2016-08-29 16:44:00

विश्व जल सप्ताह पर कार्डिनल टर्कसन का वक्तव्य


वाटिकन सिटी, सोमवार, 29 अगस्त 2016 (वीआर सेदोक): ″काथलिक दृष्टिकोण से हमारा ग्रह, इसका संसाधन एवं इसके पारिस्थितिक तंत्र अद्भुत उपहार हैं। अतः मानव जीवन भी एक उपहार है। हम खुद से नहीं बने हैं। हमारे शरीर और हमारे प्रथम परिजन दिव्य प्रकृति प्रदत्त हैं, इस प्रकार, हम समझ सकते हैं कि प्रकृति को समस्त मानव जाति के बीच बांटना है, एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तथा पूरी मानव जाति से आशा की जाती है कि वह आम गृह की देखभाल करे। ये मौलिक बातें सहज ही हमारे धर्मों एवं धार्मिक परम्पराओं में परिलक्षित होती हैं।″ ये बातें न्याय एवं शांति के लिए गठित परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल पीटर टर्कसन ने 29 अगस्त को एक सभा को सम्बोधित कर कही।

उन्होंने विश्व जल सप्ताह के अवसर पर स्वीडेन के स्टॉगोम में एक सभा को सम्बोधित किया जिसकी विषय वस्तु थी, ″जल एवं विश्वास : जल एसडीजी के योगदान हेतु विश्वास पर आधारित संगठन।″

‘विश्वास एवं विकास’ पर अपना वक्तव्य पेश करते हुए कार्डिनल टर्कसन ने कहा, ″विकास के लिए साझा की बुनियादी समझ क्यों इतना महत्वपूर्ण है?

उन्होंने कहा कि विज्ञान ठोस सच्चाईयों, उनके पदार्थों एवं उनके संबंधों को प्रकट करता है। वह कई महान सच्चाईयों को प्रकट कर सकता है किन्तु विभिन्न कार्यों के लिए प्रेरित नहीं कर सकता।

उन्होंने संत पापा फ्राँसिस के प्रेरितिक पत्र लौदातो सी का हवाला दिया जहाँ वे प्रश्न करते हैं कि हम भावी पीढी जो अभी बढ़ रही है उनके लिए किस प्रकार की दुनिया छोड़कर जाना चाहते हैं। हमारे कार्य एवं प्रयासों का मकसद क्या है? पर्यावरण की खतरे की घंटी तथा सामाजिक संकेत हमें उस प्रश्न पर चिंतन करने हेतु मजबूर करता है कि मुझे क्यों देखभाल करने की आवश्यकता है? विज्ञान और तकनीकी मदद नहीं कर सकते और कोई भी तकनीकी समाधान शक्तिहीन है यदि हम उस महान प्रेरणा को खो देते हैं जो हमें सौहार्द के साथ जीने, त्याग करने तथा दूसरों के साथ अच्छा बर्ताव करने हेतु प्रेरित करता है।  

उन्होंने संत पापा के शब्दों को लेते हुए कहा कि प्रेरणा एवं शिक्षा की प्रक्रिया के बिना परिवर्तन असम्भव है जिसके कारण उन्होंने कहा है कि मानव विकास हेतु दिशा-निर्देश ख्रीस्तीय आध्यात्मिक अनुभव में पाया जा सकता है क्योंकि दृढ़ विश्वास ख्रीस्तीयों एवं अन्य विश्वासियों को प्रकृति की देखभाल एवं अपने कमजोर भाई-बहनों की सेवा हेतु प्रचुर प्रेरणा प्रदान करती है।

कार्डिनल टर्कसन ने विश्वास पर आधारित संगठनों को जल रक्षा को योगदान देने हेतु चार उपाय बतलाये।

पहले प्रस्ताव के रूप में उन्होंने कहा कि युवाओं को शिक्षा देना ताकि वे एकात्मता, परोपकारिता और जिम्मेदारी की भावना को अपना सकें। ये गुण उन्हें भविष्य में ईमानदार प्रशासक एवं नेता बनने हेतु मदद करेगा।

दूसरा, पवित्र धर्मग्रंथ की शिक्षा एवं आध्यात्मिक परम्पराओं का ज्ञान देना जिसके द्वारा युवाओं को सिखलाना है कि जल बहुमूल्य और पवित्र वस्तु है जिसका प्रयोग बहुधा धर्मविधियों में किया जाता है। यह हमें जल को सम्मान, कृतज्ञता तथा उसके महत्व को समझते हुए उसके प्रयोग की प्रेरणा देगा।  

तीसरा, नदियों एवं झीलों को स्वच्छ रखने हेतु धार्मिक संगठनों द्वारा स्वच्छता अभियान जारी करना ताकि विभिन्न दलों के प्रति सम्मान, शांति एवं मित्रता की भावना बढ़े।

चौथा, मानव प्रतिष्ठा तथा समस्त मानव परिवार के लिए सार्वजनिक वस्तुओं को सुदृढ़ करना ताकि बुद्धिमतापूर्ण जल के प्रयोग को प्राथमिकता मिल सके। 








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