2016-09-10 16:06:00

करुणा पर संत पापा की धर्मशिक्षा माला


वाटिकन सिटी, शनिवार, 10 सितम्बर 2016 (वीआर सेदोक): संत पापा ने कहा कि ईश्वर की दया मुक्ति द्वारा प्रकट हुई है वह मुक्ति जो उनके पुत्र येसु के रक्त द्वारा प्रदान की गयी है।

शनिवार को करुणा की जयन्ती के उपलक्ष्य में आयोजित आमदर्शन समारोह में संत पापा ने अपने धर्मशिक्षा में संत पेत्रुस के पहले पत्र से लिए गये पाठ पर चिंतन किया जिसमें बतलाया गया है कि हमारी मुक्ति सोने-चाँदी जैसी नश्वर वस्तुओं से नहीं किन्तु मसीह के मूल्यवान रक्त द्वारा हुई है।

उन्होंने मुक्ति शब्द का महत्व बतलाते हुए कहा, ″मुक्ति शब्द बहुत कम प्रयुक्त होता है किन्तु यह महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उस मूल स्वतंत्रता की ओर इंगित करता है जिसको ईश्वर हम मानव जाति और समस्त सृष्टि को प्रदान करते हैं।

संत पापा ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि आज मनुष्य मुक्ति एवं ईश्वर द्वारा बचाये जाने पर  चिंतन करना पसंद नहीं करता है। वास्तव में, वह अपनी स्वतंत्रता के उस भ्रम में पड़ा है कि यह सब कुछ प्राप्त करने की शक्ति है किन्तु यह ऐसा नहीं है। स्वतंत्रता के बहाने कितने भ्रम बेचे गये हैं और आज गलत स्वतंत्रता के ज़रिये कितनी तरह की गुलामी को उत्पन्न की गयी है, अतः हमें ईश्वर की आवश्यकता है जो हर प्रकार की उदासीनता, स्वार्थ एवं आत्मनिर्भरता से मुक्त कर देंगे।

संत पापा ने कहा कि संत पेत्रुस के शब्द जीवन की नई स्थिति को प्रकट करता है जिसके लिए हम बुलाये गये हैं। हमारे साथ एक होकर प्रभु न केवल हमारी मानव परिस्थिति को अपने ऊपर लेते किन्तु हमें ईश्वर की संतान होने के स्तर तक उठाते हैं। निर्दोष मेमने के रूप में येसु ख्रीस्त की मृत्यु तथा उनके पुनरूत्थान ने मृत्यु एवं पाप पर विजय पायी है एवं उनके प्रभाव से हम मुक्त किये गये हैं। वे एक ऐसे मेमने हैं जिन्होंने हमारे लिए अपने को बलिदान किया है ताकि हम क्षमाशीलता, प्रेम और आनन्द का नया जीवन प्राप्त कर सकें। उनके द्वारा सभी को मुक्ति प्रदान की गयी है। यह सही है कि जीवन हमारी परीक्षा लेती है और कई बार इसके लिए हमें दुःख सहना पड़ता है ऐसे समय में हम क्रूसित येसु की ओर दृष्टि लगाने के लिए निमंत्रित किये जाते हैं जो हमारे लिए दुःख सहते जो एक ठोस प्रमाण है कि ईश्वर हमें नहीं छोड़ते हैं।

संत पापा ने याद दिलाते हुए कहा कि हम यह कभी न भूल जाएँ कि कठिनाईयों अथवा अत्याचार या दैनिक परेशानियों में हम करुणावान पिता द्वारा मुक्त किये गये हैं जो हमें अपने स्तर तक ऊपर उठाते एवं नये जीवन की ओर ले चलते हैं।

ईश्वर का प्रेम असीम है हम हमारी ओर उनका ध्यान आकृष्ट करने के लिए नये चिन्ह खोज निकालें विशेषकर, अंतिम तक पहुँचने एवं हमारे आगे चलने की अभिलाषा। यदयपि हमारा सारा जीवन पाप की भंगुरता से चिह्नित है किन्तु हम ईश्वर की दृष्टि में है जो हमें प्यार करते हैं। पवित्र धर्मग्रंथ के कितने पृष्ट ईश्वर के सामीप्य एवं उनकी कोमलता के बारे बतलाते हैं, खासकर, दीन, गरीब और संतप्त लोगों के लिए। हम जितने अभावग्रस्त हैं उनकी करुणावान दृष्टि उतनी ही अधिक हम पर है। वे हम पर सहानुभूति रखते हैं क्योंकि उन्हें हमारी दुर्बलता मालूम है।

संत पापा ने लोगों का आह्वान करते हुए कह कि हम उनके लिए अपन आप को खोलें, उनकी कृपा को स्वीकार करें जैसा कि भजन कहता है, ″प्रभु के साथ दया है तथा उनके साथ मुक्ति है।″ (130:7)    








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