2016-09-19 16:58:00

दुनिया की रीत ईश्वर की रीत नहीं


वाटिकन सिटी, सोमवार, 19 सितम्बर 2016 (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में रविवारीय देवदूत प्रार्थना हेतु जमा सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को दुनिया और ईश्वर की रीत पर अपना संदेश देते हुए कहा,

प्रिय भाइयो और बहनो, सुप्रभात

येसु आज हमें दो अलग-अलग जीवन जीने के तरीकों, दुनिया की रीत और सुसमाचार की रीत पर मनन करने का निमंत्रण देते हैं। दुनिया के करने-धरने के तरीके येसु के विचारों और काम करने के तरीके से भिन्न है। यह हमारे लिए सुसमाचार में एक बेईमान और भ्रष्ट करिन्दा के दृष्टांत से प्रस्तुत किया गया है जिसकी प्रशंसा येसु उसकी बेईमानी के बावजूद करते हैं। यहां हमारे लिए बेईमान करिन्दा एक आदर्श नहीं वरन् हमें उसकी धूर्त का उदाहरण दिया गया है। उस व्यक्ति को अपने मालिक के कारोबार में घोटाला करने का दोषीदार पाया गया लेकिन इसके पहले कि उसे उसकी जिम्मेदारियों से बर्खास्त किया जाये वह अपनी चालाकी से अपने मालिक के क़र्जदारों को अपने धोखे की नेकी द्वारा अपने भविष्य हेतु भुना लेता है। उसकी इस चालाकी को देख येसु कहते  हैं, “इस संसार की संतान अपनी लेन-देन में ज्योति की संतान से अधिक चतुर है।” (लुका.16.8)

संत पापा ने कहा कि इस दुनिया में चालाकी के बीच हम एक ख्रीस्तीय के रुप में अपने को ईश्वरीय आत्मा की चालाकी से संचालित होने दें। ईश्वर का आत्मा हमें सुसमाचार के अनुरूप जीवन यापन करने का निमंत्रण देता है जो कि शैतान और संसार के मनोभावों के भिन्न है। इसकी झलक हमें दुनिया में हो रहे भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी, अपनी शक्ति का दुरुपयोग, पाप और बुराई के रुप में देखने को मिलता है। यह एक जंजीर के समान है जिसमें एक के बाद एक बुरी चीजें कैद होती जाती हैं। यह रास्ता साधारणत हमारे चलने में आरामदेह और सहज लगा है, लेकिन ठीक इसके विपरीत ईश्वर द्वारा निर्देशित आत्मा की राह में चलने हेतु हमें गम्भीरता की आवश्यकता होती है जो गंभीर होने के बावजूद हमें आनंद, सम्पूर्ण खुशी प्रदान करती है। यह हमारे लिए गंभीर और चुनौती पूर्ण है जो हमारी ईमानदारी, न्यायप्रियता, दूसरों के लिए आदर और सम्मान तथा अपने उत्तरदायित्व के निष्ठापूर्ण निर्वाहन में परिलक्षित होता है। यही हमारे लिए ख्रीस्तीय चतुराई  है।

संत पापा ने कहा कि हमारे जीवन की राह दो मार्गों ईमानदारी और बेईमानी, निष्ठा और बेवफाई, अपने स्वार्थ और अन्यों की सेवा, अच्छाई और बुराई के बीच चुनाव करने पर निर्भर करता है। आप इन दोनों के बीच में नहीं हो सकते क्योंकि वे एक दूसरे से अगल और एक दूसरे के विरोधाभास हैं। नबी एलिसा इन दोनों के बीच टालमटोल करने वालों को कहते हैं “तुम अपने दोनों पैरों से लगड़े हो।” (1.राजाओं 18.21) यह एक सुन्दर चित्रण है। यह हमारे लिए नितांत आवश्यक है कि हम किसी एक मार्ग का चुनाव करें और एक बार सही चुनाव करने के बाद अपनी पूरी ताकत और लगनता से ईश्वर की कृपा पर भरोसा रखते हुए, पवित्र आत्मा के सहारे उस मार्ग में चलने का प्रयास करें। सुसमाचार का निष्कर्ष और संदेश हमारे लिए तगड़ा और सुस्पष्ट है, “कोई भी सेवक दो स्वामियों की सेवा नहीं कर सकता, क्योंकि वह या तो एक से बैर और दूसरे से प्रेम करेगा, या एक का आदर और दूसरे का तिरस्कार करेगा। (लूका. 16.13)

