2016-09-20 11:58:00

सन्त पापा फ्राँसिस ने स्वीकार किया नई ब्रितानी राजदूत का प्रत्यय पत्र


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 20 सितम्बर 2016 (सेदोक): सन्त पापा फ्राँसिस ने, सोमवार को, परमधर्मपीठ के लिये नई ब्रितानी राजदूत सैली ऑक्सवर्दी का प्रत्यय पत्र स्वीकार किया।

नवनियुक्त राजदूत ऑक्सवर्दी ने सन् 1986 में ब्रिटेन के विदेश एवं राष्ट्रमंडल कार्यालय में काम शुरु किया था। हाल ही में उन्होंने इस कार्यालय के उत्तरी अफ्रीका, ग्रेट लेक तथा पूर्वी अफ्रीका सम्बन्धी विभाग की अध्यक्षता की है। सोमालिया, यूक्रेन, भारत और जर्मनी में उन्होंने राजनयिक अनुभव प्राप्त किया है।

सन्त पापा फ्राँसिस से सोमवार को मुलाकात के उपरान्त वाटिकन रेडियो से बातचीत में उन्होंने सन्त पापा के विषय में कहा कि वे एक विनीत, सरल, मित्रवत व्यक्ति हैं।

अपने नये पद के विषय में राजदूत ऑक्सवर्दी ने कहा कि वे काथलिक धर्माध्यक्षीय सम्मेलनों तथा धर्मसमाजियों एवं धर्मसंघों के विस्तृत नेटवर्क से अत्यधिक प्रभावित हुई हैं जो प्रायः उन संघर्षरत क्षेत्रों में सेवाएँ अर्पित करते रहे हैं जिन्हें अन्य सरकारी एवं ग़ैरसरकारी संगठनों ने ख़तरनाक पाया है।

नवनियुक्त ब्रितानी राजदूत ऑक्सवर्दी का मानना है कि परमधर्मपीठ अपने राजनैतिक एवं कूटनैतिक प्रभावों द्वारा तथा ब्रिटेन अपनी ज़मीनी सूचना नेटवर्क के द्वारा आपसी वार्ताओं के लिये एक दूसरे के सम्पूरक हैं। उन्होंने कहा कि इससे विश्व के अशांत क्षेत्रों में शांति प्रक्रियाओं को समर्थन देने में योगदान मिलेगा।    

आप्रवास संकट पर उन्होंने कहा कि हालांकि सन्त पापा फ्राँसिस के साथ बातचीत उन्होंने इस विषय को नहीं उठाया है तथापि, वे सन्त पापा की इस बात से सहमत हैं कि प्रत्येक व्यक्ति की प्रतिष्ठा का सम्मान किया जाना चाहिये। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन अपनी जनता पर आप्रवास के प्रभाव के प्रति चिन्तित है इसलिये उसका विचार है कि विभिन्न देशों में व्याप्त संघर्षों को समाप्त किये जाने पर ध्यान केन्द्रित किया जाना चाहिये।

हाल में यूरोपीय संघ से ग्रेट ब्रिटेन के अलग होने के बारे में पूछे जाने पर राजदूत ऑक्सवर्दी ने कहा कि परमधर्मपीठ यूरोपीय संघ का सदस्य नहीं है इसलिये ब्रिटेन के जनमत संग्रह से ब्रिटेन एवं परमधर्मपीठ के बीच व्याप्त कार्य सम्बन्ध किसी प्रकार प्रभावित नहीं होंगे।








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