2016-09-08 16:47:00

आपसी सम्मान के बिना अंतरधार्मिक वार्ता असम्भव


वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 8 सितम्बर 2016 (वीआर सेदोक): संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार 8 सितम्बर को वाटिकन स्थित क्लेमेंटीन सभागार में अमरीका एवं बोयनोस आईरिस द्वारा अंतरधार्मिक वार्ता के तत्वाधान में आयोजित संगोष्ठी में भाग लेने वाले 200 प्रतिभागियों से मुलाकात की।

उन्हें सम्बोधित कर उन्होंने समस्त अमरीका के एक साथ कार्य करने को प्रशंसनीय पहल कहा तथा प्रोत्साहन दिया कि वे न केवल अमरीका के लिए किन्तु पूरे विश्व की अच्छाई हेतु इसमें आगे बढ़ें।

यह पहली संगोष्ठी है जो संत पापा के प्रेरितिक पत्र ‘लौओदातो सी’ के अध्ययन पर प्रकाश डालती है। संत पापा ने कहा, ″मैं यहाँ आप सभी का ध्यान प्रेम, सम्मान एवं आम घर की देखभाल के महत्व पर आकृष्ट करना चाहता हूँ। हम सृष्टि में प्रकट होने वाली सौंदर्य की तारीफ किये बगैर नहीं रह सकते। यह एक उपहार है जिसे ईश्वर ने दिया है ताकि उसके द्वार हम उन्हें पा सकें तथा उनके कार्यों पर चिंतन कर सकें। समग्र पारिस्थितिकी पर बाजी लगाना महत्वपूर्ण है जिसके अनुसार यह सृष्टि के मूल्यों के सम्मान में समृद्धि है तथा जो मानव जाति को सृष्टि का शीर्ष बनाता है।  

संत पापा ने कहा कि धर्मों की महत्वपूर्ण भूमिका है कि वे पर्यावरण की देखभाल और उसके सम्मान को प्रोत्साहन दें। ईश्वर पर विश्वास हमें सृष्टि में उन्हें पहचानने की कृपा प्रदान करता है, हमारे लिए उनके प्रेम के फल को प्राप्त करने तथा हमें सृष्टि की देखभाल एवं रक्षा करने का निमंत्रण देता है। जिसके लिए यह आवश्यक है कि धर्म सभी स्तरों पर सच्ची शिक्षा को बढ़ावा दे, एक उत्तरदायित्व पूर्ण एवं विश्व की सुरक्षात्मक भावना की मांग पर ध्यान दे, विशेषकर, मानव के अधिकारों की रक्षा कर सकें तथा उसको प्रोत्साहन दे।

संत पापा ने कहा कि हमारी धार्मिक परम्पराएं मुलाकात की संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु प्रेरणा के स्रोत हैं। उन्होंने कहा कि अंतरधार्मिक सहयोग हेतु उदार एवं सम्मानपूर्ण वार्ता आवश्यक है। आपसी सम्मान के बिना कोई अंतरधार्मिक वार्ता सम्भव नहीं है। यह एक साथ चलने एवं समस्याओं का समाधान करने का आधार है। यह वार्ता, पहचान एवं एक-दूसरे को ईश्वर के वरदान के रूप में पहचानने से उत्पन्न आपसी विश्वास तथा उनकी अभिव्यक्ति की आवश्यकता के मद्देनजर स्थापित होती है। संत पापा ने वार्ता हेतु हर मुलाकात को एक बीज कहा जो नियमित सिंचाई तथा सम्मानपूर्ण देखभाल एवं सच्चाई के आधार द्वारा एक वृक्ष का रूप लेता है जहाँ सभी शरण ले सकते तथा अपने लिए पोषण प्राप्त कर सकते हैं और जिसके लाभ को प्राप्त करने से कोई बहिष्कृत नहीं होगा।

संत पापा ने वार्ता के रास्ते का महत्व बतलाते हुए कहा कि हम इसके द्वारा ईश्वर की अच्छाई का साक्ष्य देते हैं जिन्होंने हमें जीवन दिया है जो पवित्र हैं और जिनका सम्मान किया जाना चाहिए न कि अपमान। संत पापा ने कहा कि सभी विश्वासी जीवन की रक्षा हेतु बुलायें गये हैं यह हमारा कर्तव्य है क्योंकि हम विश्वास करते हैं कि ईश्वर ही इसके सृष्टिकर्ता हैं।

संत पापा ने सभी विश्वासियों की बुलाहट का स्मरण दिलाते हुए कहा कि दुनिया हम पर लगातार नजर लगाये हुए है यह देखने के लिए हमारा मनोभाव आम घर एवं मानव अधिकारों के प्रति कैसा है। वह आपस में तथा भली इच्छा रखने वाले लोगों के साथ सहयोग करने की मांग कर रही है कि हम हमारी दुनिया के गंभीर संकट, युद्ध और कुपोषण जो लाखों लोगों को कष्ट दे रही है हिंसा, भ्रष्टाचार तथा नैतिक पतन, पारिवारिक एवं आर्थिक संकट विशेषकर, आशा की कमी का सटीक जवाब दे सकें। उन्होंने कहा कि आज दुनिया पीड़ित है तथा हमारी मदद की गुहार लगा रही है। संत पापा ने संगोष्ठी को इसलिए भी महत्वपूर्ण कहा कि यह करुणा के जयन्ती वर्ष में आयोजित की गयी है जिसका विश्वस्तर पर महत्व है विश्वासी अथवा नास्तिक दोनों ही प्रकार के लोगों के लिए क्योंकि करुणावान ईश्वर की कोई सीमा नहीं है।

संत पापा ने सभी प्रतिभागियों को निमंत्रण दिया कि वे इस पहल पर मिलकर कार्य करें तथा इसे बढ़ावा दें ताकि हम सब आम घर की देखभाल हेतु सचेत हो सकें, अधिक मानवीय संसार का निर्माण कर सकें जहाँ कोई परित्यक्त न हो।  








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