2016-09-28 15:29:00

दो डाकूओं पर आधारित संत पापा की धर्मशिक्षा


वाटिकन सिटी, बुधवार 28 सितम्बर 2016 (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत प्रेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में जमा हुए हज़ारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को अपनी धर्मशिक्षा माला के दौरान संबोधित करते हुए कहा

प्रिय भाइयो एवं बहनो सुप्रभात,

अपने असहनीय पीड़ा के दौरान क्रूस पर से येसु के उच्चारित शब्द हमारे लिए क्षमा की पराकाष्ठा को व्यक्त करते हैं। “हे पिता तू उन्हें क्षमा कर दे क्योंकि वे नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं।” (लूका.23. 24) भले डाकू के लिए येसु के ये शब्द, शब्द मात्रा नहीं हैं लेकिन यह उसके लिए क्षमा का एक ठोस उदाहरण है। संत लूकस दो अपराधियों की चर्चा करते हैं जो येसु के साथ क्रूस पर टंगे हुए थे।

पहले ने अपनी निराशा में येसु को जनता के नेताओं की तरह उकसाते हुए कहा, “तू मसीह है न? तो अपने को और हमें भी बचा।” (23. 39) यह दुःख में पड़े व्यक्ति की एक कराह को बयाँ करता  है जो मृत्यु की रहस्य के समक्ष इस तथ्य को हमारे सामने व्यक्त करता है कि केवल ईश्वर ही हमें मुक्ति प्रदान कर सकते हैं। अतः यह अविचारणीय बात लगती है कि कैसे मुक्तिदाता, ईश्वर की ओर से भेजा गया पावन पुरुष अपने को बचाने हेतु कुछ नहीं करता वरन् क्रूस पर लटका रह सकता है। लेकिन येसु क्रूस पर लटके रहने के द्वारा ही हमें बचाते हैं। वे क्रूस पर से हमें अपने प्रेम की निशानी प्रदान करते हैं जो हमारे लिए मुक्ति का स्रोत बनती है। दो दोषीदारों के बीच एक निर्दोष का क्रूस पर मारा जाना इस बात को सत्य प्रमाणित करता है कि ईश्वर की मुक्ति किसी भी मनुष्य को किसी भी परिस्थिति में मिल सकती है यहाँ तक की अति नकारात्मक और कष्टदायक स्थिति में भी। यही कारण है कि जयंती वर्ष अच्छे और बुरे, स्वास्थ्य और रोग ग्रस्त सभों के लिए ईश्वर की कृपा, करुणा के रुप में आती है। “कोई भी हमें ईश्वर के प्रेम से अलग नहीं कर सकता।” (रोम. 8,39) वे जो अस्पतालों के बिस्तरों पर क्रूसित हैं, जो बन्दीगृह में बंद हैं, वे जो युद्ध में फँसें हुए हैं, संत पापा ने कहा, “मैं उनसे कहा हूँ आप क्रूस की ओर अपनी नजरें उठायें, ईश्वर आप सबों के साथ, आप के दुःख में हैं और आप को अपनी मुक्ति प्रदान करते हैं। आप सुसमाचार की शक्ति को अपने हृदयों में प्रवेश करने दें जिससे यह आप को सांत्वना, आशा और उनकी निकटता का अनुभव दिलाते हुए इस बात की निश्चितता प्रदान करे कि आप को ईश्वरीय क्षमादान से कोई अलग नहीं कर सकता है।

संत पापा ने कहा कि भले डाकू के शब्दों में एक अति सुन्दर पश्चाताप, येसु से सम्पूर्ण क्षमा याचना की धर्मशिक्षा हमें मिलती है। सर्वप्रथम वह अपने सहकर्मी की ओर मुड़ता है, “क्या तुझे ईश्वर का भी डर नहीं? तू भी तो वही दण्ड भोग रहा है। (लूका. 23.40) इस तरह वह ईश्वर के भय से अपने पश्चाताप की शुरूआत करता है। यह ईश्वर का भय नहीं वरन ईश्वर का सम्मान है क्योंकि वे ईश्वर हैं। भला डाकू ईश्वर की उपस्थित और उसकी सर्वशक्तिमत्ता पर विश्वास करता है और यह निराश भरे क्षणों में भी उसे ईश्वर की करुणा पर विश्वास करने को प्रेरित करता है।

इसके बाद वह भला डाकू येसु के निर्दोष होने की बात का जिक्र करते हुए अपनी गलतियों को स्वीकार करता है। “हमारा दण्ड न्यायसंगत है, क्योंकि हम अपनी करनी का फल भोग रहे हैं, पर इन्होंने कोई अपराध नहीं किया है।” येसु क्रूस पर पापियों और दोषीदारों के साथ हैं और अपनी इस निकटता द्वारा वे पापियों को मुक्ति प्रदान करते हैं। इस तरह भला डाकू कृपा का साक्ष्य बनता है जो एक अकल्पनीय बात है। ईश्वर मुझे इतना प्रेम करते हैं कि वे मेरे लिए क्रूस पर मरना स्वीकार करते हैं। उसका विश्वास येसु की कृपा द्वारा संभव होता है जहाँ उसकी आँखें इस तथ्य पर मनन करती हैं कि येसु प्रेम के कारण पापियों के लिए क्रूस पर मर गये।

भला डाकू अंत में येसु को व्यक्तिगत रुप से संबोधित करते हुए अपनी सहायता की गुहार करता है, “ईसा, जब आप अपने राज्य में आयेंगे, तो मुझे याद कीजिएगा।” (लूका.23.42) वह येसु के नाम की याद करते हुए इस बात को स्वीकार करता है कि “येसु बचानेहारे हैं”। वह येसु से निवेदन करता है कि वह उसकी याद करे। संत पापा ने कहा कि इस अभिव्यक्ति में कितनी कोमलता, कितना मानवीय स्पर्श है। इस तरह एक दण्डित व्यक्ति ख्रीस्तीयों और सारी कलीसिया हेतु एक आदर्श बन जाता है क्योंकि वह अपने को येसु के हाथों में सौंप देता है।

भले डाकू का भविष्य की ओर इंगित करते हुए कहे गये वचन, “जब आप अपने राज्य में आयेंगे” इसका उत्तर देते हुए येसु कहते हैं, “मैं तुम से कहता हूँ, तुम आज ही परलोक में मेरे साथ होगे”। (23. 43) भले डाकू को दिये कहे गये वचनों में येसु के प्रेरित कार्य, पापियों की मुक्ति अपनी पराकाष्ठा में पहुँचती है। येसु ने अपने इस प्रेरितिक कार्य की घोषणा नाजरेत के मन्दिर में अपने पिता के कामों की शुरूआत के दौरान कही थी, “बंदियों को मुक्ति का संदेश” (लूका.4.18)। उन्होंने येरीको में जकेयुस के घर कहा था,“ ईश्वर का पुत्र खोये हुए को खोजने और बचाने आया है।” येसु सचमुच में करुणामय पिता के चेहरे की निशानी हैं।

इतना कहने के बाद संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की और सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों का अभिवादन करते हुए सभों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।








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