2016-09-14 15:25:00

उदासीनता को जीतने के लिए मुलाकात की संस्कृति का निर्माण : संत पापा


वाटिकन सिटी, मंगलवार, 13 सितम्बर 2016 (सेदोक) : संत पापा फ्राँसिस ने मंगलवार 13 सितम्बर को वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए कहा कि हमें उदासीनता की संस्कृति को जीतने के लिए एक सच्ची मुलाकात की संस्कृति का निर्माण करना है।

संत पापा ने प्रवचन में कहा कि ईश्वर का वचन हमें मुलाकात पर चिंतन करने को कहता है। अकसर लोग एक दूसरे के करीब आते हैं बातचीत करते हैं पर सही मायने में मुलाकात नहीं करते। प्रत्येक अपने बारे सोचता है देखते हुए भी नहीं देखता और सुनते हुए भी नहीं सुनता है। 

संत पापा ने कहा कि आज का सुसमाचार पाठ मुलाकात पर प्रकाश डालता है। एक मुलाकात -  एक पुरुष और एक महिला के साथ, एक मात्र जीवित बेटे और एक मात्र मृत बेटे के साथ। एक महिला के एक लौटे मृत बेटे को साथ लिए एक बड़ी भीड़ विलाप करती हुई शहर के द्वार की ओर बढ़ती जा रही थी।

उन्हें देख येसु दया से भर आये। येसु महिला के पास गये। उससे मुलाकात की और उसके बाद उन्होंने चमत्कार किया। येसु के साथ मुलाकात ने उदासीनता पर विजय पाई और गरिमा को पुनःस्थापित किया।

संत पापा ने कहा कि हमें उदासीन संस्कृति में जीने का आदत सी हो गई है। हम प्राकृतिक आपदाओं में फंसे लोगों को दुःख सहते हुए देखते हैं या अन्य प्रकार प्रकार के दुःख सहते लोगों से हमारा आमना सामना होता है। हम उन्हें देखते हुए भी नहीं देखते हैं जबतक कि उनका दुःख हमारे दिल को नहीं छूता और हम उनकी मदद के लिए आगे नहीं बढ़ते हैं। संत पापा ने कहा,  आइए हम मुलाकात की संस्कृति का निर्माण करने के लिए ईश्वर से कृपा की याचना करें। ऐसी मुलाकात जो फलदायक हो, ईश्वर के पुत्र-पुत्रियों के रुप में प्रत्येक व्यक्ति को गरिमा मिले।

परिवार में खाने की मेज पर, कितने लोग टीबी देखते हुए खाना खाते हैं या अपने फोन में संदेश लिखते हैं। परिवार के लोग मिलकर रहने के बजाय एक-दूसरे के प्रति उदासीन रहते हैं। संत पापा ने परिवार में मिलकर रहने की प्रेरणा देते हुए कहा कि परिवार में हमें मिल-जुल कर रहना चाहिए और हमें खाने की मेज पर एक-दूसरे की बातें सुननी चाहिए।

मुलाकात की संस्कृति का निर्माण करने के लिए हमें वही करना है जैसा येसु ने किया। हमें न केवल देखते और सुनते हुए बेचारा कहकर पार हो जाना परंतु उनके पास जाना और प्रभु की नजरों से देखना है उस वक्त हमारे दिल में जो भाव या शब्द आये उसे प्रकट करें और उन्हें सांत्वना दें।








All the contents on this site are copyrighted ©.