वाटिकन सिटी, शनिवार, 3 सितम्बर 2016 (वीआर सेदोक): ″मदर तेरेसा एक मिशनरी थीं जिन्होंने चिंतन प्रार्थना एवं कार्य, सुसमाचार प्रचार एवं मानव सहायता को एक साथ जोड़ा। उन्होंने सुसमाचार का प्रचार ग़रीबों के लिए अपने को न्योछावर करने एवं प्रार्थना द्वारा किया। उसका एक मिशनरी होना पूरी तरह उसकी उदारता से संलग्न है।″ यह बात सुसमाचार प्रचार हेतु गठित परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल फेरनांदो फिलोनी ने मदर तेरेसा की संत घोषणा के संबंध में 2 सितम्बर को, एशियान्यूज़ द्वारा रोम स्थित उर्बनियन यूनिवर्सिटी में आयोजित संगोष्ठी में कही।
उन्होंने कहा, ″मदर तेरेसा परोपकार की मिशनरी हैं...। वे युवा अवस्था से ही मिशन कार्य के प्रति आकर्षित थीं। उन्होंने आयरलैंड स्थित लोरेटो की माता मरियम के धर्मसंघ में प्रवेश किया और जब वे भारत भेजी गयीं तो वे अपने धर्मसमाज की एक मिशनरी के रूप में अंतिम सदस्य थीं। एक अदम्य बुलाहट का प्रत्युत्तर देते हुए उन्होंने सन् 1950 ई. में मिशनरी सिस्टर्स ऑफ चैरिटी समाज की स्थापना की तथा सन् 1963 ई. में मिशनरी ब्रादर्स ऑफ चैरिटी समाज की स्थापना। इन संस्थाओं के साथ बहुत सारे स्वयंसेवक उदार कार्यों द्वारा जुड़े हैं।″
कार्डिनल ने चैरिटी या परोपकार के मिशन का अर्थ बतलाते हुए कहा कि यह ईश्वर के प्रेम का अनुभव देने हेतु उन लोगों के बीच भेजा जाना है जो दूरी महसूस करते हैं, ईश्वर के माध्यम या साधन के रूप में। एक विनम्र जल वाहक के रूप में जो गरीबों की प्यास बुझा सके। जल जो निरंतर बहता तथा कभी सूखता नहीं। लोगों में प्यासे येसु को देख पाना तथा प्रेम द्वारा उनकी प्यास बुझाना। जिसको संक्षेप में, शारीरिक एवं आध्यात्मिक रूप से दया का कार्य कहा जा सकता है। मिशनरी होने का अर्थ है ईश्वर के प्रेम को बांटने हेतु उनके हाथ में साधन बन जाना। ईश्वर ही हमें अपने प्रेम का जल प्रदान करते तथा हमारा इतिहास लिखते हैं।
कार्डिनल फिलोनी ने कहा कि मदर तेरेसा ने अपने निगाहों को क्रूसित येसु पर केंद्रित रखा तथा उनके उदार कार्यों के लिए प्रभु से निरंतर मुलाकात द्वारा बल प्राप्त की। उन्होंने येसु को ग़रीबों में देखा जो प्यासे थे, जो भूखे थे, नंगे थे, ग़रीबों की मुस्कानों में येसु की मुस्कान देखी।
उन्होंने कहा कि गरीबी का अर्थ बहुत गहरा है गरीब वे हैं जो अवांछित और प्रेम से वंचित हैं किन्तु कई बार मदर तेरेसा ने कहा है कि गरीबी विकसित देशों में पाया जा सकता है रोटी की भूख के रूप में नहीं किन्तु प्रेम की भूख।
कार्डिनल ने मिशनरीस ऑफ चैरिटी की धर्मबहनों की विशेषता बतलाते हुए कहा कि वे हंसमुख हैं क्योंकि प्रेम आनन्दमय है, सुसमाचार का आनन्द। सुसमाचार का आनन्द दुःख द्वारा कभी प्रमाणिक नहीं हो सकता जिसका अर्थ है पूर्ण रूप से जीना।
कार्डिनल ने मदर तेरेसा ने नाम पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने लिस्यु की संत तेरेसा के नाम पर अपना नामकरण किया था जो 1927 में मिशनरियों की संरक्षिका घोषित की गयी हैं क्योंकि उन्होंने कलीसिया के हृदय में प्रेम भर दिया। ठीक उसी तरह मदर तेरेसा भी सुसमाचार के आनन्द के मिशनरी बने।
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