा का पीछा करना जारी रखता है। संत पापा ने कहा कि व्यक्ति एवं इतिहास में उपस्थित बुराई से उसे मुक्ति दिलाये जाने की आवश्यकता है। अतः हम इस वर्ष ख्रीस्त पर अपनी निगाहें टिकायें हुए हैं जो करुणा के ठोस रूप हैं जिन्होंने पाप एवं मृत्यु पर विजय पायी है।

संत पापा ने सीरिया एवं ईराक में हिंसा के शिकार लोगों की याद कर कहा, ″सीरिया, ईराक तथा इनके पड़ोसी देशों में कई पीड़ित चेहरों को देखते हुए जो शरण एवं सुरक्षा की तलाश कर रहे हैं उनमें कलीसिया दुःख भोग रहे प्रभु को देखती है।″  

संत पापा ने सभा के प्रतिभागियों से कहा कि उन्हीं की तरह जो लोग सहायता करने एवं उनकी प्रतिष्ठा की रक्षा करने हेतु समर्पित हैं वे निश्चय ही, ईश्वर की करुणा को प्रकट करते हैं। एक चिन्ह को कि बुराई की सीमा है तथा यह अंतिम शब्द नहीं है। यह आशा का महान चिन्ह है जिसके लिए मैं आप सभी को धन्यवाद देना चाहता हूँ। संत पापा ने करुणा के जयन्ती वर्ष में संघर्ष के शिकार लोगों के लिए प्रार्थना करने की सलाह दी, विशेषकर, बच्चों एवं बीमार लोगों के लिए।

संत पापा ने प्रतिभागियों को दूसरी आवश्यक बात बतलाते हुए कहा कि आवश्यक मानवीय सहायता से बढ़कर, सीरिया एवं ईराक में हमारे भाई-बहनों को शांति की बहुत आवश्यकता है। जिसकी मांग उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से कई बार की है। संत पापा ने उन्हें शांति निर्माता बनने की सलाह दी क्योंकि हिंसा एवं अन्याय की हर परिस्थिति समस्त मानव परिवार के शरीर में एक घाव है। उन्होंने ईश्वर से शांति के लिए प्रार्थना करने का आग्रह किया ताकि ईश्वर राजनीतिक नेताओं को प्रेरित करे जिससे कि वे व्यक्तिगत लाभ का त्याग महान अच्छाई शांति के खातिर कर सकें।

संत पापा ने ईराक और सीरिया के काथलिक उदारता संगठनों की सभा की सार्थकता बतलाते हुए कहा कि यह एक रास्ता है जिसपर धीरजपूर्वक एक साथ आगे बढ़ा जा सकता है यह एक बहुत ही आवश्यक बात है और कलीसिया इसके द्वारा अपना सहयोग देना जारी रखेगी। 

अंततः संत पापा ने मध्य पूर्व के ख्रीस्तीय समुदाय की याद की जो हिंसा के परिणाम झेल रहे हैं तथा भविष्य को भय के साथ देखते हैं। संत पापा ने उनकी सराहना करते हुए कहा कि इस घोर अंधकार के बीच भी वे विश्वास, आशा एवं उदारता के दीपक को धारण किये हुए हैं तथा साहस के साथ बिना भेदभाव के पीड़ित लोगों की सहायता एवं शांति का निर्माण करते हैं। उन्हें विश्वव्यापी कलीसिया द्वारा सराहे जाने, कृतज्ञता अर्पित किये जाने एवं समर्थन दिये जाने की आवश्यकता है। 

संत पापा ने संकट के शिकार लोगों की मदद हेतु कार्य करने वाले सभी सदस्यों को दया और उदारता की आदर्श कलकत्ता की संत तेरेसा के चरणों तले सिपुर्द की।








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