2016-09-15 16:06:00

इलिजाबेथ सान्ना की धन्य घोषणा 17 सितम्बर को


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 15 सितम्बर 2016 (वीआर सेदोक): इटली के सर्देनिया में 17 सितम्बर को, ऑर्डर ऑफ मिनिमेस ऑफ संत फ्राँचेस्को की एक लोकधर्मी माता एवं विधवा इलिजाबेथ सान्ना की धन्य घोषणा की जायेगी।

परमधर्मपीठीय संत प्रकरण परिषद के अध्यक्ष कार्डिनल अंजेलो अमातो ने वाटिकन रेडियो से कहा कि इलिजाबेथ सान्ना एक दया की महिला थीं। उनका जीवन निरंतर शारीरिक एवं आध्यात्मिक रूप से दया के कार्यों से जुड़ा था। यात्रा के दौरान ठंढ, थकान एवं सुन्न हाथों से वे बीमारों की सेवा हेतु संत जेम्स की एक निजी अस्पताल गयीं। वे भिक्षा मांगकर अपना गुजारा करती थी किन्तु इसे द्वारा प्राप्त अपमान ने उन्हें कभी विचलित नहीं किया। उन्होंने किसी की बुराई नहीं की तथा उन लोगों के लिए लगातार प्रार्थना की जो मृत्यु दण्ड भोग रहे थे। उन्होंने उदारता पूर्वक संत भिन्सेंट पाल्लोट्टी को अपनी कमाई का अधिकांश हिस्सा अर्पित किया।

इलिजाबेथ सान्ना का जन्म सार्देनिया के कोद्रोनजिआनोस में 23 अप्रैल सन् 1788 ई. में हुआ था। सात साल की उम्र में ही चेचक महामारी ने उनके हाथों को सुन्न कर दिया था। हाथों के सून्न हो जाने के कारण वे कुछ नहीं कर पाती थीं। उन्हें धर्मसंघी जीवन के प्रति आकर्षण था किन्तु अपनी माँ की इच्छा के अनुसार वैवाहिक जीवन अपनाया। उनके सात बच्चे हुए जिनका पालन पोषण उन्होंने अच्छी तरह किया।

कार्डिनल अंजेलो अमातो ने पवित्र भूमि की यात्रा के दौरान उनके रोम में ठहरने के बारे बतलाते हुए कहा कि जब वे पवित्र भूमि की तीर्थयात्रा कर रही थीं किन्तु असमर्थ हो जाने पर घर वापस लौटने हेतु रोम में ही रूक गयीं। डॉक्टर की सलाह पर वे अपने घर सर्देन्या नहीं लौट सकीं क्योंकि उनका हृदय बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका था। वे 25 सालों तक रोम में रूकी रही और इस दौरान उन्होंने काम एवं प्रार्थना की तथा रोगियों तथा ग़रीबों से मुलाकात की। उनका निधन 17 फरवरी 1857 में हुआ।

उनका कहना था कि ईश्वर दुनिया की सभी चीजों से अधिक मूल्यवान हैं। ईश्वर के प्रेम ने उन्हें संघर्ष, गपशप, अपमान एवं पाप से ऊपर उठने की शक्ति प्रदान की है। 








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