2016-09-13 11:26:00

रोजगार, असमानता, जलवायु परिवर्तन आज की हैं चुनौतियाँ, कार्डिनल टर्कसन


रोम, मंगलवार, 13 सितम्बर 2016 (सेदोक): रोम में "सन्त पापा फ्राँसिस के अनुसार अर्थव्यवस्था" शीर्षक से, मंगलवार को, आयोजित एक सम्मेलन के प्रतिभागियों को सम्बोधित कर न्याय एवं शांति सम्बन्धी परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल पीटर टर्कसन ने कहा कि आज विश्व के समक्ष प्रस्तुत बेरोज़गारी, असमानता एवं जलवायु परिवर्तन सर्वाधिक गम्भीर चुनौतियाँ हैं।

कार्डिनल महोदय ने कहा कि इन चुनौतियोँ का सामना करने  के लिये सन्त पापा फ्राँसिस के विश्व पत्र "लाओदातो सी" से मार्गदर्शन प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित कराया कि आज का विश्व तकनीकी स्तर पर महान प्रगति कर चुका है किन्तु साधारण श्रमिक बेरोज़गार हो गये हैं तथा जिन लोगों को तकनीकी प्रशिक्षण नहीं मिल पाया है वे बेरोज़गारी और निर्धनता में जीवन यापन कर रहे हैं। 

सन्त पापा फ्राँसिस के विश्व पत्र "लाओदातो सी" को उद्धृत कर उन्होंने कहा कि सन्त पापा तकनीकी एवं प्रौद्योगिकी पर अति अधिक विश्वास के प्रति सचेत करते हैं क्योंकि "महान तकनीकी विकास के साथ-साथ मानव की ज़िम्मेदारियों, मानवीय मूल्यों एवं अन्तःकरणों में विकास नहीं देखा गया है।" उन्होंने कहा कि इसीलिये सन्त पापा यह दलील देते हैं कि जब हम श्रमिकों के स्थान पर मशीनों को रखते हैं तब हम स्वतः के विरुद्ध काम करते हैं। वे कहते हैं, "अल्पकालिक वित्तीय लाभ हासिल करने के लिए लोगों में निवेश को रोकने देना समाज के लिए बुरा व्यापार है। जनकल्याण की सेवा के लिये यह आवश्यक है कि व्यापार, लाभ नियतन के बजाय रोज़गार उत्पन्न करने पर ध्यान केन्द्रित करें।"

असमानता पर ध्यान आकर्षित कराते हुए कार्डिनल टर्कसन ने कहा कि बाज़ार अर्थव्यवस्था से लोगों के बीच उत्पन्न असमानता एक गम्भीर चुनौती है जिसका सामना केवल एकात्मता से किया जा सकता है। इस बात की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए कि असमानता हिसा को प्रश्रय देती है उन्होंने कहा कि इसीलिये सन्त पापा फ्राँसिस कहते हैं कि यह अशांति का कारण है। वे कहते हैं "यह इसलिये नहीं कि असमानता समाज से बहिष्कृत लोगों में हिंसक प्रतिक्रियाओं को भड़काती है  बल्कि इसलिये कि सामाजिक आर्थिक प्रणाली उसकी अपनी जड़ों में ही अन्यायपूर्ण है।"   

इसी प्रकार जलवायु परिवर्तन तथा पर्यावरण के ह्रास को वर्तमान चुनौती बताकर कार्डिनल टर्कसन  ने कहा कि इसके समाधान में प्रत्येक सरकार एवं प्रत्येक व्यक्ति को ज़िम्मेदारी के साथ अपना योगदान देना होगा। 








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