2016-09-08 17:04:00

संत पापा ने मठवासियों को प्रोत्साहन दिया


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 8 सितम्बर 16 (वीआर सेदोक):″आप निरूत्साह न हों यदि एकांत मठों में सदस्यों की संख्या कम हो जाए बल्कि साक्ष्य प्रस्तुत करने में उत्साह बनाये रखें, उन देशों में भी जहाँ आज अपनी विशिष्टताओं के प्रति निष्ठावान रहने एवं नये धर्मसमाजों की शुरूआत करने में समस्याएँ हैं। कलीसिया को आपकी सेवा बहुत मूल्यवान है। हमारे समय में ऐसे पुरूष और महिलाओं की आवश्यकता है जो ख्रीस्त के प्रेम से बढ़कर किसी अन्य चीज को महत्व नहीं देते हैं।″ उक्त बात संत पापा फ्राँसिस ने बेनेडिक्टाईन मठ के अंतरराष्ट्रीय कॉन्ग्रेस में भाग ले रहे प्रतिभागियों से कही।

8 सितम्बर को वाटिकन स्थित क्लेमेंटीन सभागार में उन्हें सम्बोधित कर संत पापा ने कहा, ″ये वही ख्रीस्त हैं जिन्होंने हमें निमंत्रण दिया है कि हम पिता के समान दयालु बनें और आप इसके भाग्यशाली साक्षी हैं।″ उन्होंने कहा कि वास्तव में ख्रीस्त पर चिंतन द्वारा ही हम करुणावान पिता के चेहरे को देख सके हैं और उनका साक्ष्य दे सकते जिसके लिए मठवासी जीवन एक सच्चा उत्तम रास्ता है।  

संत पापा ने कहा कि आज दुनिया को करुणा की बहुत अधिक आवश्यकता है किन्तु यह किसी नारे या विधि द्वारा मिलने वाला नहीं है। यह ख्रीस्तीय जीवन का केंद्र है और इस समय एक ठोस तरीका जो अंतरराष्ट्रीय पारस्परिक संबंधों को उत्साहित करता तथा जरूरतमंदों की ओर हमारा ध्यान खींचता एवं उनके प्रति एकात्मता प्रदर्शित करने हेतु प्रेरित करता है। संत पापा ने कहा कि इस समय कलीसिया उन तत्वों पर अधिक से अधिक प्रकाश डालती है कि मठवासी तथा धर्मबहनें बुलाहट की रक्षा करें जो एक खास जिम्मेदारी है।

संत पापा ने मठवासी जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे ईश्वर की कृपा से अपने समुदायों में उनकी करुणा को जीते हैं तथा सुसमाचार का प्रचार करते हैं। जिसको वे एकान्त कार्य के द्वारा पूरा करते हैं। उन्होंने कहा कि उनका कार्य प्रार्थना से संलग्न है जो ईश्वर के रचनात्मक कार्य से जोड़ता है तथा उन्हें ग़रीबों के प्रति सहानुभूति रखने की कृपा देता है जो काम के अभाव में कठिनाई महसूस करते हैं। अपने आतिथ्य द्वारा वे खोये एवं दूर चले गये लोगों से मुलाकात करते हैं जो आध्यात्मिक रूप से अत्यधिक गरीब हैं।

संत पापा ने बेनेडिक्टाईन मठवासियों को शुभकामनाएं दी कि इस अंतरराष्ट्रीय कॉन्ग्रेस द्वारा उन्हें बल मिले ताकि वे अपने समुदाय में तथा मठों के बीच सहयोग दे सकें तथा उत्साह प्रदान किया कि मठ में बुलाहट की कमी के कारण वे अपनी उत्साह न खो दें किन्तु अपना साक्षी देते रहें क्योंकि कलीसिया में उनकी सेवा महत्वपूर्ण है।








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