2016-09-17 16:13:00

संत पापा ने पूर्ववर्ती जेस्विट छात्रों से मुलाकात की


वाटिकन सिटी, शनिवार, 17 सितम्बर 2016 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 17 सितम्बर को वाटिकन स्थित सामान्य लोकसभा परिषद भवन में यूरोपीय संघ तथा पूर्ववर्ती जेसुइट छात्रों के विश्व संघ के 170 सदस्यों से मुलाकात कर, उन्हें अपने समुदायों को विस्थापितों एवं शरणार्थियों का स्वागत करने हेतु मदद करने की अपील की। 

उन्हें सम्बोधित कर उन्होंने कहा, ″मैं आप लोगों का स्वागत करते हुए प्रसन्न हूँ जो विस्थापन एवं शरणार्थी संकट पर चिंतन करने हेतु सम्मेलन में भाग ले रहे हैं।″ संत पापा ने कहा कि वे रोम आये हैं ताकि बलात विस्थापन की जड़ को पहचान सकें, उसको उखाड़ फेंकने की अपनी जिम्मेदारी को समझ सकें तथा अपने गाँवों एवं शहरों में परिवर्तन लाने के प्रवर्तक के रूप में भेजे जा सकें।  

दुर्भाग्य से, विश्व के विभिन्न हिस्सों में लगभग 65 लाख से अधिक लोग जबरन विस्थापन के शिकार हैं। संत पापा ने कहा कि जो लोग इस तरह के विस्थापन के शिकार हैं वे हमारे ही भाई बहनों के समान हैं और वे भी हमारे ही तरह अपने अधिकारों एवं शांतिपूर्ण जीवन की अभिलाषा करते हैं।

संत पापा ने जेस्विट शरणार्थी सेवा के संस्थापक पाद्रे अरूपे की याद की तथा कहा कि उन्होंने 35 वर्षों पूर्व रोम में इसकी स्थापना की थी और बाद में आवश्यकता वश लोगों की मदद हेतु दक्षिण वियेतनाम चले गये थे किन्तु दुःखद बात ये हैं कि आज भी विश्व के कई देशों में संघर्ष की स्थिति है और जिसके कारण बहुत सारे लोगों को विस्थापन का शिकार होना पड़ रहा है। संत पापा ने सदस्यों से कहा कि यही कारण है कि शरणार्थियों के मुद्दे पर उनकी सभा अत्यन्त महत्वपूर्ण है।

संत पापा ने आधुनिक संकट की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि युद्ध का उत्पात ईश्वर की सृष्टि पर प्रबल हो रहा है जिसके कारण असंख्य लोग भूमध्य सागर में डूबकर मर रहे हैं, शरणार्थी बनकर कितने लोग शिविरों में सालोंसाल गुजार रहे हैं।

उन्होंने कहा कि कलीसिया को आपकी आवश्यकता है कि आप पाद्रे अरूपे से प्रेरणा ग्रहण करें। इस कार्य को करने के लिए उन्होंने साहसी बनने की सलाह दी तथा कहा कि संत इग्नासियुस की आध्यात्मिकता की गहराई पर जाकर शरणार्थी समस्या को समझने का प्रयास करें एवं शरणार्थियों की सहायता करें।

संत पापा ने करुणा की जयन्ती का स्मरण दिलाते हुए कहा कि ईश्वर की दया सभी लोगों के लिए है। जिसको कलीसिया उनके द्वारा शरणार्थियों एवं विस्थापितों के लिए प्रकट कर सकती है।

संत पापा ने शरणार्थियों का स्वागत अपने घरों एवं समुदायों में करने का प्रोत्साहन दिया ताकि वे रास्ते पर ठंढक में सोने के लिए मजबूर न हों किन्तु स्वीकृति का एहसास कर सकें। उन्होंने कहा कि ऐसा करने के द्वारा हम सुसमाचार के महान मूल्य प्रेम को प्रकट करते तथा युद्ध के विपरीत बेहतर सुरक्षा को बढ़ावा देते हैं। उन्होंने शरणार्थियों को शिक्षा देने में कलीसिया के साथ जुड़कर काम करने और आनन्द का अनुभव करने की सलाह दी जिसके द्वारा 50 प्रतिशत शरणार्थी बच्चे लाभान्वित हो रहे हैं। 








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