अपनी इस शिक्षा के बाद येसु हमें अपने लिए अपने मनोभावों धार्मिकता, नम्रता तथा अपने को बांटने और दुनिया की रीत जहाँ भ्रष्टाचार, शक्ति का दुरुपयोग, लालच के बीच एक सुनिश्चित चुनाव करने का आहृवान करते हैं। संत पापा ने कहा कि भ्रष्टाचार नशा के समान है जिसका उपयोग कोई किसी भी समय कर सकता और जब चाहे रोक सकता है। लेकिन जब आप इसके जाल में फँस जाते तो आप डगमगाने और अपनी स्वतंत्रता को खोने लगते हैं। यह अपने में एक लत बन जाती और गरीबी, शोषण और दुःखों को जन्म देती है। आज दुनिया में कितने ही लोग इसके शिकार हैं। लेकिन जब हम सुसमाचार के तर्क को जीना शुरू करते तो हमारे व्यवहार और मनोभावों में एक स्पष्टता, भ्रातृत्व के भाव झलकते हैं जिसके द्वारा हम न्याय और मानवीय आशा भरी क्षितिज के शिल्पकार बनते हैं। जीवन के सुन्दर उपहार जिसे हम अपने पड़ोसियों को देते हैं तो हम अपने स्वामी और ईश्वर की सेवा करते हैं। माता मरिया हमें जीवन की सभी परिस्थितियों में सही मार्ग का चुनाव करने में मदद करे और जीवन के विपरीत समय में भी साहस प्रदान करे जिससे हम येसु और उनके सुसमाचार का अनुसरण कर सके। इतना कहने के बार संत पापा ने सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया।
देवदूत प्रार्थना के उपरान्त संत पापा ने मंगलवार विश्व शांति दिवस के अवसर पर विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को विश्व में शांति हेतु प्रार्थना करने का निवेदन किया।

संत पापा ने कहा “आज विश्व के युद्ध भरी स्थिति में हमें पहले की अपेक्षा अधिक शांति की आवश्यकता है। आइए हम शांति हेतु प्रार्थना करें।”

उन्होंने अपने आगामी मंगलवारीय इटली की आसीसी यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि वे संत पापा जोन पौल द्वितीय के तर्ज पर जिन्होंने विश्व में शांति बहाल हेतु आहृवान किया, सभी पल्लियों और कलीसियाई संस्थानों और विश्व के प्रत्येक विश्वासी से निवेदन करते हैं कि वे इस विश्व शांति दिवस में सहभागी होते हुए शांति हेतु प्रार्थना करे।

उन्होंने कहा, “भ्रातृत्व और नम्रता की निशानी रहे आसीसी के संत फ्राँसिस की राह चलते हुए हम विश्व के सभी देशों में शांति और आपसी मेल-मिलाप का निष्ठापूर्ण साक्ष्य देने हेतु बुलाये गये हैं।” उन्होंने सभों से निवेदन करते हुए कहा कि हम सभी थोड़ा समय निकाल कर आपसी एकता में शांति हेतु प्रार्थना करें जिसे विश्व में शांति स्थापित हो सके।

विदित हो कि यह वार्षिक विश्व शांति हेतु प्रार्थना का आयोजन संत एगिदियों समुदाय के नेतृत्व में किया जाता है जिसके अंतर्गत विभिन्न धर्मावलंबियों के अगुवे एक साथ जमा होते और विश्व शांति के विकट परिणामों, एकता और अन्तरधार्मिक वार्ता जैसे मुद्दों की चर्चा करते हुए विश्व शांति हेतु प्रार्थना करते हैं। इतना कहने के बाद संत पापा ने अपनी सभी विश्वासियों और तीर्थयात्रियों का अभिवादन करते हुए उन्हें रविवारीय मंगलकामनाएं अर्पित कीं और सबों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।








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