2016-09-09 17:04:00

संत पापा फ्राँसिस का नव नियुक्त धर्माध्यक्षों को संदेश


वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 09 सितम्बर 2016 (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने सुसमाचार प्रचार हेतु गठित समिति द्वारा आयोजित सम्मेलन के तहत प्रेरितिक कार्य हेतु नव नियुक्त धर्माध्यक्षों के समुदाय को वाटिकन के केमेन्टीना सभागार में संबोधित करते हुए अपना संदेश दिया।

संत पापा ने नव नियुक्त धर्माध्यक्षों का स्वागत करते हुए उन्हें अपने संदेश में कहा कि करुणा के वर्ष में रोम आना आप को विश्व के अन्य तीर्थयात्रियों के साथ संयुक्त करता है। यह अनुभूति हमें यह एहसास दिलाती है कि हम सब करुणा के तीर्थ यात्री हैं जिन्हें येसु की करुणा की जरूरत है जिससे हम पिता की तरह करुणावान बन सकें। हर धर्माध्यक्ष अपने में इस सच्चाई का अनुभव करे जिससे वह अपनी रेवड़ की देख-रेख करुणा और नम्रता में उसी तरह कर सकें जैसे कि येसु ख्रीस्त ने मानव परिवार का मेल अपने पिता से करते हुए किया था। संत पापा ने कहा कि आप में से हर कोई ईश्वर की ओर से, पिता के नाम जो बेटे के प्रतिरूप को हमारे समक्ष पेश करते हैं येसु और पवित्र आत्मा के नाम पर जो कलीसिया को जीवन प्रदान करती है स्वामी, पुरोहित और अगुवे के रुप में अपनी कलीसिया की देख-रेख हेतु नियुक्त किये गये हैं।

आप विभिन्न धर्मप्रान्तों से आते हैं जो आप की प्रेरितिक भूमि है। अतः आप में से हर एक अति भाग्यशाली और साथ ही सुसमाचार के प्रचार हेतु अग्रिम उत्तरदायी है। येसु ख्रीस्त के भले गरेड़िये के रुप में आप अपनी रेवड़ की देखभाल और विशेषकर खोई हुए भेड़ों को खोजने, नये रुप में ईश्वर के संदेश को प्रसारित करने, लोगों से मिलने, बपतिस्मा प्राप्त लोगों के विश्वास को मजबूत करने और विश्वास में कमजोर लोगों के बीच विश्वास की खुशी को पुनः स्थापित करने हेतु भेजे जाते हैं। अतः मैं आप सबों को प्रोत्साहित करता हूँ कि आप उन भेड़ों से भी मिले जो येसु ख्रीस्त की भेड़शाला के नहीं हैं वास्तव में सुसमाचार प्रचार इस बात से संबंधित है कि हम येसु को उन के बीच घोषित करें जो उन्हें नहीं जानते या जिन्होंने उन्हें छोड़ दिया है।
प्रेरिताई का कार्य अपने को लोगों के बीच उपलब्ध करना है। बहुत सारे लोकधर्मी विश्व में अन्याय और विरोधाभास के शिकार हैं जो येसु को खोजते और उनका साक्ष्य देना चाहते हैं। हमें उन्हें प्रोत्साहित करने और सभी रुपों में उनका साथ देने की जरूरत है जिससे वे अपने विश्वास और भरोसा में बने रहें। संत पापा ने कहा कि आप युवा कलीसिया के प्रतिनिधि हैं। मैं आप को गुरुकुलों में याजकों को तैयार करने का निमंत्रण देता हूँ। आप उन्हें अपने जीवन के द्वारा ठोस और प्रत्यक्ष उदाहरण दें। आप उनके मुख्य प्रशिक्षण काल के दौरान उनके साथ रहें जिससे उनके व्यक्तिगत आयामों की भी देख रेख की जा सकें। आप ख्रीस्त के प्रेम से प्रेरित होकर कलीसिया और विश्वासियों की सेवा करें।

आप इस बात का विशेष ध्यान करें की सुसमाचार और रेवड़ की देखभाल में आप किसी तरह का विभाजन न लायें, विशेषकर दो अन्तर जातीय समुदायों आपके कार्य क्षेत्र में ख्रीस्तीयों के बीच विभाजन का कारण न हों। आप आदिवासी संस्कृति और मुद्दों का विशेष ख्याल रखते हुए कलीसिया और इसके सभी सदस्यों की एकता को सदैव बनाये रखें।

अपने संबोधन के अंत में संत पापा ने कहा, प्रिय भाइयो आपने जिन बातों को आपस में इन दिनों साझा किया है वह आप को प्रेरितिक कार्य में उत्साह प्रदान करे। माता मरियम आप सबों की सहायता और सुरक्षा करें। मैं अपनी ओर से आप सभों को प्रार्थनाओं का आश्वास देता हूँ कृपया मेरे लिए भी प्रार्थना कीजिए।  








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