2016-08-31 15:32:00

रक्तस्राव स्त्री की चंगाई पर संत पापा की धर्मशिक्षा माला


वाटिकन सिटी, बुधवार 31 अगस्त 2016 (सेदोक) संत पापा फ्राँसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत प्रेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में जमा हुए हज़ारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को अपनी धर्मशिक्षा माला के दौरान संबोधित करते हुए कहा

प्रिय भाइयो एवं बहनो सुप्रभात,

सुसमाचार जिसका श्रवण हमने किया हमें एक नारी के विश्वास और साहस के बारे बतलाता है जिसे येसु रक्तस्राव की बीमारी से चंगाई प्रदान करते हैं। यह वह स्त्री है जिसने भीड़ में आकर येसु के वस्त्रों का स्पर्श किया क्योंकि उसने अपने में यह कहा यदि मैं केवल उनके कपड़ों को छू लूं तो चंगी हो जाऊंगी। उसके हृदय में शर्म की भावना है लेकिन उससे भी अधिक उसमें विश्वास और आशा भरी हुई है। उसमें शुद्ध होने की चाह इतनी प्रबल है कि वह मूसा द्वारा निर्धारित सभी नियमों को दरकिनार कर देती है। संत पापा ने कहा कि वह बेचारी महिला इतने सालों से न केवल बीमार थी वरन अपनी इस बीमारी से कारण वह समाज के धर्म विधि, वैवाहिक जीवन और दूसरों के साथ सामान्य संबंधों से भी वंचित थी। संत मत्ती हमें बतलाते हैं कि उसने बहुत सारे चिकित्सकों से सुझाव लिये थे और अपनी बीमारी पर ढेरों रुपये-पैसे खर्च किये थे किन्तु उसकी स्थिति बद से बदतर हो गई थी। इस स्थिति में हमें उसकी मानसिक स्थिति को समझने की जरूर है, जहाँ वह अनुभव करती है कि येसु उसे चंगाई प्रदान कर सकते हैं।

इस परिवेश में हमें समाज में महिलाओं की स्थिति को देखने और समझने की जरूरत है। हम सभी यहाँ तक की ख्रीस्तीय समुदाय भी उनके प्रति पूर्वाग्रह और संदेह की दृष्टि से भरे रहते हैं। इस परिदृश्य में सुसमाचार सच्चाई को हमारे सामने लाता और हमारे मनोभाव को परिशुद्ध करता है। येसु ने महिला के विश्वास की प्रशंसा की और उसके भरोसे को मुक्ति का साधन बनाया जिससे सभी कतराते थे। हमें उसका नाम पता नहीं है लेकिन सुसमाचार की पंक्तियाँ हमें विश्वास में उसका येसु के साथ मिलन की चर्चा करता है जिसके तहत सच्चाई और प्रत्येक मानव की गरिमा स्थापित की जाती है। येसु से हमारा मिलना हम प्रत्येक के लिए बुराइयों से छुटकारा देता और मुक्ति का मार्ग बनता है।

संत मत्ती अपने सुसमाचार में कहते हैं कि जब उस नारी ने येसु के कपड़ों का स्पर्श किया तो येसु उसे मुड़कर देखते और कहते हैं। संत पापा ने कहा जैसे हम ने कहा कि वह समाज में तिरस्कृत अनुभव करती थी अतः उसने गुप्त रुप से येसु का स्पर्श किया जिस वह दूसरों के द्वारा न देखी जाये। यद्यपि येसु उसको देख लेते और गाली देने के बदले करुणा और दया की दृष्टि उसकी ओर फेरते हैं। वे जानते हैं कि क्या हुआ है अतः वे व्यक्तिगत रुप से उस स्त्री को देखना चाहते हैं। यह हमें यही बतलाता है कि येसु न केवल उसका स्वागत करते वरन् ढाढ़स बँधाते हुए उसे चंगाई का उपहार प्रदान करते हैं।

करुणा के इस कार्य में मुक्ति शब्द का प्रयोग तीन बार किया गया है, “यदि मैं उनका कपड़ा भर छूने पाऊँ तो चंगी हो जाऊँगी। ईसा ने मुड़कर उसे देख लिया और कहा, बेटी ढाढ़स रखो। तुम्हारे विश्वास ने तुम्हें चंगा कर दिया है।” और वह स्त्री उसी क्षण चंगी हो गई। (मती.9.21-22) येसु के द्वारा कहे गये “ढारस” और “बेटी” शब्द येसु की करुणा को दिखलाता है। यहाँ मुक्ति के कई तात्पर्य हैं पहला स्त्री का स्वास्थ्य लाभ, दूसरा उसका सामाजिक और धार्मिक भेदभाव से छुटकारा, तीसरा उसके डर और निराशा से मुक्ति और अन्ततः इसका समुदाय में पुन स्थापित किया जाना। येसु के द्वारा उस स्त्री को मुक्ति प्रदान करना येसु का मानवता के प्रति प्रेम और सम्मान की बात बयाँ करता है।

संक्षेप में कह सकते हैं कि येसु का वस्त्र नहीं लेकिन उनके वचनों ने नारी को चंगाई और मुक्ति दिलाई जिसे वे हम सबों के लिए भी कहते हैं। येसु के द्वारा हमारे लिए मुक्ति की कृपा प्रवाहित होती हैं जिसे मूल रूप में हम विश्वास के द्वारा अपने जीवन में ग्रहण करते हैं। माता कलीसिया हमें इस मार्ग को बतलाती है जिस में चलते हुए हम येसु के पास आते और ईश्वर के बेटे-बेटियों के रुप में मुक्ति प्राप्त करते हैं।

इतना कहने के बाद संत पापा ने अपनी धर्मशिक्षा माला समाप्त की और सभों का अभिवादन करते हुए कहा, मैं अँग्रेज़ी बोलने वाले तीर्थयात्रियों का जो इस आमदर्शन समारोह में उपस्थित हैं, विशेषकर आयरलैण्ड, माल्टा, फिलीपीन्स, वियतनाम और संयुक्त राज्य अमरीका से आये आप सबों का अभिवादन करता हूँ। मुक्ति के शहर में आप का रहना आप को ईश्वरीय प्रेम की अनुभूति दिलाये जिससे आप उनके लिए ईश्वर की करुणा के माध्यम बन सके जो अपने को ईश्वर से दूर पाते हैं। इतना करने के बाद संत पापा ने सबको अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।








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